Kishor Dhakad
02-06-2025खरीफ सीजन दस्तक दे चुका है और किसान भाई अपनी ज़मीन को उपजाऊ फसल के लिए तैयार करने में लगे हैं। इस बार भारतीय मौसम विभाग ने सामान्य मानसून की उम्मीद जताई है, जिससे सोयाबीन की खेती करने वालों के लिए यह मौसम बेहद फायदेमंद हो सकता है।
अगर आप समय पर बुआई और सही किस्म का चुनाव करते हैं, तो पैदावार भी बेहतर मिलेगी और रोगों से भी राहत रहेगी। इस लेख में हम आपको 5 ऐसी सोयाबीन किस्मों के बारे में बताएंगे जो इस बारिश के मौसम में शानदार विकल्प साबित हो सकती हैं।
1. JS 2034 – कम पानी में भी भरपूर पैदावार
खासियत: यह किस्म कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी अच्छी उपज देती है।
बुआई का समय: 15 जून से 30 जून तक
फसल अवधि: 80-85 दिन
उपज: 24-25 क्विंटल/हेक्टेयर
रोग प्रतिरोधक: पीला वायरस, चारकोल सड़न, पत्ती धब्बा
जल्दी तैयार होने वाली सोयाबीन किस्म, रोग प्रतिरोधक और बाजार में अच्छी कीमत मिलने की संभावना।
2. JS 2069 – जल्दी पकने वाली और ज्यादा सुरक्षित किस्म
खासियत: विभिन्न मिट्टियों में अनुकूल, जल्दी फसल, दोहरी खेती का मौका।
फसल अवधि: 85-90 दिन
उपज: 22-26 क्विंटल/हेक्टेयर
रोग प्रतिरोधक: येलो मोज़ेक, स्टेम फ्लाई, लीफ ईटर, व्हील बीटल आदि
जल्दी पकने और मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण किसानों की पसंद।
3. BS 6124 – बैंगनी फूल और अलग पहचान
फसल अवधि: 90-95 दिन
उपज: 20-25 क्विंटल/हेक्टेयर
खास पहचान: बैंगनी फूल और लंबे पत्ते
बेहतर उपज के साथ बाजार में विशिष्ट पहचान बनाने वाली किस्म।
4. MACS 1407 – उत्तर भारत के लिए आदर्श किस्म
फसल अवधि: 104 दिन
बुआई का समय: 20 जून से 5 जुलाई
उपज: 39 क्विंटल/हेक्टेयर
रोग प्रतिरोधक: व्हाइट फ्लाई, गर्डल बीटल, डिफोलिएटर आदि
यांत्रिक कटाई के लिए उपयुक्त, अधिक उपज और कीटनाशक की कम जरूरत।
5. NRC 181 – ज्यादा उपज और रोगों से सुरक्षा
फसल अवधि: 90-95 दिन
उपज: 16-17 क्विंटल/हेक्टेयर
रोग प्रतिरोधक: पीला मोज़ेक, टारगेट लीफ स्पॉट
सीमित वृद्धि वाली किस्म जिससे देखभाल आसान होती है और रोगों से राहत भी मिलती है।
किसानों के लिए जरूरी सलाह:
बुआई का सही समय: 15 जून से 10 जुलाई के बीच
बीज उपचार ज़रूरी: रोगों से बचाव और अच्छा अंकुरण
मिट्टी जांच कर खाद का प्रयोग करें
बीज हमेशा प्रमाणित स्रोत से खरीदें
फसल बीमा जरूर करवाएं
इस बार के मानसून में यदि आप इन 5 सोयाबीन किस्मों में से कोई अपनाते हैं तो न सिर्फ उपज बढ़ेगी, बल्कि रोगों से भी काफी हद तक बचाव होगा। सोच-समझकर किस्म का चयन करें और खेती में नई सफलता की ओर बढ़ें।
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