इंदौर. बेटमा से 6 किमी अंदर ग्राम अजन्दा। करीब छह साल पहले इस गांव में पीने के पानी का संकट था। शौचालय तो थे ही नहीं। प्राइमरी स्कूल था, लेकिन बिल्डिंग जर्जर। इलाज के लिए शहर जाना पड़ता था। कुछ जागरुक ग्रामीणों ने इन हालातों से गांव को छुटकारा दिलाने की ठानी। योजना बनाई। श्रमदान किया। अर्थदान भी। अब तस्वीर बदलने लगी है। गलियों में सीमेंटेड सड़कें बिछने लगी, हर गली के मुहाने पर नल कनेक्शन लग गया। मिडिल तक स्कूल है। कचरे का नामोंनिशा नहीं है। सप्ताह में एक दिन अस्पताल खुद चलकर गांव आता है। यानी स्मार्ट सिटी के हल्ले के बीच अजन्दा स्मार्ट गांव की राह पर चल पड़ा है।
अजन्दा से चार किमी दूर बसे सनावदा ने भी इसी दिशा में चलने की शुरुआात कर दी है। अच्छी बात यह है कि गांवों के विकास के लिए शहर भी साथ आया। इंदौर की सत्य साईं सेवा समिति के सदस्य वहां हर सप्ताह श्रमदान करने जाते हैं। इसी सहयोग से अजन्दा राष्ट्रपति के हाथों निर्मल ग्राम का पुरस्कार भी ले चुका है।
सनावदा में शुरुआत धर्म के माध्यम से
ग्रामीणों ने खुद अपनी एक फसल देकर सार्वजनिक मंदिर के साथ धर्मशाला बनाई है। आगे आसपास के तीन-चार तालाबों का गहरीकरण करने की योजना है। ग्राम के पूर्व मुखिया मुकेश पाटीदार कहते हैं यहां भी कुछ शौचालय बनना बाकी हैं, जिन्हें जल्द बनाएंगे। शासकीय मदद मिली तो ठीक, नहीं तो जनसहयोग से काम करेंगे।
सेवा कार्य में जुटी है यह टीम
मुकुल गोचरे, राजीव माथुर, कपिलदेव भल्ला, अमित दुबे, संजय नायक, कपिल खंडेलवाल सहित अन्य युवा और उद्यमी शामिल हैं।
मंदिर बना सामाजिक बदलाव का केंद्र
साल की एक फसल दान कर ग्रामीणों ने अजन्दा में ऐसा मंदिर बनाया जो आसपास के 15 गांवों में नहीं है। इस मंदिर को सामाजिक बदलाव का केंद्र बनाया जा रहा है। सत्य साईं सेवा समिति यहां बच्चों के विकास के लिए बाल संस्कार कक्षाएं चलाती है। यहां नशामुक्ति की सीख भी दी जाती है।
हर सप्ताह इन छह गांव में चलकर आता है अस्पताल
समिति ने अजन्दा, सनावदा, अटावदा, हरनासा, रंगवासा और चिकलौंदा मेंे स्वास्थ्य सुविधा का जिम्मा लिया है। हर दिन एक गांव में चलित मोबाइल वैन पहुंचती है। इसमें डॉक्टर, पैथोलाजिस्ट व नि:शुल्क दवा का इंतजाम रहता है।
स्मार्ट सिटी परिकल्पना
बिजली, पानी, इंटरनेट की अबाध्य आपूर्ति हो।
सड़कें, इमारतें योजनाबद्ध तरीके से हो।
सड़कों पर पैदल चलने की जगह हो, पार्क हो।
स्वच्छता हो।
स्मार्ट गांव हकीकत
पानी की अबाध्य आपूर्ति होने लगी।
अजन्दा में सड़कें योजनाबद्ध बन रही हैं। हर राह दूसरी राह से मिलती है।
चौड़ी सड़कें बन रही हैं।
स्वच्छता बढ़ रही है।