Gladiolus (ग्लेडियोलस)
Basic Info
आप जानते है ग्लेडियोलस एक बहुत ही सुन्दर फूल है जो सबसे ज्यादा लोकप्रिय फूलों में से एक है। इसके पौधो की ऊंचाई 2 से 8 फीट तक होती है। यह एक सदाबाहार फूल का पौधा है जिसके पत्ते तलवार जैसे,फूल का बाहरी हिस्सा चिमनी के जैसे मुड़े हुए और शाखाएं चम्मच की तरह होती है। इसके फूल अक्टूबर-मार्च के महीने में खिलते हैं। इससे कई प्रकार के फूल बनते हैं जैसे गुलाबी से लाल, हल्के जामुनी से सफेद, सफेद से क्रीम और संतरी से लाल आदि। यह कई बीमारीयों जैसे ज़ुकाम, दस्त, फफूंद संक्रमण और गर्दन तोड़ बुखार आदि के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। भारत में पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र आदि मुख्य उत्पादन क्षेत्र है।
Seed Specification
बुवाई का समय
बुवाई के लिए कन्दों को सितंबर से मध्य-नवंबर के महीने में बोया जाता हैं।
दुरी
लाईन से लाईन में 30 से.मी. की दुरी रखें और कन्दों में 20 से.मी. की दुरी होना चाहिए।
बीज की गहराई
ग्लेडियोलस के अच्छे विकास के लिए, कन्दों को 7 सैं.मी. गहरा बोयें।
बीज की मात्रा
एक हेक्टेयर की खेती में कन्दों की रोपाई हेतु लगभग दो लाख के कन्दों की आवश्यकता पड़ती है, यह मात्रा कन्दों की रोपाई की दूरी पर घट बढ़ सकती है।
बीज का उपचार
मिट्टी से होने वाली बिमारियों से बचाव के लिए बुवाई से पहले कन्दों को 0.2% बविस्टिन के घोल में आधे घंटे के लिए भिगोएं।
Land Preparation & Soil Health
अनुकूल जलवायु
ग्लेडियोलस एक शीत ऋतु की फसल है और इसे लंबे दिन व तीव्र रोशनी की जरूरत होती है। ग्लेडियोलस की खेती के लिए तापक्रम 16 डिग्री सेंटीग्रेट तथा अधिक तापक्रम 23 से 40 डिग्री सेंटीग्रेट उपयुक्त होता है, इसमे फूल आने पर बरसात नहीं होनी चाहिए।
भूमि का चयन
ग्लेडियोलस की खेती सभी प्रकार की मृदा में की जा सकती है लेकिन इसके लिए उपजाऊ एवं उत्तम जल निकासी वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त होती हैं। चिकनी मिट्टी की अवस्था में खेती से पहले इसमें पर्याप्त देसी खाद डालें, जिसका पी.एच. 5.5 से 6.5 के मध्य होना अनिवार्य हैं।
खेत की तैयारी
ग्लेडियोलस की खेती के लिए कन्दों की रोपाई से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई कर खेत को समतल और भुरभुरा कर देना चाहिए। इसके बाद खेत में आवश्यकता अनुसार उचित दूरियों पर क्यारियाँ बनाना चाहिए।
Crop Spray & fertilizer Specification
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
ग्लेडियोलस की खेती में पौधे के अच्छे विकास और बढ़वार के लिए कंदों की रोपाई से पहले खेत तैयारी के समय 20 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद (FYM) को मिट्टी में अच्छी तरह मिलायें। रासायनिक उर्वरक के रूप में नाइट्रोजन 115 किलो, फासफोरस 40 किलोऔर पोटाश 40 किलो प्रति एकड़ में शुरूआती खुराक के तौर पर डालें। नाइट्रोजन की खुराक दो हिस्सों में, पहली आधी मात्रा 2-3 पत्ते निकलने पर और बाकी बची हुई मात्रा, जब 5-6 पत्ते निकलने पर डालें।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकता अनुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए।
सिंचाई
सिंचाई मिट्टी और जलवायु के आधार पर और आवश्यकता अनुसार करें, हली सिंचाई घनकंदों के अंकुरण के बाद करनी चाहिए, इसके बाद सर्दियों में 10-12 दिन के अंतराल तथा गर्मियों में 5-6 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए।
Harvesting & Storage
फसल की कटाई
घनकंदों की बुवाई के पश्चात अगेती किस्मों में लगभग 60-65 दिनों में, मध्य किस्मों 80-85 दिनों तथा पछेती किस्मों में 100-110 पुष्प उत्पादन शुरू हो जाता है। पुष्प दंडिकाओं को काटने का समय बाजार की दूरी पर निर्भर करता है।
कटाई के बाद
तुड़ाई के बाद ताज़े फूलों को गत्ते के बक्सों में स्टोर किया जाता है। इन बक्सों को नज़दीकी मंडियों में व्यापार के लिए भेजा जाता है।
कंदों की खुदाई
पौधों से फूल काटने के 5 सप्ताह बाद पौधे सूख जाए तो कंदों को नन्ही कंदों के साथ खोद कर निकाल ले व बड़ी को अलग करें। कंदों की खुदाई से 2 से 3 सप्ताह पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए।
भंडारण
कंदों की खुदाई के बाद उन्हें एक सप्ताह तक छाया में सुखाने के बाद बाविस्टिन 0.2 प्रतिशत के घोल में 15 से 30 मिनट डुबोने के बाद सुखाकर हवादार स्थान पर शीतग्रह में भंडारण करें।