product_image
संतरा आगर-मालवा की प्रमुख फसल में से एक है।

आगर मालवा जिला लाल मृदा के लिए प्रसिद्ध है। लाल मिट्टी गोंडवाना शैल समूह से निर्मित मिट्टी है इस मिट्टी का रंग लाल लोहे के ऑक्सीकरण के कारण होता है। लाल मिट्टी का PH मान 5.5 होता है। यह मिट्टी प्रदेश के केवल आगर मालवा में पाई जाती है| लाल मिट्टी अत्यधिक रंध्रयुक्त होती है|  इस यह मिट्टी जिले में केवल 1-2 किलोमीटर तक ही पाई जाती है।

कृषि – आगर मालवा जिले की प्रमुख संतरा की फसल है। जिले के संतरे पूरे मालवा क्षेत्र में प्रसिद्ध है। धनिया की फसल भी जिले में बड़े स्तर पर होती है। आगर मालवा जिले में पानी में पैदा की जाने वाली पौधा अजोला की खेती करने की कोशिश की जा रही है।

पशुपालन – जिले में पशुपालन को बढ़ावा देने और पालकों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा चुने गए जिलों में कृत्रिम गर्भाधान योजना लागु है। यहाँ की गिर गायों ने सर्वाधिक दूध देकर जिला स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया।

कुछ सालों पहले जिला बना आगर मालवा अब देश का ऑरेंज हब बनकर उभर रहा है। जिले के 6 से 7 हजार किसान हर साल 6 लाख 50 हजार मीट्रिक टन रसीले संतरे का उत्पादन कर रहे हैं। जो अब देश की सीमाओं से निकलकर बांग्लादेश, मलेशिया, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों में पहुंच रहा है। संतरे की पैदावार के लिहाज से विशेष जलवायु और उर्वरा भूमि से भरपूर आगर-मालवा अब देशभर में संतरे के उत्पादन के लिए भी जाना जा रहा है। यही वजह है कि राज्य सरकार के उद्यानिकी विभाग ने इस जिले की मुख्य फसल के तौर पर संतरे को चुना है। करीब एक दशक पहले शाजापुर में संतरे का उत्पादन होता देख यहां के किसानों ने भी संतरे की फसल लेने की तैयारी की थी। इसके बाद देखते ही देखते अधिकांश किसानों ने इस फसल को प्राथमिकता दी। फिलहाल स्थिति यह है कि जिले में करीब 37 लाख हेक्टेयर रकबे में संतरे का करीब साढ़े 6 लाख मीट्रिक टन उत्पादन किया जा रहा है। जो अब 80 पीसदी तक बांग्लादेश, मलेशिया, वियतनाम समेत कई एशियाई देशों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है, जिसे लेकर यहां के किसान भी खुश हैं।

जिले में ही होगी संतरे की फूड प्रोसेसिंग
संतरे के जल्दी खराब होने की प्रकृति के कारण अब कोशिशें की जा रही है कि संतरे से अन्य उत्पाद भी तैयार किए जाएं। इसमें मुख्य रूप से कैंडी और पल्प पाउडर बनाने की तैयारी हो रही है। इसे लेकर आगर-मालवा के ही कुछ व्यापारियों ने राज्य शासन की मदद से छोटी-छोटी इकाई लगाने का फैसला किया है। जिससे कि अब संतरे के अलावा उस से बनने वाले अन्य उत्पाद भी आगर मालवा में ही तैयार किए जा सकेंगे। फल स्वरूप यहां संतरे से जुड़े उद्योग स्थापित होने के साथ ही रोजगार का भी विस्तार हो सकेगा।