Kishor Dhakad
02-08-2025धनिया एक खुशबूदार मसाले वाली फसल है। इसकी बुवाई अक्टूबर से नवंबर के बीच की जाती है। यह फसल लगभग 90 से 110 दिनों में तैयार हो जाती है। जब पौधे सूखने लगते हैं और बीज पक जाते हैं, तब इसकी कटाई फरवरी से मार्च के बीच की जाती है। कटाई के बाद पौधों को धूप में सुखाकर बीज निकाले जाते हैं। इसके बीज और पत्तियाँ दोनों उपयोगी होते हैं। पत्तियाँ खाने में स्वाद और खुशबू बढ़ाती हैं, जबकि बीज से मसाला बनाया जाता है। यह पाचन में मदद करता है और आयुर्वेद में भी इसका उपयोग होता है। किसानों के लिए यह एक लाभदायक फसल है क्योंकि इसकी बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है।
धनिया की खेती: बुवाई, देखभाल और कटाई का सही तरीका
धनिया की खेती कब और कैसे करें?
-बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह से जोतकर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए और खेत समतल होना चाहिए ताकि पानी एक जगह ना रुके।
-बीजों को बोने से पहले 6 घंटे तक गर्म पानी में भिगोकर या फफूंदनाशक दवा से उपचारित करना चाहिए ताकि बीमारियों से बचा जा सके।
-एक एकड़ खेत के लिए लगभग 8 से 10 किलो बीज की जरूरत होती है।बीजों की बुवाई कतारों में करनी चाहिए, जिसमें कतार से कतार की दूरी लगभग 25-30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।
-बुवाई के बाद हल्की मिट्टी से बीजों को ढक देना चाहिए। पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करनी चाहिए और फिर हर 10-15 दिन पर जरूरत के अनुसार सिंचाई करनी चाहिए।
-फूल और दाना बनने के समय सिंचाई विशेष रूप से जरूरी होती है। फसल में जंगली घास की रोकथाम के लिए 20-25 दिन बाद एक बार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए।
-धनिया में झुलसा, पत्ती झुलसा, और एफिड जैसे कीट व रोग लग सकते हैं। इनसे बचने के लिए नीम का तेल या हल्के कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकता है और रोग आने पर फफूंदनाशक जैसे मैनकोजेब या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का प्रयोग करें।
-जब पौधे सूखने लगें और बीज पककर हल्के भूरे रंग के हो जाएं, तब फरवरी से मार्च के बीच कटाई की जाती है। कटाई के बाद पौधों को धूप में सुखाकर बीज निकाले जाते हैं।
धनिया की प्रमुख किस्में और उनकी विशेषताएँ
-आरसीआर-41 (RCR-41): यह एक उन्नत किस्म है जो सूखे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसमें दाने मध्यम आकार के होते हैं और सुगंध अच्छी होती है।
-सुजाता (Sujata):यह किस्म खासतौर पर बीज उत्पादन के लिए उगाई जाती है। बीज सुगंधित और मध्यम आकार के होते हैं।
-अजमेर ग्रीन: हरे धनिये के लिए प्रसिद्ध।धनिया से बीज निकालने के लिए अलग खेत या दूरी बनाकर खेती करनी चाहिए ताकि शुद्धता बनी रहे।
बीज उत्पादन के लिए मुख्य फसल से दूरी पर खेती करना जरूरी होता है। धनिया की कटाई के बाद जब बीज सूख जाएं तो उन्हें गहाई करके अलग करें और साफ-सुथरा करके अच्छी तरह सुखा लें। फिर बीजों को सूखे, ठंडे और हवा वाले स्थान पर स्टोर करें ताकि वे खराब न हों।धनिया सिर्फ घरेलू मसाला नहीं है, बल्कि इसका उपयोग अचार, दवाइयों, सुगंधित तेल और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी होता है। इससे किसान को अच्छा बाजार मूल्य मिल सकता है। भारत से कई देशों में धनिया के बीज और पाउडर का निर्यात होता है, जिससे विदेशी मुद्रा भी अर्जित की जाती है। यह छोटे किसानों के लिए भी बड़ा मौका है।धनिया को कई फसलों जैसे चना, गेहूं, या प्याज के साथ भी बोया जा सकता है। इससे भूमि का अच्छा उपयोग होता है और रोगों का खतरा भी कम होता है।
धनिया की खेती के कुछ प्रमुख फायदे हैं जैसे
-धनिया की खेती बहुत आसान होती है। इसमें ज्यादा मेहनत या विशेष मशीनों की जरूरत नहीं होती।
-छोटे किसान भी इसे आसानी से उगा सकते हैं।धनिया की खेती में खाद, कीटनाशक और सिंचाई की जरूरत कम होती है।
-बीज की मात्रा भी कम लगती है, जिससे खेती की कुल लागत बहुत कम आती है।
-धनिया एक ऐसा मसाला है जिसकी बाजार में हमेशा मांग रहती है – चाहे बीज हो या हरी पत्तियाँ। इससे किसान को फसल बेचने में कोई परेशानी नहीं होती।
-धनिया एक बहुत ही उपयोगी और लाभकारी फसल है। इसकी खेती करना आसान है, लागत कम आती है और बहुत कम समय में यह फसल तैयार हो जाती है।
-धनिया की पत्तियाँ और बीज दोनों ही बाजार में बिकते हैं, जिससे किसानों को दोहरा लाभ होता है।
-धनिया की मांग पूरे साल बनी रहती है, जिससे बिक्री में कोई परेशानी नहीं होती।
धनिया की खेती न केवल आसान और कम खर्चीली है, बल्कि यह एक उपयोगी, लाभदायक और टिकाऊ कृषि विकल्प भी है। आने वाले समय में यह किसानों के लिए अच्छी आय और व्यवसाय का मजबूत साधन बन सकता है।
धनिया फसल उत्पादन से जुड़े प्रश्नों-
1) धनिया की फसल कितने दिनों में तैयार होती है?
फसल लगभग 90 से 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
2) कौन-सी मिट्टी धनिया के लिए सबसे अच्छी है?
हल्की दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी जिसमें पानी का निकास अच्छा हो।
3) धनिया की कौन-कौन सी उन्नत किस्में हैं?
आरसीआर-41, सुजाता, अजमेर ग्रीन, को-4 आदि प्रमुख किस्में हैं।
4) हरे धनिया की तुड़ाई कितने दिन बाद की जा सकती है?
बुवाई के 30–40 दिन बाद पत्तियाँ तोड़ने लायक हो जाती हैं।
5) धनिया में कौन-कौन से रोग लगते हैं?
झुलसा, पत्ती धब्बा और एफिड जैसे रोग व कीट लगते हैं।
6) धनिया की खेती में कौन-कौन सी खाद डालनी चाहिए?
गोबर की खाद + नाइट्रोजन (30-40 किग्रा/हेक्टेयर) और फॉस्फोरस (20-30 किग्रा/हेक्टेयर) देना चाहिए।
7) धनिया की खेती में सिंचाई कितनी बार करनी होती है?
पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद, फिर हर 10–15 दिन में।
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