Kishor Dhakad
28-10-2025किसान भाइयों, खेती को लाभदायक बनाने के दो मुख्य तरीके हैं –
उत्पादन बढ़ाना
लागत घटाना
खेती में बीज, खाद, कीटनाशक, सिंचाई, मजदूरी और मशीनरी जैसे कई कामों में खर्च होता है। लेकिन अगर सही समय और सही तरीके से खेती की जाए, तो यही खर्च काफी कम किया जा सकता है। आइए जानते हैं खेत में लागत कम करने के 10 देसी और आसान उपाय
गोबर की खाद या कम्पोस्ट का उपयोग करें
रासायनिक खाद की जगह गोबर की खाद या कम्पोस्ट का प्रयोग करें।
इससे खर्च बहुत कम होता है और मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है।
जैविक खाद मिट्टी को मजबूत बनाती है और रासायनिक खाद के व्यर्थ होने से बचाती है।
एक ही फसल बार-बार उगाने से मिट्टी कमजोर होती है। इसलिए फसल बदलते रहें।
गेहूं या जौ के बाद चना, मूंग या उड़द जैसी दलहन फसलें उगाएँ।
इससे मिट्टी में नत्रजन बढ़ता है और अगली फसल को पोषण मिलता है।
कवर फसल (जैसे हरा चारा) मिट्टी की नमी बनाए रखती है।
देसी तरीके से कीट नियंत्रण करें।
खेत में मेंढ़क, पक्षी और लेडीबग जैसे कीट शिकारियों को बनाए रखें।
नीम या लहसुन का घोल बनाकर छिड़काव करें।
खेत के किनारे तुलसी, पुदीना या धनिया लगाने से कीट दूर रहते हैं।
रासायनिक कीटनाशक की जगह देसी उपाय अपनाएँ।
नीम, करंज, लहसुन, हींग, अजवाइन या हल्दी का मिश्रण छिड़कें।
फेरोमोन ट्रैप या प्रकाश जाल लगाकर कीटों को नियंत्रित करें।
पत्तियों पर सूखी मिट्टी का छिड़काव करें ताकि कीटों के अंडे नष्ट हों।
सही समय पर बोआई करने से पौधे मजबूत बनते हैं।
इससे कीट और रोगों का प्रकोप कम होता है।
समय पर बोआई से पानी, दवा और श्रम पर खर्च कम होता है और फसल की पैदावार बढ़ती है।
ज्यादा पौधे लगाने से संसाधनों की कमी होती है और उपज घटती है।
पौधों के बीच सही दूरी रखें।
बीज बोते समय राख, डंडा या धागे का इस्तेमाल कर सही अंतर बनाए रखें। इससे उपज 25% तक बढ़ सकती है और लागत घटती है।
हर साल बाजार से बीज खरीदने की बजाय अपने खेत में बीज तैयार करें।
स्वस्थ बीज चुनें और राइजोबियम या एजोटोबैक्टर से उपचार करें।
इससे बीज पर खर्च 40–60% तक कम होता है और अपने बीज की गुणवत्ता पर नियंत्रण रहता है।
सिंचाई में बचत करें
पानी की बर्बादी रोकने के लिए आधुनिक तरीके अपनाएँ।
टपक सिंचाई (Drip) या स्प्रिंकलर सिस्टम लगाएँ।
खेत की कतारों में मल्च (घास या पत्ते) डालें ताकि नमी बनी रहे।
इससे पानी की बचत होती है और पौधों की वृद्धि बेहतर होती है।
फसल कटने के बाद बचे डंठल या पत्तों को जलाएँ नहीं।
इन्हें खेत में पलट दें ताकि बारिश के पानी से सड़कर जैविक खाद बन जाएँ।
इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, खाद पर खर्च घटता है और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है।
मुख्य फसल के साथ दूसरी फसल लगाएँ।
जैसे गेहूं या मक्का के बीच चना, उड़द या अरहर लगाएँ।
इससे मिट्टी में नत्रजन बढ़ता है, कीट कम लगते हैं और कुल उत्पादन बढ़ता है।
यह एक सस्ता और प्राकृतिक तरीका है जिससे लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है।
इन देसी उपायों को अपनाकर किसान कम लागत में ज्यादा लाभ कमा सकते हैं।
जैविक खाद और देसी कीटनाशक से मिट्टी उपजाऊ रहती है।
सही सिंचाई और फसल प्रबंधन से खर्च घटता है।
स्वयं बीज तैयार करने से बाहरी निर्भरता कम होती है।
1. फसल अवशेष को खेत में क्यों छोड़ना चाहिए?
इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और यह प्राकृतिक खाद बनता है।
2. अगेती बोआई का क्या फायदा है?
पौधे मजबूत होते हैं, कीट और रोग कम लगते हैं और उत्पादन बढ़ता है।
3. कवर फसल क्या होती है और क्यों उगाएँ?
कवर फसल मिट्टी की नमी और पोषण बनाए रखती है और कटाव रोकती है।
4. देसी कीटनाशक कैसे मदद करते हैं?
ये कीटों को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करते हैं और रासायनिक खर्च घटाते हैं।
5. स्वयं बीज तैयार करना क्यों लाभदायक है?
इससे बीज पर खर्च बचता है और अपनी फसल की गुणवत्ता पर नियंत्रण रहता है।
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