Kisaan Helpline
देश के कई हिस्सों में मानसून की सक्रियता को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर आधारित कुछ जरूरी एग्रोमेट-अडवाइजरी (Agro-Met Advisory) किसानों के लिए जारी की गई है। आइए जानते हैं फसलों और सब्जियों को लेकर क्या सावधानियां और काम इस हफ्ते करने जरूरी हैं:
धान की नर्सरी:
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बकाने रोग से सावधानी: धान की नर्सरी
में बकाने रोग का खतरा बना रहता है। यदि इसकी पहचान हो (पौधा लंबा और कमजोर हो
जाए), तो Carbendazim दवा की 2 ग्राम मात्रा
प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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पीली पत्तियाँ मतलब लौह (Iron) की कमी: यदि
ऊपरी पत्तियाँ पीली और नीचे की हरी हैं,
तो 0.5% फेरस
सल्फेट के साथ 0.25% चुने
का घोल बनाकर छिड़काव करें।
मक्का की खेती की तैयारी:
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बीज और किस्में: हाइब्रिड – AH-421, AH-58; कंपोजिट – पूसा कंपोजिट-3, पूसा कंपोजिट-4
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बीज दर: 20
किग्रा/हेक्टेयर
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पंक्ति से पंक्ति की दूरी: 60-75 सेमी
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पौधों के बीच की दूरी: 18-25 सेमी
खरपतवार नियंत्रण: जब आसमान साफ
हो, तो Atrazine की 1-1.5 किग्रा मात्रा
को 800 लीटर
पानी में घोलकर छिड़काव करें।
चारा फसलों की बुआई:
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पूसा चारी-9,
पूसा चारी-6 या
अन्य हाइब्रिड किस्में इस समय बोना उपयुक्त है। बीज दर 40
किग्रा/हेक्टेयर रखें।
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इसके साथ लोबिया (फॉडर किस्म) की भी बुआई की जा सकती है।
बारिश को देखते हुए सावधानियां:
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बारिश के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए अभी किसी भी
फसल या सब्जी नर्सरी में दवा का छिड़काव न करें।
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पल्सेज और सब्जियों की नर्सरी में जल निकासी की उचित
व्यवस्था करें।
सब्जियों की नर्सरी और रोपाई:
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शुरुआती गोभी,
मिर्च और बैंगन की नर्सरी तैयार करें।
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नेट से ढके हुए नर्सरी हाउस का उपयोग करें ताकि कीटों और
तेज धूप से बचाव हो।
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6.5 फीट
ऊँचाई पर जाली लगाना उचित रहेगा।
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जिन किसानों की पौध तैयार है, वे इन फसलों की रोपाई शुरू कर सकते हैं।
बरसात की सब्जियां (Cucurbits) जैसे:
कद्दू,
लौकी, करेला, तुरई, खीरा आदि की
बुआई के लिए यह समय एकदम उपयुक्त है।
किस्में जैसे:
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लौकी: पूसा नवीन,
पूसा समृद्धि
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करेला: पूसा विशेष,
पूसा-2 मौसमी
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कद्दू: पूसा विश्वास,
पूसा विकास
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तुरई: पूसा चिकनी
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खीरा: पूसा उदय,
पूसा बरखा
मिर्च में वायरस संक्रमित पौधों से निपटें:
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रोगग्रस्त पौधों को तुरंत उखाड़कर मिट्टी में दबाएं।
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साफ मौसम में Imidacloprid
की 0.3 मिली
प्रति लीटर पानी से छिड़काव करें।
बागवानी के लिए गड्ढे की खुदाई:
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नया बाग लगाना हो तो गड्ढे अभी खुदवाएं और कुछ दिन खुला
छोड़ें। इससे कीट और खरपतवार के बीज नष्ट होंगे।
सामान्य सुझाव:
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किसी भी फसल की बुआई से पहले अच्छे से सड़ा हुआ गोबर खाद या
कंपोस्ट ज़रूर डालें।
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मिट्टी परीक्षण के बाद संतुलित मात्रा में खाद का प्रयोग
करें।
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पोटाश की मात्रा ज़्यादा रखें — यह सूखे में फसल को नुकसान
से बचाता है।
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रेनफेड क्षेत्रों में मल्चिंग (पुआल या पत्ते बिछाना) से
नमी बनी रहती है।
मौसम साफ रहने पर ही छिड़काव करें। सभी बीज केवल प्रमाणित
स्रोतों से ही खरीदें।
किसानों को यह सलाह देश के कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों
द्वारा दी गई है। इसे अपनाकर आप फसल की अच्छी उपज, रोगों से बचाव और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा कर सकते हैं।