केला अपशिष्ट को बनाइए सोने की खान – चार गुना कचरा, चार गुना आय!

केला अपशिष्ट को बनाइए सोने की खान – चार गुना कचरा, चार गुना आय!

केला अपशिष्ट को बनाइए सोने की खान – चार गुना कचराचार गुना आय!”

 

प्रोफेसर (डॉ.) एसके सिंह

विभागाध्यक्षपोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजीअधिकारी-प्रभारी (अतिरिक्त प्रभार), केला अनुसंधान केन्द्रगोरौलहाजीपुरपूर्व सह निदेशक 
अनुसंधान एवं पूर्व प्रधान अन्वेषकअखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (फल), 
डॉराजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयपूसासमस्तीपुरबिहार

 

केले का महत्वएक बहुउपयोगी पौधा

केला (Musa spp.) उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण फल है। इसके लगभग सभी भागफलपत्तेछद्म तनाफूल की कली और प्रकंदउपयोगी हैं। फल के अलावाइसके अन्य भागों का उपयोग खाद्य प्रसंस्करणऔषधीय उपयोगजैविक उर्वरकफाइबरऔर बायोएनेर्जी उत्पादन में किया जाता है।

 

बिहार में केला उत्पादन और अपशिष्ट

बिहार में केला उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। उदाहरण के लिएसमस्तीपुर जिले में वित्तीय वर्ष 2024-25 में 100 हेक्टेयर में टिश्यू कल्चर केले की खेती का लक्ष्य रखा गया थाजबकि किसानों ने 141 हेक्टेयर के लिए आवेदन किया था।

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