इस रबी सीजन गेहूँ की उपज बढ़ाने के 5 आसान तरीके

इस रबी सीजन गेहूँ की उपज बढ़ाने के 5 आसान तरीके

भारत में रबी सीजन के दौरान ज़्यादातर किसान गेहूँ और सरसों की खेती करते हैं। गेहूँ एक बहुत ही महत्वपूर्ण अनाज है, जो दुनिया भर में दूसरी सबसे ज़्यादा उगाई जाने वाली फसल है। लेकिन सवाल यह है — क्या किसानों को हमेशा अपनी मेहनत का सही फायदा मिलता है? अगर नहीं, तो उन्हें गेहूँ की पैदावार बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए?

गेहूँ की उपज बढ़ाने के 5 असरदार तरीके

1. उर्वरकों का सही उपयोग करें

किसान भाइयों, उर्वरकों का इस्तेमाल हमेशा मिट्टी की जाँच (Soil Test) के बाद ही करें। इससे आपको यह पता चलेगा कि आपकी मिट्टी में कौन-से पोषक तत्वों की कमी है।

उर्वरक की सही मात्रा (प्रति हेक्टेयर):

  • नत्रजन (Nitrogen): 150 किलो

  • फास्फोरस (Phosphorus): 60 किलो

  • पोटाश (Potash): 40 किलो

अन्य सुझाव:

  • बुवाई के समय प्रति एकड़ 50 किलो डीएपी डालें।

  • पहली सिंचाई के समय 40-50 किलो यूरिया और 5 किलो जिंक सल्फेट मिलाएं।

  • साथ ही, मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने और पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखने के लिए टाटा स्टील धुर्वी गोल्ड का उपयोग करें।
    यह उत्पाद मिट्टी में मौजूद 11 आवश्यक पोषक तत्वों को संतुलित करता है, जिससे फसल की जड़ें मजबूत बनती हैं, पौधों की वृद्धि तेज होती है और उत्पादन बेहतर होता है।

  • अच्छी फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 60 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद डालना भी बहुत लाभदायक होता है।


2. गेहूँ की सही किस्म का चयन करें

हर इलाके का मौसम और मिट्टी अलग होती है, इसलिए उसी के अनुसार गेहूँ की किस्म चुनना जरूरी है। कुछ अच्छी किस्में नीचे दी गई हैं:

  • DBW 370 (Karan Vaidehi) – ज़्यादा उपज (लगभग 75 क्विंटल/हेक्टेयर), बढ़िया गुणवत्ता।

  • HI 1636 (Pusa Vakula) – ज़िंक और प्रोटीन से भरपूर, पोषण के लिए बेहतर।

  • DBW 222 (Karan Narendra) – भूरे जंग (brown rust) से सुरक्षित।

  • HD 3385 – गर्मी में भी अच्छी पैदावार देने वाली किस्म।

 किसान अपने क्षेत्र के कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या कृषि विभाग से सलाह लेकर सही किस्म चुन सकते हैं।


3. बढ़ते तापमान से फसल की रक्षा करें

गर्मी गेहूँ के लिए सबसे बड़ा खतरा है, खासकर जब पौधों में दाने बनने लगते हैं।
इससे बचने के लिए:

  • समय पर सिंचाई करें, ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे।

  • खेत में सूखी घास, भूसा या प्लास्टिक शीट डालें – इससे मिट्टी ठंडी रहती है।

  • ऐसी किस्में लगाएँ जो गर्मी सहन कर सकें जैसे DBW 370, HD 3385

  • गेहूँ के लिए 20 से 25°C तापमान सबसे सही माना जाता है।


4. रोग और कीटों से फसल को सुरक्षित रखें

गेहूँ में कई रोग और कीट लगते हैं, जैसे — झुलसा, गेरुई, रतुआ, दीमक, माहू, सैनिक कीट, चूहे आदि।
इनसे बचने के लिए:

  • मैन्कोजेब (2 किग्रा/हेक्टेयर) या प्रोपिकोनाजोल 25% EC (0.5 लीटर) को 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

  • दीमक से बचाव के लिए नीम की खली (10 क्विंटल/हेक्टेयर) डालें।

  • माहू या सैनिक कीट के लिए क्यूनालफास 25% EC (1.5-2 लीटर) या फेंवेलेरेट 1 लीटर दवा का छिड़काव करें।

  • चूहों से बचने के लिए जहरीला चारा बनाएं (1 भाग जिंक फास्फाइड + 1 भाग सरसों तेल + 48 भाग दाना)।


5. खरपतवार (घास-फूस) नियंत्रण करें

खरपतवार गेहूँ की उपज को कम कर देते हैं। इनसे बचने के लिए:

  • समय पर निराई-गुड़ाई करें।

  • चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए 24D सोडियम साल्ट 80% WP (625 ग्राम) को 600-800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

  • मुल्चिंग (घास या पत्तियाँ) मिट्टी पर बिछाने से खरपतवार की बढ़त रुकती है।

  • ग्रीन मैन्योर फसलें जैसे मूंग, मसूर लगाने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और खरपतवार कम होते हैं।

निष्कर्ष

अगर किसान भाई इन बातों का ध्यान रखें —

  • सही बुवाई समय

  • उचित उर्वरक प्रयोग

  • अनुकूल किस्म का चयन

  • रोग-कीट और खरपतवार नियंत्रण

तो वे अपनी गेहूँ की उपज बढ़ा सकते हैं, फसल को स्वस्थ रख सकते हैं और अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. गेहूँ में कौन-कौन से रोग लगते हैं और उनका उपचार क्या है?
झुलसा, गेरुई और रतुआ आम रोग हैं। इनसे बचने के लिए मैन्कोजेब या प्रोपिकोनाजोल का छिड़काव करें।

2. गेहूँ की बुवाई का सही समय क्या है?
15 नवंबर से 30 नवंबर के बीच बुवाई सबसे उपयुक्त रहती है।

3. खरपतवार नियंत्रण के आसान तरीके क्या हैं?
निराई-गुड़ाई, मुल्चिंग, ग्रीन मैन्योर और फसल चक्रीकरण अपनाएँ।

4. गर्मी बढ़ने पर फसल कैसे बचाएँ?
समय पर सिंचाई करें, खेत में मुल्च डालें और गर्मी सहन करने वाली किस्में लगाएँ।

5. अपने क्षेत्र के लिए सही गेहूँ किस्म कैसे चुनें?
अपने नज़दीकी KVK या कृषि विभाग से सलाह लें।

6. घरेलू रोग-कीट नियंत्रण उपाय क्या हैं?
नीम की खली, गोबर खाद, तुलसी या नीम का अर्क छिड़काव करें और खेत की मिट्टी को धूप में ताप दें।

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