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प्रयागराज भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक है। यह प्राचीन ग्रंथों में ‘प्रयाग’ या ‘तीर्थराज’ के नाम से जाना जाता है और इसे भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। यह तीन नदियों- गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्थित है। समागम-बिंदु को त्रिवेणी के रूप में जाना जाता है और यह हिंदुओं के लिए बहुत ही पवित्र है। प्रयागराज में प्रत्येक छः वर्षों में कुंभ और प्रत्येक बारह वर्षों में महाकुंभ, इस धरती पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा आयोजन है।

इलाहाबाद जिला, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े राज्यों में से एक है जिसका आधिकारिक नाम प्रयागराज जिला है। इसका जिला मुख्यालय इलाहाबाद नगर है जिसका नाम भी बदलकर उसी समय प्रयागराज कर दिया गया जब जिले का नाम बदला गया था।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

अमरूद को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में अमरूद के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

देश में अमरूद के उत्पादन में सबसे ज्यादा योगदान उत्तर प्रदेश से है और प्रयागराज व कौशाम्बी उत्तर प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण अमरूद उत्पादक क्षेत्रों में से एक हैं। भारत समेत पूरी दुनिया में प्रयागराज को बेस्ट क्वालिटी के अमरूद के उत्पादन के लिए जाना जाता है।

प्रयागराज अमरूद की खुशबू यूपी के साथ-साथ अन्य प्रदेशों में भी पहुंचने लगी है। विश्वप्रसिद्व प्रयागराज (इलाहाबादी) अमरूद का जादू लोगों के सिर चढकर बोल रहा है। यहां के अमरूद ने अपनी मिठाव व रंग के कारण लोगों के बीच खासी पहचान बनाई है।

प्रयागराज अमरूद से में सबसे ज्यादा डिमांड सुर्खा या सुर्खाब अमरूद की है। इसकी पहचान अपनी विशेष लाल रंगत व लाजबाव स्वाद के कारण बना रखा है। मार्केट में इसकी डिमांड सर्वाधिक रहती है।

फूड प्रोसेससिंग
पतीर्थराज प्रयागराज खाद्य संरक्षण उद्योग में विशेष महत्ता रखता है | इसका प्रमुख कारण यहाँ की उपजाऊ भूमि है | गंगा के विशाल मैदान में स्थित यह जनपद समतल धरातलीय आकृति वाला है और इस कारण यहाँ सभी प्रकार की फसलें प्रचुर मात्रा में होती हैं | जलोढ़ मिट्टी व प्रतिवर्ष अपरदन द्वारा मिट्टी पर खनिजों की नई परत चढ़ते रहने के कारण यहाँ की उर्वरा शक्ति बनी रहती है | इस उद्योग के अंतर्गत सब्जियाँ व अन्य खाद्यान्न शामिल किए जाते हैं | भली प्रकार से प्रसंस्कृत खाध्य पदार्थ जनपद से बाहर भी भेजे जाते हैं | जनपद का फैलाव ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है इसलिए इस उद्योग का विस्तार भी इन्हीं क्षेत्रों में है | नगरीय क्षेत्रों में खाध्य प्रसंस्करण उद्योग सीधे तौर पर कुछ अन्य व्यवसायों से जुड़ा है तथा मुख्य सामग्री हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित छोटे छोटे उद्योगों पर।