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बलौदा बाज़ार ज़िला भारत के छत्तीसगढ़ के 27 जिलों में एक है। जिले का मुख्यालय बलौदा बाज़ार है।

बलौदा बाजार जिले की छ: तहसीलों के अंतर्गत कृषि का कुल रकबा 269888 हेक्टेअर है। जिले में धान की फसल प्रमुखता से बोई जाती है। जिले के 970 गांव की 10 लाख से ज्यादा आबादी में से अधिकांशत: लोग कृषि पर ही आश्रित है। समर्थन मूल्य पर 86 सहकारी समितियों के माध्यम से धान क्रय किया जाता है। जिले में 4 कृषि उपज मंडिया भी है, जिनमें भाटापारा सिथत मंडी वर्ष भर फसल क्रय विक्रय के लिए प्रसिद्ध है। सिंचाई हेतु जिले में अनेक नदी, नाले स्थित है, जिनमें महानदी, शिवनाथ, जोंक प्रमुख नदियां है। सहायक नदियों में बालमदेयी है वहीं जमुनिया व खोरसी नाला भी प्रमुख है। ब्रिटिश काल में सिंचाई सुविधा को विकसीत करने हेतु 1935-36 में लगभग 200 कि.मी. नहरों का जाल बिछाया गया। बलौदा बाजार शाखा नहर व लवन शाखा नहर के माध्यम से गंगरेल बांध का पानी आज भी खेतों मेें पहुंचाया जाता है। शासन द्वारा औसत वर्षा में कमी के चलते बलौदा बाजार को वृष्टिछाया क्षेत्र घोषित किया गया है। केवल पलारी तहसील ही सिंचीत क्षेत्र है शेष तहसीलों में सिंचीत क्षेत्र का रकबा कम है। कसडोल क्षेत्र में विशालकाय बलारडेम के अलावा जल संसाधन विभाग द्वारा नदियाें में एनिकेट व कुछ अन्य छोटे बांध भी निर्मित कराये गये है। भाटापारा नहर का निर्माणकार्य विगत कई वर्षो सें जारी है, जिसके पूर्ण होने से जिले का भाटापारा तहसील भी सिंचाई सुविधा से परिपूर्ण हो जावेगा।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

चावल आधारित उत्पाद को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में चावल आधारित उत्पाद के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

भाटापारा- यह फीडर मार्केट ,अब पोहा, दाल ,चावल और बेसन जैसी रोजमर्रा की खाद्य सामग्रियों के उत्पादन के जरिए अपनी पहचान बना चुका है। किराना सामान की थोक उपलब्धता की जिम्मेदारी, इसने खुले मन से समीपी कस्बों को दे दी है।

अब यह फीडर मार्केट
कसडोल, सरसीवां, कटगी, खरोरा, हथबंद, सिमगा ,नांदघाट, रोहरा, नारायणपुर ,सरगांव, निपनिया और करही मेकरी यह कुछ ऐसे कस्बे हैं जो प्रमुख फीडर मार्केट के रूप में अपनी पहचान बना रहे हैं। खुले मन से पूरे सहयोग के बाद जिस तरह यह कस्बे, होलसेल मार्केट बन रहे हैं, उसके बाद अपना शहर, अब अपनी भूमिका बदलकर प्रदेश और देश स्तर पर अपना कारोबार फैला रहा है और सफल भी हो रहा है।

सुगंधित चावल के लिए निसंदेह हमारा शहर आज देश में अपनी अलग पहचान रखता है। इसमें हमारे किसान और हमारी कृषि उपज मंडी का योगदान अतुलनीय है।
– देवेंद्र भृगु ,अध्यक्ष, जिला राइस मिल एसोसिएशन ,बलौदा बाजार