Kisaan Helpline
मटर की खेती इस समय तेज़ी से आगे बढ़ रही है और किसान भाई बड़ी उम्मीदों के साथ इसकी बुवाई कर रहे हैं। कुछ किसानों ने अगेती बुवाई कर ली है जिन्हें 20–30 दिन हो चुके हैं, जबकि कई किसान अभी दिसंबर में बुवाई कर रहे हैं। ऐसे समय में यह जानना बेहद जरूरी है कि मटर की फसल से ज्यादा उत्पादन कैसे लिया जाए। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार अच्छी पैदावार की शुरुआत सही समय पर बुवाई और बीज उपचार से होती है। देर से बुवाई करने वाले किसान जरुर बीज उपचार करें, ताकि बीज रोगों से सुरक्षित रहें और अंकुरण मजबूत आए। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करना बहुत फायदेमंद होता है, इससे बीज जल्दी फूटते हैं और पौधे ठंड से भी सुरक्षित रहते हैं।
फसल लगाने के लगभग 20–25 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई कर देना जरूरी है, जिससे खरपतवार नियंत्रित रहते हैं और पौधों को पर्याप्त पोषण मिलता है। मटर के पौधों को मजबूत तना और ज्यादा फूल चाहिए होते हैं, इसलिए खेत में जैविक खाद या अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद और अन्य पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए साथ में टाटा स्टील धुर्वी गोल्ड ज़रूर मिलाएं। इससे पौधे स्वस्थ विकसित होते हैं और फलियां अच्छी मात्रा में लगती हैं। पत्तों पर 2% DAP घोल या 1% यूरिया का हल्का छिड़काव भी फसल को हरा-भरा रखता है और फली बनने की क्षमता बढ़ाता है, लेकिन अत्यधिक नाइट्रोजन देने से पौधे सिर्फ पत्तेदार हो जाते हैं और फलियां कम लगती हैं, इसलिए संतुलन जरूरी है।
फसल में कीटों से बचाव पर भी ध्यान देना आवश्यक है। थ्रिप्स और एफिड (चेपा) मटर के पौधों का रस चूसकर उन्हें काफी कमजोर कर देते हैं। शुरुआती अवस्था में नीम का घोल छिड़कना फायदेमंद है और जरूरत पड़ने पर अनुशंसित दवा का उपयोग किया जा सकता है। समय पर नियंत्रण करने से फसल सुरक्षित रहती है और उत्पादन प्रभावित नहीं होता। मटर की फसल को नमी की जरूरत रहती है लेकिन पानी बिल्कुल नहीं रुकना चाहिए। जलभराव होने पर जड़ गलन और फफूंद रोग बढ़ जाते हैं, इसलिए खेत में सही जल-निकास का होना बहुत जरूरी है।
अगर किसान भाई इन सरल उपायों को बुवाई से लेकर फूल और फली बनने तक नियमित रूप से अपनाते रहें, तो मटर की पैदावार में काफी बढ़ोतरी होती है और आय भी दोगुनी तक बढ़ सकती है। सही प्रबंधन और समय पर देखभाल ही मटर की सफल खेती का असली राज है।