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आज के बदलते दौर में खेती न केवल आजीविका का साधन है बल्कि एक लाभदायक व्यवसाय के रूप में भी उभर रही है। खासकर उन किसानों के लिए जो सीमित संसाधनों और पूंजी में मुनाफे का रास्ता तलाश रहे हैं, उनके लिए एक खास फसल है - तिल।
कम लागत,
कम मेहनत और बढ़िया मुनाफे के कारण तिल की खेती अब एक
स्मार्ट बिजनेस मॉडल बन गई है। आइए जानते हैं कि कैसे आप इसे मात्र ₹5000 की लागत से शुरू कर सकते हैं और प्रति बीघा ₹60,000 तक कमा सकते हैं।
तिल की खेती: परंपरा
से मुनाफे तक का सफर
तिल भारत में हजारों
सालों से उगाई जाने वाली फसल है। आयुर्वेद से लेकर रसोई तक,
पूजा से लेकर मिठाई तक - तिल हर स्तर पर उपयोगी है। आज के
समय में इसके बढ़ते औद्योगिक उपयोग और घरेलू मांग ने इसे जबरदस्त कमाई वाला
व्यवसाय बना दिया है।
तिल की खेती क्यों
फायदेमंद है?
1. कम लागत में ज़्यादा मुनाफ़ा
तिल की खेती में महंगी
खाद,
कीटनाशक या सिंचाई की ज़रूरत नहीं होती. एक बीघा ज़मीन में
इसकी कुल लागत करीब ₹4000-₹5000 आती है. यानी सीमित पूंजी वाला कोई भी किसान इसकी खेती कर
सकता है.
2. कम पानी में उगने वाली फसल
तिल सूखा सहन करने
वाली फसल है. इसे उन इलाकों में भी आसानी से उगाया जा सकता है,
जहाँ सिंचाई की सुविधाएँ सीमित हैं. इससे सिंचाई पर होने
वाला खर्च और मेहनत दोनों कम होती है.
3. तेज़ी से बढ़ रही मांग
तिल का इस्तेमाल तेल,
लड्डू, तिलकुट, चिक्की जैसे खाद्य उत्पादों में किया जाता है. इसके अलावा
आयुर्वेदिक दवाओं, कॉस्मेटिक उत्पादों और मसाज ऑयल में भी इसका इस्तेमाल होता है. यानी बाज़ार
में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है.
4. सेहतमंद और पौष्टिक
तिल प्रोटीन,
कैल्शियम, आयरन, फाइबर, मैग्नीशियम और विटामिन से भरपूर होता है. यह सेहतमंद
सुपरफ़ूड के तौर पर भी मशहूर है. इसके पौष्टिक गुणों की वजह से उपभोक्ता बाज़ार
में इसकी मांग तेज़ी से बढ़ी है.
कितनी है लागत और कमाई?
विषय | विवरण |
कुल लागत | ₹4000–₹5000 प्रति बीघा |
बीज की कीमत | ₹200–₹400 प्रति किलो (1–5 किलो प्रति बीघा) |
खाद और सिंचाई | सीमित जरूरत, ₹1000 तक का खर्च |
मजदूरी | यदि खुद करें तो खर्च और घटेगा |
उपज | प्रति बीघा 3–4 क्विंटल (300–400 किलो) |
बाजार भाव | ₹100–₹150 प्रति किलो |
संभावित कमाई | ₹30,000–₹60,000 प्रति बीघा |
नोट: कमाई मौसम,
भूमि की गुणवत्ता और देखभाल पर निर्भर करती है।
तिल की खेती कब और
कैसे करें?
1. बुवाई का समय
तिल की बुवाई मानसून
की शुरुआत में की जाती है - यानी जुलाई और अगस्त के बीच। यह समय फसल के अंकुरण और
वृद्धि के लिए सबसे अच्छा होता है।
2. भूमि की तैयारी
·
तिल
के लिए दोमट या हल्की काली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है।
·
भूमि
को अच्छी तरह जोतकर समतल करें और खरपतवार निकाल दें।
·
भूमि
में जल निकासी की उचित व्यवस्था होने पर फसल बेहतर होती है।
3. बीज की मात्रा और विधि
·
प्रति
बीघा 1-5 किलोग्राम बीज पर्याप्त है।
·
बुवाई
से पहले बीज को जैविक कीटनाशक या फफूंदनाशक से उपचारित करना अच्छा रहता है।
·
पंक्ति
में बुआई करने से देखभाल और निराई आसान हो जाती है।
4. सिंचाई और देखभाल
·
तिल
को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है। आमतौर पर 2-3 सिंचाई पर्याप्त होती हैं।
·
पहली
सिंचाई बुआई के 10 दिन बाद और दूसरी फूल आने के समय करनी चाहिए।
·
समय-समय
पर खरपतवार निकालना आवश्यक है।
रोग और कीट नियंत्रण
तिल की फसल में तना
सड़न और पत्ती झुलसा जैसे कुछ सामान्य रोग देखे जा सकते हैं। इसके लिए नीम के तेल
का छिड़काव या ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक नियंत्रण उपायों का उपयोग किया जा सकता है।
रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग केवल अंतिम उपाय के रूप में करें।
तिल बेचने के आसान
तरीके
1. स्थानीय कृषि बाजार
आप अपने नजदीकी कृषि
बाजार में आसानी से तिल बेच सकते हैं। वहां आपको थोक व्यापारी और तेल मिल मालिक
सीधे मिल सकते हैं।
2. तेल मिलें
आप तेल मिलों से सीधे
संपर्क करके अपनी पूरी फसल एक बार में बेच सकते हैं। इसके लिए वेटा,
रॉयल, धारा जैसी स्थानीय और क्षेत्रीय तेल कंपनियों से संपर्क
करें।
3. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म
अब किसानों के लिए eNAM,
किसान ऐप और दूसरे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध हैं,
जहां वे सीधे अपनी उपज का पंजीकरण करा सकते हैं और व्यापारी
से जुड़ सकते हैं।
4. थोक विक्रेता/खुदरा विक्रेता से सीधा संपर्क
अगर उपज बड़ी मात्रा
में है,
तो सीधे बड़े खुदरा विक्रेताओं या थोक विक्रेताओं से संपर्क
करें। इससे बिचौलियों से बचा जा सकता है।
कौन कर सकता है यह
व्यवसाय?
·
छोटे
किसान: जिनके पास 1-2 बीघा जमीन और सीमित संसाधन हैं।
·
ग्रामीण
युवा: जो रोजगार की तलाश
में हैं या स्वरोजगार शुरू करना चाहते हैं।
·
गृहिणियां: जो घर के पास खाली पड़ी जमीन का उपयोग करना चाहती हैं।
·
सेवानिवृत्त
व्यक्ति: जो लोग अपने खाली समय
में खेती से आय बढ़ाना चाहते हैं।
·
भूमिहीन
किसान: वे समूह बनाकर भी
जमीन पट्टे पर लेकर इसे शुरू कर सकते हैं।
सरकारी सहायता और
योजनाएं सरकार की कई योजनाओं जैसे पीएम-किसान, कृषि यंत्र अनुदान योजना और बीज अनुदान योजना के तहत
किसानों को तिल की खेती में मदद मिल सकती है। कृषि विभाग से संपर्क करके स्थानीय
योजनाओं का लाभ उठाया जा सकता है। निष्कर्ष: एक स्मार्ट और टिकाऊ व्यवसाय तिल की
खेती एक ऐसा विकल्प है जिसे कम संसाधनों और सीमित पूंजी के साथ भी शुरू किया जा
सकता है। खास बात यह है कि यह एक सुरक्षित और पौष्टिक फसल है जिसकी बाजार में
लगातार मांग रहती है। अगर इसकी खेती उचित तकनीकी ज्ञान और मेहनत के साथ की जाए तो
यह निश्चित रूप से लाभदायक हो सकती है।
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