Apple (सेब)
Basic Info
आप जानते है, विश्व में भारत का सेब की खेती में नौवां स्थान है। भारत में सेब के प्रमुख उत्पादक राज्य जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल तथा अरूणाचल प्रदेश है। यह शीतोष्ण फलों में से एक है। सेब के बारे में कहा जाता है कि “An apple a day keeps the doctor away” मतलब रोज एक सेब खाने से आपको डॉक्टर की आवश्यकता नही पड़ती । यह फल विटामिन बी,विटामिन सी व खनिज लवणों से भरपूर है । यह फल हृदय,मस्तिष्क व जिगर के रोगियों के लिए अच्छा माना जाता है । हमारे देश में सेव को फल के रूप में खाने के अलावा चटनी, मुरब्बा, जैम, जेली, अचार आदि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। सेब अपने विशिष्ट स्वाद, सुगन्ध, रंग व अच्छी भण्डारण क्षमता के कारण प्रमुख स्थान रखता है। सेब कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन खनिज तत्वों के साथ-साथ अनेक विटामिन्स से भरपूर होता है।
Seed Specification
पौधे लगाने का समय
सेब की बुवाई का उचित समय जनवरी से मार्च का महीना होता है।
प्रति एकड़ पौधो की मात्रा
प्रति एकड़ में सेब के तकरीबन 180 पौधे लगाए जाते हैं।
दुरी
पौधे से पौधे के बीच की दूरी सामान्यतः 5*5 मीटर होती है, रोपण से एक माह पहले गड्डों की खुदाई की जाती है। अच्छी तथा उपजाऊ मिट्टी में गडढे का माप 2.5*2.5*2.5 फिट तथा कठोर व कम पोषक मिट्टी में 1.0*1.0*1.0 मीटर होनी चाहिए।
बुवाई का तरीका
सेब की खेती के लिए प्रसारण बीज वाले पौधे बडिंग या रोपण विधि द्वारा किया जाता है। बडिंग जून और ग्राफ्टिंग दिसम्बर से जनवरी में करना उचित होता है।
शोधन प्रक्रिया
रोपने से पहले पौधों की जड़ों को डाइथेन एम- 45 से उपचारित करें।
Land Preparation & Soil Health
अनुकूल जलवायु
सेब शीतोष्ण जलवायु का फल है, यह ठंडे तथा पर्वतीय क्षेत्रो में उगाए जाने वाली फसल है। पुष्प लगने एवं फल लगने के लिए सर्दियों में 800 से 1200 घंटे अति ठंढ यानि 7 डिग्री सैंटीग्रेट से कम तापमान इसके लिए उपयुक्त होता है।
भूमि
सेब की बागवानी के लिए उचित जल निकास वाली दोमट भूमि उपयुक्त रहती है । सेब के पौधों के उचित विकास व बढ़वार के लिए थोड़ी अम्लीय व गहरी होनी चाहिए। जिसका पी एच मान 5 से 6.5 के बीच हो उपयुक्त है। ध्यान रहे की कम से कम 1.5 से 2 मीटर की गहराई तक कोई कठोर चट्टान न हो।
खेत की तैयारी
सेब की बागवानी के लिए खेत की 2-3 अच्छी गहरी जुताई करना चाहिए, अंतिम जुताई के समय पाटा लगाकर खेत को भुरभुरा, समतल और खरपतवार रहित करें।
Crop Spray & fertilizer Specification
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
सेब के पौधरोपण के समय 10 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद 1 किलोग्राम नीम की खली, 70 ग्राम नाईट्रोजन 35 ग्राम फास्फोरस और 70 ग्राम पोटेशियम प्रति पेड़ प्रति वर्ष की आयु की दर से 10 वर्ष तक देते रहना चाहिए। खाद और उर्वरकों की मात्रा मृदा के परीक्षण तथा किस्म के आधार पर निर्धारित की जाती है।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
सेब के पौधे सीधे रहे इसके लिए आरम्भ में भी लकड़ी के सहारे स्टेपनी से बांध दें। किसान भाई थालों में उगी घास खरपतवारों को नियमित रूप से निराई गुड़ाई कर निकाल दें।
सिंचाई
रोपाई के साथ पहली सिंचाई तथा पिछली सिंचाई से 7 से 8 दिन बाद दूसरी सिंचाई आवश्यक है। यह एक बहुवर्षीय पौधा है अतः सेब को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है, पौधे के जरूरत के हिसाब से सिंचाई करते रहें।
Harvesting & Storage
पौधों की कटाई - छटाई
सेब की खेती में सामान्यतः सेब के पौधों को आकार कटाई-छटाई के माध्यम से प्रदान किया जाता है, जिससे सूर्य की रौशनी आसानी से हर जगह पहुँच सके। इसके अनुसार मुख्य तने को हर वर्ष रूपान्तरित करके 3 से 4 मीटर तक बढने दिया जाता है तथा बाद में सहशाखा को काट दिया जाता है, इस विधि में ओलावृष्टि और बर्फ से बचाव के सभी गुण होते है।
फल-फूल के समय देखभाल
सेब में पुष्पन फरवरी-मार्च में होता है। साथ ही विभिन्न किस्मों के अनुसार अगस्त से अक्टूबर तक सेब के फल पकने लगते हैं। सेब के फल समय से पहले न गिरे इसके लिए थालों में पर्याप्त नमी रखना चाहिये । साथ ही बोरान व मैग्नीशियम की समुचित मात्रा देनी चाहिए।
फलों की तुड़ाई
जैसे ही फल पूर्ण विकसित, सुड़ौल व परिपक्व हो जाये। बिना देरी किये फलों को डंठल सहित तोड़ लेना चाहिए। साथ ही ध्यान रखें कि फल तोड़ते समय चोटिल न हों।
पैदावार
सेब की पैदावार जलवायु, भूमि की उर्वरा शक्ति तथा किस्म पर निर्भर करती है। वैज्ञानिक तकनीक से बागवानी करने पर एक पेड़ से औसत 100 से 180 किलोग्राम फल प्राप्त हो सकता है।