Pomegranat (अनार)
Basic Info
अनार एक ऐसा फल है, जो स्वास्थ्य के लिहाज से काफी फायदेमंद माना जाता है। अनार के दानों में विटामिन ए, विटामिन बी-12, विटामिन डी, कैल्शियम, प्रोटीन, पोटैशियम रफेज, फ्लेवोनॉइड्स नाम का एंटीऑक्सीडेंट होता है। रोजाना इसे खाने से खून की कमी नहीं होती, शरीर में कॉलेस्ट्रोल नहीं बनता जिस वजह से हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है, तनाव नहीं होता, पेट के लिए लाभकारी और कैंसर से बचाव में मदद करता है। अनार की खेती ज्यादातर गर्म जगहों जैसे की महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात में होती है। एक अनार का पौधा 3-4 वर्ष में पेड़ बन जाता है और 25 वर्ष तक फल दे सकता है।
Seed Specification
किस्में:- अरक्ता कंधारी, ढोलका जालोर बेदाना, ज्योति पेपर सेल, भगवा गणेश, रूबी मृदुला आदि कुछ अनार के प्रमुख किस्में है।खेती करने के लिए आप अपने क्षेत्र के अनुसार अनार की किस्म का चुनाव कर सकते है।
बुवाई का समय
इसके पौधों को फरवरी-मार्च या फिर अगस्त रोपना उपयुक्त माना जाता है।
प्रति हेक्टेयर पौधो की मात्रा
सघन रोपण पद्धति में 5 *2 मीटर (1,000 पौधे/हक्टेयर), 5*3 मीटर (666 पौधे/हक्टेयर), 4.5*3 (740 पौधे/हक्टेयर) की आपसी अन्तराल पर रोपण किया जा सकता है।
बुवाई का तरीका
अनार की बुवाई बीज द्वारा या कलम (कटिंग) द्वारा या गुँटी द्वारा की जाती हैं।
पौध रोपण का तरीका
अनार की खेती के लिए पौधा रोपण से लगभग 1 महीना पहले यानि की जनवरी-फरवरी या फिर मार्च के महीने में लगभग 60 सेंटीमीटर लंबे, 60 सेंटीमीटर चौड़े और 60 सेंटीमीटर गहरे गड्डे तैयार कर लीजिये। 2 गड्ढे के बीच की दूरी 4-5 मीटर होनी चाहिए। लगभग 15 दिनों तक इन गड्ढों को खुला छोड़ दे और फिर इसमें लगभग 20 किलो पकी हुई गोबर की खाद, 1 किलो सिंगल सुपर फॉस्फ़ेट, 0.50 ग्राम क्लोरो पायरीफास का चूर्ण तैयार कर सभी को गड्ढों में 15 सेंटीमीटर तक भर दें। इसके 15 दिन बाद इसमें पौधा रोप दे।
Land Preparation & Soil Health
अनुकूल जलवायु
अनार उपोष्ण जलवायु का पौधा है। यह अर्द्ध शुष्क जलवायु में अच्छी तरह उगाया जा सकता है। फलों की वृद्धि और पकने के समय 40 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान उपयुक्त रहता है। 11 डिग्री से कम तापमान पर पौधों की वृद्धि पर बुरा प्रभाव पड़ता है। लंबे समय तक उच्च तापमान रहने से फलों में मिठास बढ़ती है। इसकी खेती समुद्रतल से 500 मीटर सें अधिक ऊंचे स्थानों पर की जा सकती है।
भूमि का चयन
अनार की खेती किसी भी तरह की मिट्टी में हो सकती है। लेकिन अच्छे जल निकास वाली रेतीली दोमट मिट्टी अनार की खेती के लिए सबसे बेहतर मानी जाती है।
खेत की तैयारी
खेत की अच्छी तरह गहरी जुताई करके खेत को भुरभुरा और समतल कर देना चाहिए। खेत की अच्छी जुताई के बाद पौधा रोपण के लिए गड्ढे तैयार करना चाहिए।
Crop Spray & fertilizer Specification
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
अनार के अच्छे उत्पादन हेतु वर्मी कम्पोस्ट या अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद गड्ढो को तैयार करते समय मिला देना चाहिए। अनार की खेती में पेड़ की उम्र के हिसाब से ही खाद दी जाती है।
पहला साल -10 किलोग्राम गोबर, 100 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फॉस्फोरस और 100 ग्राम पोटाश।
दूसरा साल - 20 किलोग्राम गोबर, 200 ग्राम नाइट्रोजन, 100 ग्राम फॉस्फोरस और 200 ग्राम पोटाश।
तीसरा साल - 30 किलोग्राम गोबर, 300 ग्राम नाइट्रोजन, 150 ग्राम फॉस्फोरस और 300 ग्राम पोटाश।
चौथा साल - 40 किलोग्राम गोबर, 400 ग्राम नाइट्रोजन, 200 ग्राम फॉस्फोरस और 400 ग्राम पोटाश।
पांचवा साल - 50 किलोग्राम गोबर, 500 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फॉस्फोरस और 500 ग्राम पोटाश।
इसके आलावे जरुरत पड़ने पर जिंक सल्फेट और अन्य टॉनिक खादों का प्रयोग कर सकते है। पानी में घुलनशील खादों के छिड़काव से पैदावार पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है।
रोग और रोकथाम
अनार के पौधों में सड़ने वाले कीड़े का खतरा होता है इससे पौधे को बचने के लिए कीटनाशक का छिड़काव करें। पौधों के आस-पास साफ-सफाई रखें और सर्दियों में पाले से बचाएं इसके लिए गंधक का तेज़ाब छिड़कते रहें।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
अनार की खेती में खरपतवार की रोकथाम के लिए निराई - गुड़ाई करना अति आवश्यक हैं। और फसल को खरपतवार मुक्त रखें।
सिंचाई
इसके ज्यादा उपज के लिए इसे सही मात्रा में सिंचाई करना जरुरी है। गर्मियों में पौधों को लगभग 5 – 7 दिनों बाद और ठंड में लगभग 10 – 12 दिनों में सिंचाई कर देनी चाहिए। अनार के लिए बूंद-बंद सिंचाई अच्छी होती है। बूंद- बूंद सिंचाई के लिए ड्रीप द्वारा सिंचाई करें।
Harvesting & Storage
फलों की तुड़ाई
यह जब अच्छे से पक जाये तभी उसे तोडना चाहिए। फल लगने के लगभग 120 से 130 दिनों बाद फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
उत्पादन
इसकी अच्छी देखभाल और उन्नत प्रबन्धन से 1 पेड़ से लगभग 80 किलो फल मिल सकते हैं।अगर 2 पौधों के बीच की दुरी कम है तो इस हिसाब से प्रति हेक्टयर लगभग 4800 क्विंटल तक फल मिल सकते है। 1 हेक्टयर से 8 – 10 लाख रुपए सालाना कमाया जा सकता है।