पशुओं की करें अच्छी देखभाल, ध्यान रखें इन बातों को
- अच्छा मानसून होने पर पशुशाला में जल भराव समस्या व आर्द्रता जनि रोगों के संक्रमण की संभावना रहती है, अतः सफाई का समुचित प्रबंध करें। पशुओं को सूखे व ऊँचे स्थानों पर रखें। साथ ही चारे का उपयुक्त भण्डारण सूखे व ऊँचे स्थानों पर करें। पशुशाला में फर्श, दीवार आदि सभी जगह मैलाथियान के 1 प्रतिशत घोल से सफाई करें। बरसात के मौसम में पशुघरों को सूखा एवं मक्खी रहित करने के लिए फिनाइल के घोल का छिड़काव भी करते रहें।
- वातावरणीय तापमान में उतार-चढ़ाव से पशुओं को बचाने के उपायों पर ध्यान दें।
- हरे चारे से सहलेज बनाएँ। हरे चारे के साथ सूखे चारे को मिलाकर खिलावें ।
- अक्टूबर माह से सर्दी का मौसम शुरू हो जाता है, अतः पशुओं को खुले में नहीं बाँधे।
- अक्टूबर माह में सर्दी के मौसम में अधिकतर भैंसें मद में आती हैं। अतः भैंसों को मद में आने पर समय पर ग्याभिन करवाएँ।
- मुँहपका खुरपका रोग, गलघोंटू, ठप्पा रोग, फड़किया रोग आदि के टीके यदि अभी भी नहीं लगवाए हैं तो समय रहते लगवा लें। परजीवीनाशक दवा देने का समय भी उपयुक्त है। परजीवीनाशक दवा को हर बार बदलकर उपयोग में लें।
- हरी घास व चारे की उपलब्धता बढ़ने पर पशु आहार में हरे चारे की मात्रा नियंत्रित ही रखें व सूखे चारे की मात्रा बढ़ाकर दें क्योंकि हरे चारे को अधिक मात्रा में खाने से पशुओ में हरे रंग की दस्त अथवा एसिडोसिस की समस्या हो सकती है।