बाजरा की खेती कैसे करें? जानिए उन्नत विधि और बेहतर पैदावार के तरीके

बाजरा की खेती कैसे करें? जानिए उन्नत विधि और बेहतर पैदावार के तरीके

क्या आप जानते हैं कि बाजरा सिर्फ सेहतमंद ही नहीं, बल्कि हजारों साल पुराना अनाज भी है? यह अनाज खराब मिट्टी और कम पानी में भी आसानी से उग जाता है! बाजरा में फाइबर, आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है। खास बात यह है कि बाजरा एक ग्लूटेन-फ्री अनाज है, और इसे अंतरिक्ष मिशनों के लिए भी उपयुक्त माना गया है! अब हम इसी बाजरे की फसल उत्पादन के बारे में जानेंगे और साथ ही बाजरे की खेती की कुछ प्रसिद्ध व उपयोगी विधि और बेहतर पैदावार के तरीके को भी समझेंगे।


बाजरा की खेती कैसे करें? 

बुवाई का सही समय:-

बाजरा की खेती के लिए जुलाई का महीना सबसे उपयुक्त होता है, खासकर खरीफ मौसम में. कुछ क्षेत्रों में, रबी मौसम के लिए अक्टूबर में भी बुवाई की जा सकती है।यदि गर्मियों में इसकी खेती करेगें तो मार्च से अप्रैल के मध्य तक इसकी बुवाई कर दें।


भूमि की चुनाव:-

बलुई दोमट या दोमट भूमि बाजरा के लिए अच्छी रहती है। भली भॉति समतल व जीवांश वाली भूमि में बाजरा की खेती करने से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।


खेत की तैयारी:-

बाजरे की अच्छी फसल के लिए पहले खेत की एक बार 10–12 सेंटीमीटर गहराई तक मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करें, फिर 2–3 बार हल्की जुताई करें और पाटा लगाकर खेत को समतल बना लें। बुवाई से लगभग 20 दिन पहले प्रति एकड़ 4 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। पैदावार बढ़ाने के लिए आखिरी जुताई से पहले प्रति एकड़ 10 किलो नत्रजन, 12 किलो फास्फोरस और 12 किलो पोटाश मिलाना लाभकारी होता है।


बीज दर:-

दाने के लिए 4-5 किलोग्राम प्रति हे. पर्याप्त होता है बीज को 2.5 ग्राम थीरम या 2.0 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किग्रा. की दर से शोधित कर लेना चाहिए।


बुवाई की विधि:-

बाजरा की बुवाई लाईन में करने से अधिक उपज प्राप्त होती है। बुवाई में पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेमी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेमी. रखनी चाहिए।


खरपतवार नियंत्रण / निराई-गुड़ाई:-

बाजरे की बुवाई के बाद अंकुर निकलने से पहले खरपतवार रोकने के लिए 0.5 किलोग्राम एट्राजीन को 700–800 लीटर पानी में मिलाकर एक समान रूप से छिड़काव करें। यदि खरपतवार उग आएं तो निकाई के बाद गहरी गुड़ाई करें। इससे न केवल खरपतवारों पर नियंत्रण होता है बल्कि मिट्टी में नमी भी बनी रहती है।'


फसल सुरक्षा:-

बाजरा तेजी से बढ़ने वाली फसल है, और गर्मियों में बोने पर इसमें कीट व रोग कम लगते हैं। फिर भी रोगों से बचाव के लिए कुछ सावधानियाँ और उपाय अपनाना जरूरी होता है।


बाजरे की कटाई का समय और तरीका:-

बाजरे की कटाई तब करनी चाहिए जब इसकी बालियाँ पककर पीली या सुनहरी हो जाएं। आमतौर पर बुवाई के 80–100 दिनों बाद फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। कटाई हाथ से हंसिए की मदद से की जाती है। कटाई के बाद बालियों को सुखाकर दानें निकाले जाते हैं। दानों को साफ कर सूखे स्थान पर संग्रहित करें।


बाजरा की उन्नत विधि और बेहतर पैदावार के तरीके


-बाजरा की उन्नत खेती के लिए, सही किस्म का चयन, उचित समय पर बुवाई, उर्वरकों का सही उपयोग, खरपतवार नियंत्रण, और सिंचाई प्रबंधन महत्वपूर्ण हैं। इन विधियों को अपनाकर, किसान बाजरा की बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।


-बाजरा की फसल की बुआई 25 सें.मी. की दूरी में पंक्तियों में तथा सीडड्रिल से 1.5-2 सें.मी. दूरी पर करनी चाहिए। इसके लिए 6-8 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर बीज पर्याप्त है।


-अच्छी पैदावार के लिए जरूरी है की आप बाजरे की उन्नतशील किस्मों का ही चुनाव करें जैसे आई.सी. एम.बी 155, डब्लू.सी.सी.75, आई.सी. टी.बी.8203 आदि।


-बाजरे की फसल से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए उचित फसल चक्र आवश्यक है। असिंचित क्षेत्रों में बाजरे के बाद अगले वर्ष दलहन फसल जैसे ग्वार, मुंग, मोठ लेनी चाहिए।


-फसल पर रोग-कीट कम लगते हैं, फिर भी निगरानी रखें और जरूरत पर जैविक या कम ज़हरीले उपाय अपनाएं।


-कटाई में देर करने से दाने झड़ सकते हैं, इसलिए सही समय पर फसल काटें।


-अधिकतर बाजरा वर्षा आधारित फसल है, लेकिन अधिक सूखे में फूल और दाना बनने के समय एक सिंचाई लाभदायक होती है।


-बुवाई के पहले 30 दिनों में खरपतवार नियंत्रण अत्यंत आवश्यक होता है। हाथ से निराई या हल्की गुड़ाई करके खरपतवार नियंत्रित किए जा सकते है। 


-बाजरा स्वास्थ्य के साथ-साथ किसानों के लिए भी फायदेमंद है। उन्नत तरीकों से इसकी खेती करने पर अच्छी पैदावार और लाभ मिलता है।

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline