विमोचन एवं अधिसूचना वर्ष : 2019 (NEPZ) 2020 & 2021 (NWPZ)
यह प्रजाति पंजाब हरियाणा दिल्ली राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजनों को छोड़कर) पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी मंडल को छोड़कर) हिमाचल प्रदेश (ऊना व पाटा घाटी) जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों (जम्मू और कठुआ जिले) और उत्तराखंड (तराई क्षेत्र) के सिंचित क्षेत्रो में समय पर से बुआई के लिए उपयुक्त है।
यह किस्म सिंचित समय पर बुवाई की स्थिति मे उत्तर-पूर्वी राज्यों के मैदानी इलाकों इस में मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल के लिए अनुशंसित है।
25 अक्टूबर की अगेती बुवाई वाले एचवाईपीटी स्थिति जिसमे 150% एनपीके (225 किलो नाइट्रोजन: 90 किलो फॉस्फोरस : 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टर) और वृद्धिनियंत्रकों क्लोरमाक़्वेटक्लोराइड (CCC) @ 0.2% + टेबुकोनाजोल 250 ई सी @ 0.1% का दो बार छिड़काव (पहले नोड पर और फ्लैग लीफ) लाभकारी है। वृद्धि नियंत्रकों की 100 लीटर पानी में 200 मिली लीटर क्लोरमाक़्वेटक्लोराइड और 100 मिलीलीटर टेबुकोनाजोल (वाणिज्यिक उत्पाद मात्रा टैंक मिक्स) प्रति एकड़ मात्रा का प्रयोग करें।
अन्य विशेषताएं:
करण वंदना बुवाई के 77 दिनों बाद फूल देती है और 120 दिनों बाद परिपक्व होती है। इसकी औसत ऊँचाई 100 सेमी है जबकि क्षमता 64-75 क्विंटल प्रति 2.5 acres है।
यह पत्तों के झुलसने , ब्लास्ट और उनके अस्वस्थ दशा जैसी महत्त्वपूर्ण बीमारियों के खिलाफ बेहतर प्रतिरोध करता है।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार करण वंदना DBW-187 पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल के गंगा तटीय क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के लिए सबसे अधिक उपयुक्त प्रजाति है।
कम सिंचाई की आवश्यकता होती है मात्र दो से तीन सिंचाई में काम हो जाता है।
सामान्य गेहूं में प्रोटीन 10 से 12% और आयरन 30 से 40% होता है लेकिन करण वंदना DBW-187 में 12% प्रोटीन 42% आयरन पाया जाता है | इस प्रजाति के गेहूं में प्रोटीन और जैविक रूप से आयरन जिंक और अन्य महत्वपूर्ण खनिज अन्य गेहूं की तुलना में ज्यादा पाया जाता है।
करण वंदना DBW-187 गेहूं की इस किस्म खेती करने की परक्रिया समान्य है जैसे अन्य गेहूं की खेती करते थे वेसे ही करना है।
गेहूँ की किस्म - Wheat - DBW 187 (गेहूं - डीबीडब्ल्यू 187 (करण वंदना)) एक उच्च उपज क्षमता वाली गेहूं की किस्म है जो मध्यम अवधि में पकती है। यह किस्म विशेष रूप से रोग प्रतिरोधक क्षमता और मजबूत तने के लिए जानी जाती है। DBW 187 के दाने चमकदार, मोटे और रोटी के लिए उपयुक्त गुणवत्ता वाले होते हैं, जो किसानों के बीच लोकप्रिय हैं।
फसल सीजन:
रबी सीजन
बुवाई का समय:
15 अक्टूबर से 30 नवंबर तक (क्षेत्र के तापमान और नमी के अनुसार)
किस्म का नाम:
डीबीडबल्यू 187 (करण वंदना) [DBW 187 (Karan Vandana)]
बीज की मात्रा:
100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर (ड्रिल विधि)
120 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर (छिटकवां विधि)
फसल अवधि:
लगभग 110–115 दिन में पकने वाली किस्म
उपज क्षमता:
सिंचित अवस्था में: 45–50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
वर्षा पर आधारित खेती में: 35–40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
खेती का क्षेत्र:
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश
प्रतिरोधक क्षमता:
पीला रतुआ (Yellow Rust) के प्रति सहनशील
पाउडरी मिल्ड्यू और ब्राउन रस्ट से अच्छी सुरक्षा
ब्लास्ट रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधक
गिरने की संभावना कम
विशेषताएँ:
उच्च उपज देने वाली improved variety
मध्यम अवधि में पकने वाली
रोटी, दलिया और बेकरी उत्पादों के लिए उपयुक्त
मोटे, चमकदार व सुनहरे रंग के दाने
मजबूत तना, गिरने की संभावना कम
रोगों के प्रति अच्छी सहनशीलता
सिंचित और असिंचित दोनों परिस्थितियों के लिए उपयुक्त
अन्य विवरण:
सिफारिश किए गए राज्य: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश
अनुमोदन वर्ष: अनुशंसा वर्ष – लगभग 2014
उपयुक्त जलवायु: ठंडी व शुष्क जलवायु में सर्वोत्तम उत्पादन
कटाई का समय: फरवरी के अंत से मार्च के मध्य तक