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भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित बरेली जनपद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक के राष्ट्रीय राजमार्ग के बीचों-बीच स्थित है। प्राचीन काल से इसे बोलचाल में बांस बरेली का नाम दिया जाता रहा और अब यह बरेली के नाम से ही पहचाना जाता है। इस जनपद का शहर महानगरीय है। यह उत्तर प्रदेश में आठवां सबसे बड़ा महानगर और भारत का 50वां सबसे बड़ा शहर है।

बरेली उत्तर प्रदेश का एक महानगर है। यह जनपद रामगंगा नदी के किनारे स्थित है, बरेली मंडल का मुख्यालय तथा फ़र्नीचर और ज़री का एक मुख्य केंद्र भी है । लखनऊ, कानपुर व आगरा के बाद बरेली उत्तर प्रदेश का चौथा जनपद है जहाँ सी.एन.जी. फ्यूल स्टेशन हैं। बरेली उत्तर प्रदेश का 7वाँ तथा देश का 50वाँ बड़ा महानगर है । यहाँ पर बांस की काफी बड़ी मण्डी होने के कारण तेज़ी से विकसित होता हुआ जनपद बांस-बरेली के नाम से भी जाना जाता है। बरेली जनपद दिल्ली और लखनऊ से लगभग समान दूरी पर स्थित है तथा स्वयं में औद्योगीकरण व लोगों के निर्वासन की अपार संभावनाएँ रखता है। ज़री का काम मुख्यतः तीन प्रकार के धागों से किया जाता है – सोने, चांदी और रेशम । वर्तमान में जनपद में ज़री –जरदोज़ी के काम में हज़ारों छोटी इकाइयाँ लिप्त हैं । लगभग 2 लाख लोग इस कार्य से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हैं । ज़री-ज़रदोज़ी से सुसज्जित बहुत से सामान यथा वस्त्र, हैंड बैग्स, जाकेट्स, साड़ियाँ, लहँगे इत्यादि बाज़ारों में आसानी से उपलब्ध हैं ।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

दुग्ध उत्पाद को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में दुग्ध उत्पाद के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

उत्तर प्रदेश में दूध उत्पादन औसतन नौ लाख मीट्रिक टन सालाना की दर से बढ़ने के साथ,उत्तर प्रदेश अब पूरे देश में सबसे आगे है।

श्वेतक्रांति से अब ग्रामीणों की किस्मत बदलेगी। प्रशासन ने दूध उत्पादन बढ़ाने का खाका तैयार किया है। इससे जिला दूध उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा। लोगों की आमदनी भी बढ़ेगी। जिला प्रशासन ने दूध के मामले में जिले को न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाने की योजना बनाई है बल्कि स्थानीय स्तर पर ही दूध के उत्पाद भी बनाए जाएंगे। गांव गांव में इसके लिए दुग्ध समितियां बनेगी। एक दुग्ध समिति में 50 से 60 लोगों को शामिल किया जाएगा। समिति के सदस्यों को पशु पालन के लिए आर्थिक मदद दी जाएगी। वहीं दूध जो भी दूध उत्पादन होगा। उसे सीधे सरकारी डेयरी खरीदेगी।