मसूर की खेती में दिसम्बर माह में किये जाने वाले मुख्य कार्य
मसूर की बुआई के 45 दिनों बाद पहली हल्की सिंचाई करनी चाहिए। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि खेत में पानी जमा न हो पाए। इसके लिए खेत में जल निकास की उचित व्यवस्था होना बेहद जरूरी है। इसकी फसल में भी अधिक पानी की आवश्यकता नहीं है, किन्तु अधिक पैदावार के लिए एक या दो सिंचाई (पुष्पावस्था से पूर्व बुआई के 40-45 दिनों बाद) देने से उत्पादकता में वृद्धि होती है। यदि वर्षा हो जाती है, तो सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती. अधिक पानी होने पर मसूर में इसका प्रतिकूल असर होता है। माहू का प्रकोप होने पर डाइमिथोएट (0.03 प्रतिशत) का छिड़काव करें। रतुआ रोग के नियंत्रण हेतु घुलनशील गंधक (0.2-0.3 प्रतिशत) अथवा मेन्कोजैब (0.2 प्रतिशत) का छिड़काव करें। रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें।