पहली सिंचाई के बाद गेहूं की पत्तियाँ पीली क्यों हो जाती हैं? जानिए वैज्ञानिक विश्लेषण एवं समाधान
प्रोफेसर (डॉ.) एस.के. सिंह
विभागाध्यक्ष, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी एवं पूर्व सह निदेशक अनुसंधान , डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार
गेहूं भारत की प्रमुख खाद्यान्न फसल है, जिसकी उत्पादकता काफी हद तक प्रारंभिक वृद्धि चरणों पर निर्भर करती है। बुवाई के लगभग 18–21 दिन बाद दी जाने वाली पहली सिंचाई, जिसे क्राउन रूट इनिशिएशन (CRI) चरण कहा जाता है, गेहूं के लिए अत्यंत संवेदनशील अवस्था है। इसी समय कई किसानों द्वारा यह देखा जाता है कि सिंचाई के कुछ दिनों बाद पौधों की पत्तियाँ हल्की हरी से पीली होती चली जाती हैं। यह घटना सामान्य होने के बावजूद वैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पौधे की भौतिक–जैविक प्रक्रियाओं तथा मिट्टी–पोषक तत्व–जल संतुलन से सीधे जुड़ी होती है। नीचे इसका विस्तृत वैज्ञानिक विश्लेषण प्रस्तुत है—
1. मिट्टी में जल–वायु संतुलन (Whapasa) का टूटना
सूखी या मध्यम नमी वाली मिट्टी में कणों के बीच लगभग 50% वायु और 50% जलवाष्प का सूक्ष्म वातावरण मौजूद रहता है, जिसे Whapasa कहा जाता है। इसी पर जड़ों का श्वसन, सूक्ष्म जीवों की क्रियाशीलता और पोषक तत्वों का घुलन–अवशोषण निर्भर करता है। पहली सिंचाई के बाद कई बार मिट्टी पूरी तरह जल से भर जाती है, जिससे यह संतुलन टूट जाता है।
वैज्ञानिक प्रभाव
• जड़ों को ऑक्सीजन कम मिलने लगती है।
• जड़ कोशिकाओं में एरोबिक श्वसन रुककर अनेरोबिक श्वसन शुरू होता है।
• ऊर्जा (ATP) का उत्पादन कम हो जाता है।
• जड़ें पोषक तत्वों को खींच नहीं पातीं।
• इन प्रक्रियाओं के कारण क्लोरोफिल संश्लेषण धीमा पड़ता है, और पत्तियाँ पीली दिखने लगती हैं।
2. जड़ प्रणाली पर जल–तनाव और “Root Shock”
पहली सिंचाई के बाद अचानक अत्यधिक नमी मिलने पर जड़ों की कार्यक्षमता 48–72 घंटे तक घट जाती है। इसे जल-तनाव (Water Stress) या Root Shock कहा जाता है।
परिणाम
• जड़ों का विस्तार रुकना
• बारीक अवशोषी जड़ों का नुकसान
• पोषक तत्वों का प्रवाह बाधित
• जब जड़ें सक्रिय नहीं रहतीं, तो पत्तियों में नाइट्रोजन, सल्फर और आयरन की कमी के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगते हैं, जिनका प्रमुख संकेत पीली पत्तियाँ (Chlorosis) है।
3. नाइट्रोजन की क्षणिक कमी (Transient Nitrogen Deficiency)
नाइट्रोजन गेहूं के लिए सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्त्व है, जो क्लोरोफिल निर्माण और प्रोटीन संश्लेषण में सीधा योगदान देता है। पहली सिंचाई के बाद मिट्टी में मौजूद नाइट्रोजन:
• पानी के साथ नीचे की सतहों में लीच हो जाता है,
• या अस्थायी रूप से पौधों के लिए अप्राप्य बन जाता है।
• इससे पौधे को क्षणिक नाइट्रोजन कमी महसूस होती है, जिसके लक्षण हैं:
• पुरानी पत्तियों का पीलापन
• पौधों का धीमा विकास
• हल्की हरापन से पूर्ण पीला रंग
• यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे, तो टिलरिंग क्षमता और दानों की संख्या प्रभावित हो सकती है।
4. मिट्टी के तापमान में अचानक गिरावट (Temperature Shock)
पहली सिंचाई अक्सर सर्दियों में दी जाती है। जब बहुत ठंडा पानी मिट्टी में पहुंचता है, तो मिट्टी का तापमान 3–6°C तक कम हो सकता है। कम तापमान से:
• जड़ एंजाइम गतिविधि धीमी पड़ती है
• पोषक तत्वों का अवशोषण कम होता है
• प्रकाश संश्लेषण दर घटती है
• इस वैज्ञानिक श्रृंखला का अंतिम परिणाम है—क्लोरोफिल टूटन में वृद्धि और पत्तियों का पीलापन।
5. सूक्ष्म पोषक तत्वों की अस्थायी कमी (Especially Iron & Sulphur)
अत्यधिक नमी के कारण मिट्टी का pH और रासायनिक संतुलन प्रभावित होता है। आयरन (Fe) और सल्फर (S) जैसे तत्व:
• घुलनशील रूप से अवघुलनशील रूप में परिवर्तित हो जाते हैं
• पौधों द्वारा अवशोषित नहीं हो पाते
• इससे नई पत्तियाँ नसों के बीच पीली (Interveinal Chlorosis) दिखाई देती हैं, जबकि नसें हरी रहती हैं। यह आयरन क्लोरोसिस का विशिष्ट लक्षण है।
6. मिट्टी की संरचना और भारी मिट्टी का प्रभाव
काली, भारी या दोमट मिट्टियाँ पानी रोकने की क्षमता अधिक रखती हैं। पहली सिंचाई के बाद इनमें....
• जल निकास धीमा होता है
• गैसों का विनिमय कम
• जड़ क्षेत्र अधिक समय अनेरोबिक रहता है
• इससे पीलापन अधिक तीव्र और लंबे समय तक बना रह सकता है।
7. उर्वरक प्रबंधन की त्रुटियाँ
यदि किसान
• पूरी नाइट्रोजन बुवाई के समय ही दे दें,
• टॉप ड्रेसिंग समय पर न करें,
• या जैविक कार्बन कम हो,
तो पहली सिंचाई के बाद नाइट्रोजन तेजी से नीचे चली जाती है और पौधे को तुरंत उपलब्ध नहीं रहती। परिणामस्वरूप पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं।
8. जैविक कारकों की भूमिका
अत्यधिक नमी से कुछ रोगजनक फफूंदें (जैसे Pythium, Fusarium) सक्रिय हो जाती हैं, जो जड़ गलन का कारण बनती हैं। प्रारंभिक अवस्था में रोग लक्षण भले स्पष्ट न हों, लेकिन पौधों में पोषक अवशोषण बाधित होने से पत्तियाँ पीली दिख सकती हैं।
अंत में....
पहली सिंचाई के बाद गेहूं की पत्तियों का पीला पड़ना मुख्यतः मिट्टी में जल–वायु संतुलन के टूटने, जड़ों की क्रियाशीलता घटने, नाइट्रोजन एवं सूक्ष्म तत्वों की अस्थायी कमी, तापमान परिवर्तन और भारी मिट्टी की जलधारण क्षमता से जुड़ा प्राकृतिक, लेकिन वैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण परिणाम है। यह स्थिति सामान्यतः अस्थायी होती है और उचित प्रबंधन के बाद पौधे पुनः हरे और स्वस्थ हो जाते हैं।
वैज्ञानिक सुझाव
• हल्की सिंचाई—खेत में जल जमाव न होने दें।
• पहली टॉप ड्रेसिंग—सिंचाई के 3–4 दिन बाद नाइट्रोजन दें।
• ड्रैनेज—नाली व्यवस्था अनिवार्य।
• जिंक/सल्फर/आयरन स्प्रे—यदि 7–10 दिन बाद भी पीलापन रहे।
• जैविक कार्बन बढ़ाएँ—व्हापासा में सुधार।