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Tamarind (इमली)

Basic Info

जैसे की आप जानते है इमली एक फलदार वृक्ष हैं। पूरे भारत में पाए जाने वाले विशेष फलों के पेड़ों में से एक है, जो ज्यादातर बारानी परिस्थितियों में उगाए जाते हैं, खासकर तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उड़ीसा में। यह सबसे लोकप्रिय वृक्ष में से एक है जो छाया प्रदान करने के अलावा उपयोगी फल और लकड़ी भी देता है। माना जाता है कि इमली उष्णकटिबंधीय अफ्रीका की मूल है, लेकिन अब पूरे दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका में खेती की जाती है। आमतौर पर महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में क्षेत्रीय व्यंजनों में एक स्वादिष्ट मसाले के रूप में इमली का प्रयोग किया जाता है। खास तौर पर रसम, सांभर, वता कुज़ंबू, पुलियोगरे इत्यादि बनाते वक्त इमली इस्तेमाल होती है और कोई भी भारतीय चाट इमली की चटनी के बिना अधूरी ही है। यहां तक कि इमली के फूलों को भी स्वादिष्ट पकवान बनाने के उपयोग में लिया जाता है।

Seed Specification

बुवाई का समय
इमली के पौधों की रोपाई का उचित समय जून-जुलाई हैं।

दुरी
पौधरोपण की दूरी मिट्टी के प्रकार के आधार पर 8 X8 से 10 X10 मीटर तक हो सकती है।

बुवाई का तरीका 
इमली की बुवाई सीधे बीजों द्वारा या बीज के माध्यम से नर्सरी में पौध तैयार करके की जाती है।

पौधरोपण का तरीका
पौधे की अच्छी बढ़वार, गहरी जड़ विकास और उचित माध्यम प्रदान करने के लिए 1 x 1 x 1 मीटर आकार के गड्ढों में रोपण किया जाना चाहिए। गड्ढों को गर्मियों के दौरान खोदा जाना चाहिए। साथ ही इन गड्ढो में 2 किलो सिंगल सुपरफॉस्फेट, अच्छी तरह से विघटित फार्म यार्ड खाद और शीर्ष मिट्टी के मिश्रण के साथ गड्ढो भरना चाहिए। दीमक की समस्या से बचने के लिए कीटनाशक पॉवडर को मिट्टी के मिश्रण में मिला दें।

Land Preparation & Soil Health

अनुकूल जलवायु
इमली के वृक्ष के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु उत्तम रहती हैं। उष्ण जलवायु की गर्मी और गर्म हवाओं को सहन करने में सक्षम हैं जबकि ठंडी जलवायु में पाले से इसकी वृद्धि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

भूमि का चयन
इमली का पेड़ लगभग सभी प्रकार की भूमि में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है, इसके लिए दोमट, जलोट, बलुई एवं लवण युक्त मिट्टी अधिक उपयुक्त होती हैं। इमली के वृक्षों की अच्छी पैदावार के लिए नियुक्त गहरी दोमट मिट्टी एवं गहरी जलोढ़ मिट्टी भी उपयुक्त होती है।

खेत की तैयारी
पौधरोपण से पूर्व भूमि को खरपतवार मुक्त कर दें, फिर चयनित भूमि पर उचित आकार और भूमि के आधार पर गड्ढो की खुदाई करें। वृक्षारोपण के तौर पर इमली के पौधों की रोपाई खेत की मेड़ो पर भी कर सकते हैं।

Crop Spray & fertilizer Specification

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
पौधे के अच्छे विकास के लिए अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट पौधरोपण के समय गड्ढों में मिट्टी के साथ मिला देना चाहिए। रासायनिक उर्वरक मिट्टी परीक्षण के आधार पर देना चाहिए।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण 
खरपतवार के रोकथाम के लिए समय-समय पर आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई करना चाहिए।

सिंचाई 
पौधरोपण के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करना चाहिए। वर्षा के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन गर्मी मे विशेष समय के अंतराल में पौधों को पानी देना चाहिए तथा मिट्टी में नमी बनाए रखना चाहिए ध्यान रहे खेत में जलभराव की समस्या ना हो।

Harvesting & Storage

फसल की कटाई 
बीज द्वारा प्रचारित पौधे रोपण के 7-8 साल बाद और जबकि ग्राफ्टेड या  कलम विधि द्वारा पौधे रोपण के 4-5 साल बाद फलने लगेंगे। फलों की कटाई जनवरी-अप्रैल के महीनों में की जाती है। 

उत्पादन 
इमली के फल का उत्पादन मिट्टी के प्रकार, जलवायु, प्रसार विधि और प्रबंधन प्रथाओं के साथ बदलती रहती है। एक अच्छी तरह से प्रबंधित पेड़ से 300-500 किलोग्राम पकी फली निकलती है।

Tamarind (इमली) Crop Types

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