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कांकेर ज़िला भारत के छत्तीसगढ़ राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय कांकेर है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

कस्टर्ड सेब आधारित उत्पाद को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में कस्टर्ड सेब आधारित उत्पाद के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

सीताफल का स्वाद आखिर कौन नहीं लेना चाहता है। इसका वानस्पतिक नाम अनौनत्रा अनोनास है। नंदेली गांव में इसको कठोर नाम से जाना जाता है, यह पेड़ बहुत पहले ही अन्य देशों से लाया गया था। इसका पेड़ छोटा और तना पूरी तरह से साफ छाल हल्के नीले रंग की लकड़ी होती है। इसकी मिठास और पूरा स्वाद इतना अच्छा है कि सीजन में हर कोई इसके स्वाद को चखना चाहता है। यह फल जितना ज्यादा मीठा है उतना ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। यहां पर छत्तीसगढ़ के कांकेर में इस फल की न सिर्फ प्राकृतिक रूप से काफी पैदावार हो रही है बल्कि हर साल इसका उत्पादन और विपणन भी बढ़ रहा है। कांकेर के सीताफल की अपनी अलग विशेषता होने के चलते अन्य स्थानों पर ज्यादा डिमांड रहती है।

सीताफल उत्पादन के लिए सर्वाधिक बेहतर वातावरण छत्तीसगढ़ ही मिलता है शायद यही कारण है कि यहां सीताफल का उत्पादन खूब होता है और पूरे देश में इसकी आपूर्ति यहीं से की जाती है। सरकार सीताफल प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर सीताफल के किसानों को समृद्ध करना चाहती है। सीताफल (Custard apple) की योजना से आइसक्रीम (Ice cream) तैयार करने की योजना है।

सीताफल का उत्पादन वैसे तो कई जगह पर होता है लेकिन कांकेर जिला का यह सीताफल राज्य में काफी प्रसिद्ध है। यहां पर प्राकृतिक रूप से उत्पादित सीताफल के 3 लाख 19 हजार पौधे उपलब्ध है, इससे प्रतिवर्ष अक्टूबर से नवंबर महीने तक कुल छह हजार टन सीताफल का उत्पादन होता है। यहां पर सीताफल के पौधों में किसी भी प्रकार के रासायनिक खाद और कीटनाशक का किसी भी तरह से प्रयोग नहीं किया जाता है।

जिला सीताफल उत्पादन एवं फल की गुणवत्ता के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध है। जिले के चार विकासखण्ड कांकेर, चारामा, नरहरपुर और दुर्गूकोंदल में लगभग 319 लाख सीताफल के वृक्षों की गणना की गई हैं। हर साल अक्टूबर-नवंबर महीने में लगभग 6 हजार मीट्रिक टन सीताफल का उत्पादन यहां होता है। 

जिले में कृषि विभाग ने महिला कृषकों को सीताफल का उचित मूल्य दिलाने के लिए 'कांकेर वैली फ्रेश कस्टर्ड एप्पल प्रोजेक्ट' शुरू किया। इसके लिए महिला स्व-सहायता समूह का गठन कर उसके माध्यम से सीताफल का संग्रहण व विक्रय किया जा रहा है। राजधानी रायपुर सहित दुर्ग-भिलाई में भी कांकेर की सीताफल की बड़ी मांग है। इस कार्य में महिलाएं सक्रिए होकर कार्य कर रही है, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ हो रहा है। इस काम की प्रशंसा नीति आयोग ने भी की हैं।