Kisaan Helpline
मिट्टी की उर्वरता, नमी और लागत संबंधी समस्याओं का उपचार प्राकृतिक खेती में — पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्राकृतिक खेती भारतीय कृषि क्षेत्र की उन प्रमुख चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करती है, जिनमें मिट्टी की उर्वरता में गिरावट, नमी में कमी, दीर्घकालिक स्थिरता और लगातार बढ़ती खेती की लागत शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने यह बात बुधवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से साझा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में कोयंबटूर में आयोजित ‘साउथ इंडिया नेचुरल फार्मिंग समिट’ में किसानों को संबोधित करने के अपने हालिया अनुभव का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह देखकर प्रेरणा मिलती है कि बड़ी संख्या में महिला किसान प्राकृतिक खेती को अपना रही हैं और पर्यावरण-अनुकूल कृषि पद्धतियों की ओर बढ़ रही हैं।
प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले कई दशकों के दौरान रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग ने
मिट्टी की उर्वरता,
नमी स्तर,
और कृषि की दीर्घकालिक स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
उन्होंने यह भी कहा कि खेती की लागत लगातार बढ़ने से किसानों का बोझ और अधिक बढ़ा है। ऐसे में प्राकृतिक खेती इन चुनौतियों का सीधा और प्रभावी विकल्प है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में बताया कि पंचगव्य, जीवामृत, बीजामृत और मल्चिंग जैसे पारंपरिक जैव उर्वरकों और तकनीकों के उपयोग से:
मिट्टी का स्वास्थ्य बेहतर रहता है,
रसायनों के संपर्क में कमी आती है,
खेती की लागत घटती है,
और फसलें जलवायु परिवर्तन व असामान्य मौसम के प्रभावों का बेहतर सामना कर पाती हैं।
प्रधानमंत्री ने किसानों को 'वन एकड़, वन सीज़न' के सिद्धांत से प्राकृतिक खेती की शुरुआत करने की सलाह दी। उनका कहना है कि एक छोटे भूखंड पर प्राप्त सकारात्मक परिणाम किसानों में भरोसा बढ़ा सकते हैं और उन्हें बड़े पैमाने पर इस पद्धति को अपनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि जब पारंपरिक ज्ञान, वैज्ञानिक शोध और संस्थागत समर्थन एक साथ आते हैं, तो प्राकृतिक खेती एक व्यावहारिक, किफायती और रूपांतरकारी समाधान साबित हो सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश देशभर के किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर प्रोत्साहित करता है। उनके अनुसार, यह पद्धति न केवल मिट्टी का स्वास्थ्य और कृषि की स्थिरता बढ़ाती है, बल्कि भविष्य की टिकाऊ खेती का मजबूत आधार भी बन सकती है।