जलवायु परिवर्तन का खेती पर असर और किसानों के लिए समाधान

जलवायु परिवर्तन का खेती पर असर और किसानों के लिए समाधान

किसान भाइयों, आज जलवायु परिवर्तन (Climate Change) पूरी दुनिया के लिए बड़ी चिंता बन गया है। मौसम का सही समय पर न आना, कभी ज़्यादा बारिश तो कभी सूखा पड़ना – ये सब इसी का असर है। भारत जैसे देश में, जहाँ ज़्यादातर लोग खेती पर निर्भर हैं, इसका असर खेती पर साफ दिखाई देता है। आइए जानते हैं कि जलवायु परिवर्तन से खेती को क्या नुकसान हो रहा है और किसान इससे कैसे बच सकते हैं।

जलवायु परिवर्तन क्यों हो रहा है?

जलवायु परिवर्तन के कई कारण हैं —

  • ज्यादा प्रदूषण, फैक्ट्रियों का धुआँ और जंगलों की कटाई से वातावरण बिगड़ रहा है।

  • रासायनिक खाद और कीटनाशक के ज़्यादा उपयोग से मिट्टी और हवा दोनों खराब हो रही हैं।

  • कोयला, तेल और गैस जलाने से निकलने वाली गैसें धरती को गर्म बना रही हैं।

  • पशुओं से निकलने वाली मीथेन गैस भी जलवायु को प्रभावित करती है।

जलवायु परिवर्तन से क्या-क्या असर पड़ रहा है?

  • कभी बहुत ज़्यादा बारिश तो कभी बिल्कुल सूखा पड़ जाता है।

  • धरती और समुद्र का तापमान बढ़ रहा है।

  • बर्फ पिघल रही है और समुद्र का पानी बढ़ रहा है।

  • इससे खेती, पशुपालन, स्वास्थ्य और लोगों के जीवन पर असर पड़ रहा है।

खेती पर जलवायु परिवर्तन का असर

1. फसल उत्पादन में कमी:
मौसम के बदलने से फसल की पैदावार घट रही है।

  • अगर तापमान 1°C बढ़ जाए तो गेहूँ की पैदावार 17% तक घट सकती है।

  • और अगर 2°C बढ़ जाए तो धान का उत्पादन भी कम हो जाता है।

2. बारिश का बदलता पैटर्न:
कई जगह बहुत ज़्यादा बारिश होती है, तो कई जगह बिलकुल नहीं।
इससे मिट्टी की नमी खत्म होती है और सूखे जैसी स्थिति बन जाती है।

3. कार्बन गैस का बढ़ना:
हवा में कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ने से तापमान बढ़ता है।
कुछ समय तक इससे फसलों को फायदा होता है, लेकिन ज़्यादा तापमान से फसलें जल्दी पक जाती हैं और पैदावार घट जाती है।

4. कीट और बीमारियों का बढ़ना:
गर्मी और नमी बढ़ने से कीट-पतंगे और फसल रोग ज़्यादा फैल रहे हैं।
इससे फसलों को बड़ा नुकसान होता है।

5. अन्य नुकसान:

  • खरपतवार तेजी से बढ़ रहे हैं।

  • सब्जियों और दलहनों की पैदावार पर असर पड़ता है।

  • फसल घटने से किसानों की आमदनी भी घट जाती है।

किसानों के लिए आसान उपाय

किसान भाइयों, कुछ बातें अपनाकर हम जलवायु परिवर्तन का असर कम कर सकते हैं:

  • ऐसी फसलें लगाएँ जो सूखा या गर्मी झेल सकें, जैसे सूखा-सहिष्णु या ताप-सहनशील फसलें।

  • मौसम की जानकारी रखें और फसल बीमा कराएँ।

  • वर्षा जल संचयन, ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर से पानी की बचत करें।

  • मिश्रित खेती (Mixed Farming) करें ताकि एक फसल खराब हो तो दूसरी से नुकसान पूरा हो सके।

  • जैविक खाद और गोबर की खाद का उपयोग करें ताकि मिट्टी उपजाऊ बनी रहे।

  • वाटर शेड प्रबंधन से बारिश का पानी रोककर सिंचाई में काम लें।

  • आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक सलाह लेकर सही समय पर फसल बोएँ।

सरकार की योजनाएँ जो किसानों के काम आ सकती हैं

1. राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA):

  • मिट्टी और पानी की गुणवत्ता सुधारने का काम करता है।

  • सूखे इलाकों में खेती को बढ़ावा देता है।

  • किसानों को नई तकनीकें सिखाई जाती हैं।

2. राष्ट्रीय पहल – जलवायु अनुरूप कृषि (NICRA):

  • गाँव-गाँव वैज्ञानिक पहुँचाकर किसानों को नई तकनीक सिखाई जाती है।

  • मौसम के हिसाब से सही फसल और खेती का तरीका बताया जाता है।

  • किसानों को बदलते मौसम के अनुसार निर्णय लेने की क्षमता दी जाती है।

निष्कर्ष

किसान भाइयों, जलवायु परिवर्तन का असर हर फसल पर हो रहा है। अगर हम समय रहते सावधानी नहीं बरतेंगे तो नुकसान बढ़ेगा। इसलिए ज़रूरी है कि हम पानी की बचत करें, नई तकनीक अपनाएँ, विविध फसलें लगाएँ और सरकार की योजनाओं का फायदा लें। अगर किसान जागरूक रहेंगे और वैज्ञानिक तरीके से खेती करेंगे तो जलवायु परिवर्तन के नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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