Kishor Dhakad
03-12-2025सर्दियों के मौसम में चने की फसल तेजी से बढ़ती है, लेकिन जैसे-जैसे तापमान गिरने लगता है, फसल पर पाले (Frost), ठंडी हवाओं और नमी का खतरा बढ़ जाता है। यदि समय पर सही कदम न उठाए जाएँ तो अच्छी उपज भी कम हो सकती है। इसलिए किसानों के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि ठंड बढ़ने पर चने की फसल का कैसे सही प्रबंधन किया जाए।
ज्यादा ठंड में चने के पौधों में ये समस्याएं तेजी से दिखाई देती हैं:
पत्तियों का काला पड़ना या जलना
फूलों का झड़ना
बढ़वार रुक जाना
पौधे का कमजोर होना
फफूंदी और ब्लाइट जैसी बीमारियों का बढ़ना
4°C से नीचे तापमान जाने पर नुकसान ज्यादा होता है, इसलिए सतर्क रहना जरूरी है।
रात में तापमान गिरने से पहले हल्की सिंचाई करें।
इससे मिट्टी का तापमान बढ़ता है और पौधे पाले से सुरक्षित रहते हैं।
सुबह सूरज निकलने से ठीक पहले खेत में हल्का धुआँ करें।
यह हवा को गर्म रखता है और फसल पर सीधा पाला नहीं जमने देता।
ठंड में पौधे कमजोर हो जाते हैं, इसलिए पोषक तत्वों का सही प्रबंधन जरूरी है।
पोटाश पौधे की ठंड सहने की क्षमता बढ़ाता है और फूल झड़ने से रोकता है।
ठंड में मिट्टी सख्त हो जाती है और पोषक तत्वों की उपलब्धता कम हो जाती है।
इसी समय उत्तम गुणवत्ता का सॉइल कंडीशनर (जैसे कि कई किसान प्राकृतिक मल्टी-न्यूट्रिएंट कंडीशनर उपयोग करते हैं) मिट्टी को ढीला, उपजाऊ और पौधे के लिए अनुकूल बनाता है। जिससे पौधे ठंड के मौसम में भी मजबूत बने रहते हैं।
ठंड और नमी बढ़ने पर चने में ये रोग ज्यादा फैलते हैं:
ब्लाइट
फफूंदी रोग (Fungal infection)
पत्तों का सूखना या जलना
ठंड के दिनों में खरपतवार तेजी से बढ़ते हैं और नमी छीन लेते हैं।
समय पर निराई-गुड़ाई करने से चने की फसल स्वस्थ रहती है।
हर 2-3 दिन में खेत का निरीक्षण करें।
यदि पत्तियाँ सिकुड़ रही हों या जलने लगे तो तुरंत पाले से बचाव के उपाय अपनाएँ।
ठंड चने की फसल के लिए चुनौती बन सकती है, लेकिन सही समय पर सिंचाई, धुआँ, पोषक तत्व प्रबंधन, रोग नियंत्रण और अच्छे soil conditioner का उपयोग करने से फसल सुरक्षित रहती है और पैदावार भी बढ़ती है।
सर्दियों में चने की फसल की मोहब्बत से देखभाल करें—नतीजा जरूर बेहतर मिलेगा।
पाले और बहुत कम तापमान से पत्तियाँ जल जाती हैं और फूल झड़ जाते हैं।
हल्की सिंचाई करें, यह पौधों को तुरंत सुरक्षित करती है।
हाँ, धुआँ गर्माहट पैदा करता है और पाला पौधों पर नहीं बैठने देता।
यह पौधों की सहनशीलता बढ़ाता है, जिससे फसल स्वस्थ रहती है।
ब्लाइट, फफूंदी और पत्ती जलना। इनसे बचाव के लिए समय पर छिड़काव करें।
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