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अजमेर भारतीय राज्य राजस्थान का एक जिला है। अजमेर तारागढ़ की पहाड़ी, जिसके शिखर पर किला है, निचली ढलानों पर यह शहर स्थित है। पर्वतीय क्षेत्र में बसा अजमेर अरावली पर्वतमाला का एक हिस्सा है, जिसके दक्षिण-पश्चिम में लूणी नदी व पूर्वी हिस्से में बनास की सहायक नदियाँ बहती हैं। मुग़लों की बेगम और शहजादियाँ यहाँ अपना समय व्यतीत करती थी। इस क्षेत्र को इत्र के लिए प्रसिद्ध बनाने में उनका बहुत बड़ा हाथ था। कहा जाता है कि नुरजहाँ ने गुलाब के इत्र को ईजाद किया था। कुछ लोगों का मानना है यह इत्र नूरजहाँ की माँ ने ईजाद किया था। अजमेर में पान की खेती भी होती है। इसकी महक और स्वाद गुलाब जैसी होती है।

अजमेर सहित प्रदेशभर में गुलाब की खेती एवं उद्यानिकी के प्रति रुझान बढ़ा है। अजमेर के पुष्कर, देवनगर, मोतीसर, गनाहेड़ा, चित्तौडगढ़़ जिले के कई गावों, हल्दीघाटी के आसपास के क्षेत्र, गंगानगर सहित कुछ अन्य जिलों में अब गुलाब की खेती की जा रही है। पुष्कर में देशी गुलाब की खेती पर किसानों का अधिक फोकस है। गुलाबी रंग का देशी गुलाब की महक अच्छी होने के साथ गुलकंद एवं गुलाबजल (Rose water)के लिए बेहतर है। पुष्कर का गुलाब एवं उत्पाद की सेल्फ लाइफ एक वर्ष से भी अधिक की है। जबकि अन्य जगह के गुलाब की सेल्फ लाइफ बहुत कम है। अजमेरा ग्रामोद्योग इकाई के पूनमचंद अजमेर के अनुसार ईरान, इराक, सऊदीअरब, नेपाल, मलेशिया सहित अन्य देशों में पुष्कर (Pushkar) के गुलकंद, गुलाबजल आदि की सप्लाई पुष्कर से होती है।

गुलाब की खेती से किसान गुलाब का उत्पादन कर फूलों के देश के विभिन्न राज्यों में डिमांड अनुसार भेज सकते हैं। आय का यह मुख्य जरिया है। इसके साथ किसान परिवार गुलकंद, गुलाबजल, इत्र एवं सेन्ट की औद्योगिक इकाई स्थापित कर भी आय अर्जित कर सकते हैं।

गुलाब की खेती के लिए पुष्कर की रेतीली मिट्टी, मिट्टी के उपलब्ध तत्व, मौसम की अनुकूलता एवं पानी की पर्याप्त उपलब्धता होने से यहां गुलाब की खेती मॉडल के रूप में है। प्रदेशभर के किसानों को उद्यानिकी विभाग की ओर से गुलाब की खेती के लिए प्रशिक्षण पुष्कर में देने से किसानों को फायदा मिलेगा। किसान मोहनलाल चौहान (82 वर्षीय) के अनुसार पुष्कर में एक बार गुलाब की पौध रोपेने के बाद करीब 20 से 22 साल तक फूलों का उत्पादन होता है।

महाराष्ट, तमिलनाड़ू, पश्चिमी बंगाल, बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, राजस्थान सहित अन्य राज्यों में पुष्कर के गुलाब के फूल, गुलकंद, गुलाबजल आदि की डिमांड रहती है।

खेती के साथ किसान करें इकाइयां स्थापित
  • गुलाब के फूलों का सूखाकर सप्लाई।
  • गुलाब के फूलों से गुलकंद निर्माण की इकाई की स्थापना।
  • गुलाब के फूलों से गुलाबजल निर्माण की इकाई स्थापना।
  • गुलाब से इत्र व सेन्ट बनाने की इकाई स्थापित की जा सकती है।