भारत में अक्टूबर का महीना किसानों के लिए “नई शुरुआत” का समय होता है। मानसून की वर्षा समाप्त होने के बाद खेतों में पर्याप्त नमी रहती है, जो बीज अंकुरण और पौधों की वृद्धि के लिए बेहद फायदेमंद होती है। यही समय होता है रबी फसलों की बुवाई का। यदि किसान सही फसल और तकनीक का चयन करें, तो पैदावार और मुनाफा दोनों दोगुना हो सकता है।
अक्टूबर में बोई जाने वाली प्रमुख फसलें
1. गेहूं (Wheat)
- बुवाई का समय: गेहूं की बुवाई 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक
- बीज की मात्रा: 100–125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
- उपयुक्त किस्में: HD-2967, HD-3086, PBW-343, DBW-187
ICAR के अनुसार सही समय पर गेहूं की बुवाई करने से किसान प्रति एकड़ ₹4,000–₹6,000 तक अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
2. जौ (Barley)
- बुवाई का समय: जौ की बुवाई अक्टूबर मध्य से नवंबर के पहले सप्ताह तक
- बीज की मात्रा: 80–100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
- किस्में: RD-2035, RD-2552, RD-2660
- लाभ: जौ पशु चारे, बियर उद्योग और फसल चक्र के लिए लाभकारी फसल है।
3. चना (Gram / Bengal Gram)
- बुवाई का समय: चना की बुवाई अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से नवंबर तक
- बीज की मात्रा: 75–100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
- किस्में: Pusa-256, GNG-1581, JG-315
सुझाव:
हल्की नमी वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है।
बीजोपचार राइजोबियम कल्चर से अवश्य करें।
4. सरसों (Mustard)
- बुवाई का समय: सरसो की बुवाई अक्टूबर से नवंबर के मध्य तक
- बीज की मात्रा: 4–5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
- किस्में: Pusa Bold, Varuna, RH-749, Pusa Mahak
सुझाव:
मिट्टी में हल्की नमी होनी चाहिए।
बुवाई के 20–25 दिन बाद पहली सिंचाई करें।
5. मटर (Pea)
- बुवाई का समय: मटर की बुवाई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के पहले सप्ताह तक
- बीज की मात्रा: 70–80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
- किस्में: Arkel, Azad P-1, Pant P-5
- लाभ: मटर मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाती है और फसल चक्र के लिए लाभकारी है।
6. लहसुन और प्याज (Garlic & Onion)
- बुवाई का समय: अक्टूबर के पहले-दूसरे सप्ताह तक
- बीज की मात्रा: प्याज – 8–10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, लहसुन – 500–600 किलोग्राम कलियाँ प्रति हेक्टेयर
सुझाव:
अच्छी सिंचाई व्यवस्था और खरपतवार नियंत्रण आवश्यक है।
7. मसूर (Lentil)
- बुवाई का समय: अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर तक
- बीज की मात्रा: 30–40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
- किस्में: Pant L-406, Pusa Vaibhav, Malika
- लाभ: यह कम पानी और कम लागत में भी अच्छी पैदावार देने वाली फसल है।
अक्टूबर माह में फसल प्रबंधन सुझाव
1. भूमि की तैयारी
- खेत में नमी बनाए रखें और गहरी जुताई करें।
- दो बार जुताई और एक बार पाटा लगाएँ ताकि बीज अंकुरण बेहतर हो।
- जैविक खाद जैसे गोबर की खाद या कम्पोस्ट मिलाएँ।
2. उर्वरक प्रबंधन
- नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का संतुलित प्रयोग करें।
- राइजोबियम, पीएसबी जैसे जैव उर्वरक का उपयोग करें।
- मिट्टी परीक्षण के आधार पर खाद की मात्रा तय करें।
3. नमी और सिंचाई
- प्रारंभिक सिंचाई बहुत महत्वपूर्ण है।
- गेहूं, सरसों और चना जैसी फसलों में पहली सिंचाई 20–25 दिन बाद करें।
- जल निकासी की व्यवस्था रखें ताकि जलभराव न हो।
4. कीट एवं रोग नियंत्रण
- बीजोपचार से फफूंदी और दीमक से बचाव होता है।
- नीम आधारित कीटनाशक या सिफारिश की गई दवाओं का प्रयोग करें।
- फसलों में एफिड, झुलसा आदि की नियमित निगरानी करें।
5. फसल चक्र और मिश्रित खेती
- फसल चक्र अपनाएँ जैसे – गेहूं के बाद मूंग, सरसों के बाद मक्का।
- मिश्रित खेती जैसे चना + सरसों या मटर + गेहूं से दोगुना लाभ प्राप्त हो सकता है।
6. जैविक खेती
- जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट, और गोमूत्र आधारित छिड़काव करें।
- रासायनिक उर्वरकों की जगह Biofertilizer का प्रयोग करें।
- लगातार 3 वर्ष जैविक खेती करने पर उत्पाद की कीमत 20–30% अधिक मिलती है।
7. आधुनिक तकनीक का उपयोग
- ड्रिप इरिगेशन (बूँद-बूँद सिंचाई): पानी की 30–40% बचत।
- मल्चिंग: मिट्टी की नमी बनाए रखती है और खरपतवार कम उगते हैं।
- ट्रैक्टर, सीड ड्रिल, रोटावेटर: समय और श्रम की बचत।
8. बीज गुणवत्ता पर ध्यान
- केवल प्रमाणित बीज (Certified Seeds) का उपयोग करें।
- बुवाई से पहले बीजों को थायरम + कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें।
- पुराने या संक्रमित बीजों से बचें।
9. कृषि मौसम सलाह
- स्थानीय KVK (कृषि विज्ञान केंद्र) से नियमित सलाह लें।
- हल्की ठंड या बारिश के समय फसलों की निगरानी करें।
- खेतों में खरपतवार नियंत्रण अवश्य करें।
निष्कर्ष
अक्टूबर किसानों के लिए “नई उम्मीदों का महीना” है। इस समय सही फसल, तकनीक और प्रबंधन अपनाने से रबी फसलों की उपज में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होती है। सही बीज, समय पर सिंचाई और संतुलित पोषण — यही सफलता की तीन कुंजियाँ हैं।
किसानों के लिए उपयोगी प्रश्न
1. क्या गेहूं की जगह सरसों या चना बोने से मुनाफा बढ़ सकता है?
हाँ, क्योंकि सरसों और चने का बाजार भाव अधिक और लागत कम है।
2. क्या अक्टूबर में सही समय पर बुवाई करने से पैदावार बढ़ती है?
जी हाँ, इससे फसल उत्पादन 25% तक बढ़ जाता है।
3. क्या ड्रिप इरिगेशन फायदेमंद है?
बिल्कुल, यह तकनीक 30–40% पानी बचाती है और फसल की जड़ों तक नमी समान रूप से पहुँचाती है।
4. क्या फसल बीमा योजना से सुरक्षा मिलती है?
हाँ, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना फसल को सूखा, बाढ़ या रोग से बचाती है।
5. “एक ही खेत से दो बार मुनाफा” कैसे कमाया जा सकता है?
मिश्रित खेती और जल्दी तैयार फसलें लगाकर किसान एक ही सीजन में दो बार उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।