बढ़ी किसानों की चिंता, पहले सूखे की मार, अब भारी बारिश ने बढ़ाई की मुश्किलें, फसलें हुई बर्बाद
बढ़ी किसानों की चिंता, पहले सूखे की मार, अब भारी बारिश ने बढ़ाई की मुश्किलें, फसलें हुई बर्बाद
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राज्य में पिछले 3 दिनों से लगातार बारिश हो रही है। जिसके चलते नदी-नाले उफान पर हैं। आपको बता दें कि भारी बारिश ने कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है और किसानों की फसलों को भी नुकसान पहुंचाया है। कुछ दिन पहले तक मानसून की बेरुखी के कारण इंदौर संभाग समेत प्रदेश भर में किसान सूखे की समस्या से परेशान थे। सूखे के कारण खासतौर पर सोयाबीन की फसलें सूख गई थीं। सूखे के दौरान कम दिनों में पकने वाले सोयाबीन को सबसे अधिक नुकसान हुआ और लंबे समय तक पकने वाले सोयाबीन बच गए। लेकिन, अब मानसून की वापसी के साथ शुरू हुई धुंआधार बारिश ने पकने में अधिक समय लेने वाली सोयाबीन को भी बर्बाद कर दिया है। हालात ऐसे हैं कि ज्यादातर खेतों में पानी भर गया है, जिससे किसानों के सामने नई मुसीबत खड़ी हो गई है।

पहले इंदौर संभाग समेत प्रदेश भर के कई गांव सूखे की चपेट में थे, अब भारी बारिश के कारण इलाके में सोयाबीन और उड़द की फसल को नुकसान हो रहा है। हालांकि धान किसानों के लिए यह बारिश अच्छी है. वहीं कम दिनों में पकने वाली फसलें खेतों में सड़ने लगी हैं। सोयाबीन और उड़द की फसलें पक चुकी हैं। कुछ ही दिनों में इन फसलों की कटाई शुरू होनी है। लेकिन लगातार हो रही बारिश के कारण अब फसलों को नुकसान होने लगा है। पौधे खेत में ही सड़ने लगे हैं। हालांकि कम दिनों में पकने वाली सोयाबीन की फसल को ज्यादा नुकसान हुआ है। अभी लगातार बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुक्रवार से शनिवार तक पिछले दो दिनों में इंदौर संभाग में 11 इंच बारिश हुई। इंदौर के आसपास के तमाम इलाके पानी में डूबे हुए हैं। देपालपुर, सांवेर, महू, हातोद में भारी बारिश के कारण खेतों में पानी भरने से सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई है। जिससे किसान परेशान हैं। किसानों ने सरकार से सर्वे की मांग की है और सर्वे के आधार पर उचित मुआवजा देने की मांग की है।

इंदौर कृषि विभाग के उपसंचालक एसएस राजपूत का कहना है कि भारी बारिश के कारण सोयाबीन की 80 से 100 दिनों की किस्म वाली सोयाबीन को नुकसान हो रहा है। क्योंकि वह फसल लगभग तैयार हो चुकी थी। जिस सोयाबीन को 100 से 120 दिन में पकना था, उसे ज्यादा नुकसान होने की संभावना कम है। कृषि विभाग जल्द ही किसानों से बात कर सही स्थिति का पता लगाएगा और नुकसान के आंकड़े जारी करेगा।