Cabbage (पत्ता गोभी)
Basic Info
पत्ता गोभी, एक उपयोगी पत्तेदार सब्जी है। यह रबी मौसम की एक महत्वपूर्ण सब्जी है। इसे बन्धा तथा बंदगोभी के नाम से भी पुकारा जाता है। यह एक हरे पत्तेदार सब्जी है। इसमें विटामिन ए और सी खनिज जैसे फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, सोडियम और लोहा भरपूर मात्रा में होते हैं। इसको कच्ची या पकाकर खाया जा सकता है। भारत में यह सब्जी आमतौर पर रबी के मौसम में मैदानी इलाकों में उगाई जाती है।
Seed Specification
बुवाई का समय
मैदानी क्षेत्रों में
अगेती किस्म की फसल के लिए – अगस्त-सितम्बर,
पछेती किस्म की फसल के लिए – सितम्बर-अक्टूम्बर।
पहाड़ी क्षेत्र के लिए
सब्जी के लिए मार्च- जून,
बीज उत्पादन के लिए जुलाई – अगस्त |
बुवाई का तरीका
इसकी बुवाई के लिए दो तरीके प्रयोग किए जाते हैं।
- गड्ढा खोदकर
- खेत में रोपाई करके
नर्सरी में सबसे पहले बुवाई करें और खादों का प्रयोग आवश्यकता के अनुसार करें। बुवाई के 25-30 दिनों के बाद नए पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। खेत में पौध की रोपाई के लिए 3-4 सप्ताह पुराने पौधों का प्रयोग करें।
दुरी
अगेती किस्मों की फसल को 45x45 सेंटीमीटर तथा पिछेती किस्मों की फसल को 60x45 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना चाहिए।
बीज की गहराई
बीज की बुवाई 1-2 सैं.मी. गहराई में बोना चाहिए।
बीज की मात्रा
अगेती किस्म फसल के लिए 500-600 ग्राम और पिछेती किस्म फसल के लिए 375-400 ग्राम बीज/हेक्टेयर के लिए पर्याप्त है |
बीज का उपचार
बीज को बुवाई से पूर्व ट्राइकोडर्मा या स्यूडोमोनास 6-8 ग्राम/किलो बीज अथवा बाविस्टीन 2 ग्राम/किलो बीज की दर से उपचारित कर बोना चाहिए।
Land Preparation & Soil Health
अनुकूल जलवायु
पत्तागोभी फसल के लिए शीतोष्ण और ठंडी जलवायु आधी उपयुक्त होती है। इसके समुचित विकास के लिए 15-20 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित होता है।
भूमि का चयन
पत्तागोभी को विभिन्न प्रकार की भूमि पर उगाया जा सकता है, पर इसके लिए दोमट व उचित जल निकास वाली भूमि सर्वोत्तम रहती है। मिट्टी की पी एच 5.5-6.5 होनी चाहिए।
खेत की तैयारी
बुवाई से पूर्व खेत की 2-3 अच्छी गहरी जुताई करना चाहिए। अंतिम जुताई के समय पाटा लगाकर खेत को समतल और भुरभुरा बना लेना चाहिए। खेत को खरपतवार मुक्त कर दें। ध्यान रहे खेत में जल भराव की समस्या न हों।
Crop Spray & fertilizer Specification
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
पत्ता गोभी को अधिक मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है इसकी अधिक पैदावार के लिए भूमि का काफी उपजाऊ होना अनिवार्य है इसके लिए प्रति हेक्टेयर भूमि में 30 टन गोबर की अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद और 1 क्विंटल नीम की सडी पत्तियां या नीम की खली या नीम दाना पिसा हुआ चाहिए केंचुए की खाद १५ दिनों के बाद डालनी चाहिए। तथा रासायनिक खाद की दशा में 120 किलो नाइट्रोजन ,60 किलो फास्फोरस, और 60 किलो पोटाश की आवश्यकता होती है, निर्धारित मात्रा की आधी नाइट्रोजन पूरी मात्रा में फास्फोरस व पोटाश देनी चाहिए, शेष बची नाइट्रोजन रोपाई के 1 महीना बाद देनी होती है।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकता अनुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए।
सिंचाई
फसल की समुचित विकास के समय पूर्ण नमी बनाकर रखें तथा आवश्यकतानुसार समय-समय पर सिंचाई करें। रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करे इसके बाद 8 -10 दिन के अंतर से सिंचाई करते रहे इस बात का ध्यान रखे की फसल जब तैयार हो जाए तब अधिक गहरी सिंचाई न करें अन्यथा फुल फटने का भय रहता है।
Harvesting & Storage
फसल की कटाई
जब पत्ता गोभी के शीर्ष पुरे आकार के हो जाएँ और ठोस हों तब इसकी कटाई करनी चाहिए। कटाई बाजार की मांग के अनुसार की जा सकती है। यदि मांग ज्यादा और मूल्य भी ज्यादा हो तो कटाई जल्दी करें। कटाई के लिए चाकू का प्रयोग किया जाता है।
कटाई के बाद
कटाई के बाद फूलों को आकार के अनुसार अलग अलग करें। यदि मांग और मूल्य ज्यादा हो तो कटाई जल्दी की जा सकती है।
उत्पादन
पत्ता गोभी की उपज किस्म, भूमि और फसल की देखभाल पर निर्भर करती है, अगेती और पिछेती फसल की किस्मों से 200-250 क्विंटल और 300-325 क्विंटल तक उपज मिल जाती है।