Kishor Dhakad
12-08-2025क्या आप जानते हैं कि बाजरा सिर्फ सेहतमंद ही नहीं, बल्कि हजारों साल पुराना अनाज भी है? यह अनाज खराब मिट्टी और कम पानी में भी आसानी से उग जाता है! बाजरा में फाइबर, आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है। खास बात यह है कि बाजरा एक ग्लूटेन-फ्री अनाज है, और इसे अंतरिक्ष मिशनों के लिए भी उपयुक्त माना गया है! अब हम इसी बाजरे की फसल उत्पादन के बारे में जानेंगे और साथ ही बाजरे की खेती की कुछ प्रसिद्ध व उपयोगी विधि और बेहतर पैदावार के तरीके को भी समझेंगे।
बाजरा की खेती कैसे करें?
बुवाई का सही समय:-
बाजरा की खेती के लिए जुलाई का महीना सबसे उपयुक्त होता है, खासकर खरीफ मौसम में. कुछ क्षेत्रों में, रबी मौसम के लिए अक्टूबर में भी बुवाई की जा सकती है।यदि गर्मियों में इसकी खेती करेगें तो मार्च से अप्रैल के मध्य तक इसकी बुवाई कर दें।
भूमि की चुनाव:-
बलुई दोमट या दोमट भूमि बाजरा के लिए अच्छी रहती है। भली भॉति समतल व जीवांश वाली भूमि में बाजरा की खेती करने से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
खेत की तैयारी:-
बाजरे की अच्छी फसल के लिए पहले खेत की एक बार 10–12 सेंटीमीटर गहराई तक मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करें, फिर 2–3 बार हल्की जुताई करें और पाटा लगाकर खेत को समतल बना लें। बुवाई से लगभग 20 दिन पहले प्रति एकड़ 4 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। पैदावार बढ़ाने के लिए आखिरी जुताई से पहले प्रति एकड़ 10 किलो नत्रजन, 12 किलो फास्फोरस और 12 किलो पोटाश मिलाना लाभकारी होता है।
बीज दर:-
दाने के लिए 4-5 किलोग्राम प्रति हे. पर्याप्त होता है बीज को 2.5 ग्राम थीरम या 2.0 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किग्रा. की दर से शोधित कर लेना चाहिए।
बुवाई की विधि:-
बाजरा की बुवाई लाईन में करने से अधिक उपज प्राप्त होती है। बुवाई में पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेमी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेमी. रखनी चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण / निराई-गुड़ाई:-
बाजरे की बुवाई के बाद अंकुर निकलने से पहले खरपतवार रोकने के लिए 0.5 किलोग्राम एट्राजीन को 700–800 लीटर पानी में मिलाकर एक समान रूप से छिड़काव करें। यदि खरपतवार उग आएं तो निकाई के बाद गहरी गुड़ाई करें। इससे न केवल खरपतवारों पर नियंत्रण होता है बल्कि मिट्टी में नमी भी बनी रहती है।'
फसल सुरक्षा:-
बाजरा तेजी से बढ़ने वाली फसल है, और गर्मियों में बोने पर इसमें कीट व रोग कम लगते हैं। फिर भी रोगों से बचाव के लिए कुछ सावधानियाँ और उपाय अपनाना जरूरी होता है।
बाजरे की कटाई का समय और तरीका:-
बाजरे की कटाई तब करनी चाहिए जब इसकी बालियाँ पककर पीली या सुनहरी हो जाएं। आमतौर पर बुवाई के 80–100 दिनों बाद फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। कटाई हाथ से हंसिए की मदद से की जाती है। कटाई के बाद बालियों को सुखाकर दानें निकाले जाते हैं। दानों को साफ कर सूखे स्थान पर संग्रहित करें।
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