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हर साल खरीफ सीजन के आते ही किसान सोयाबीन की ऐसी किस्म की तलाश में रहते हैं जो अच्छी पैदावार दे। पिछले कुछ सालों में मौसम में बदलाव, सिंचाई की कमी और बिजली संकट जैसी वजहों ने किसानों को जल्दी पकने वाली फसलें अपनाने के लिए प्रेरित किया है। ऐसे में सोयाबीन की उन्नत और जल्दी पकने वाली किस्म जेएस 20-34 (Soybean Variety JS 20-34) किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर द्वारा विकसित इस किस्म को मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के लिए विशेष रूप से अनुशंसित किया गया है।
यह किस्म न केवल जल्दी पकती है, बल्कि इसकी
उत्पादन क्षमता, रोग
प्रतिरोधक क्षमता और फसल की गुणवत्ता भी इसे अन्य किस्मों से बेहतर बनाती है। आइए
इस लेख में सोयाबीन की इस नई किस्म जेएस 20-34 के बारे में विस्तार से जानते हैं, ताकि किसान
अपने क्षेत्र और मौसम के अनुसार इसे अपनाकर अधिक लाभ कमा सकें।
सोयाबीन जेएस 20-34
सोयाबीन जेएस 20-34 जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय
द्वारा विकसित सोयाबीन की एक जल्दी पकने वाली किस्म है, जिसे विशेष रूप
से उन क्षेत्रों के लिए तैयार किया गया है,
जहाँ असमान वर्षा या बिजली संकट जैसी समस्याएँ हैं। यह किस्म लगभग 80 से 85
दिनों में तैयार हो जाती है,
जिससे किसान अगली रबी फसल (चना,
गेहूं, मटर, लहसुन आदि) समय
पर बो सकते हैं।
बुवाई का समय और विधि
अनुशंसित समय: इस किस्म की बुवाई 15 जून से 30 जून के बीच
सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इस समय मिट्टी में नमी का स्तर भी सही रहता है और
मानसून भी सक्रिय हो चुका होता है।
बुवाई की विधि:
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पंक्तियों में बुवाई करें। बोनी (छोटी) किस्मों के लिए
पंक्तियों के बीच की दूरी 30 सेमी और बड़ी किस्मों के लिए 45 सेमी रखें।
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बीज को 2.5 से 3 सेमी की गहराई पर बोना चाहिए।
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यदि जुलाई के पहले सप्ताह के बाद बुवाई की जाती है, तो अंकुरण में
किसी भी कमी से बचने के लिए बीज दर में 5-10% की वृद्धि करनी चाहिए।
बीज की मात्रा और
अंकुरण
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बीज दर: प्रति एकड़ 30 से 35 किलोग्राम बीज की आवश्यकता
होती है।
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अंकुरण क्षमता: 80% से 90% अंकुरण देखा गया है, जो इसे एक
विश्वसनीय किस्म बनाता है।
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आदर्श पौधों की संख्या: प्रति हेक्टेयर लगभग 6 लाख पौधों का
घनत्व सबसे उपयुक्त माना जाता है।
उत्पादन क्षमता
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प्रति हेक्टेयर उपज: यह किस्म प्रति हेक्टेयर 20 से 25
क्विंटल उपज देती है।
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प्रति एकड़ उत्पादन क्षमता: इसमें लगभग 10 से 12 क्विंटल
उत्पादन की क्षमता है।
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यह उत्पादन JS
95-60 जैसी लोकप्रिय किस्मों के बराबर या उससे थोड़ा अधिक माना जाता है।
पौधे की संरचना और गुण
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पौधे की ऊँचाई: यह किस्म थोड़ी बौनी (लगभग 40-45 सेमी) होती
है, जो इसे
तेज हवा या बारिश में गिरने से बचाती है।
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पौधे का प्रकार: निश्चित किस्म, एक सीधी संरचना
और कम फैलाव वाली।
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पत्तियाँ: गहरे हरे रंग की गोल अंडाकार पत्तियाँ जो फसल को
पर्याप्त प्रकाश संश्लेषण प्राप्त करने में मदद करती हैं।
फूल और फली की
विशेषताएँ
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फूल का रंग: सफ़ेद
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फली का रंग: पीला
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फली की संरचना: 2 से 3 दानेदार फलियाँ
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फली चटकना: नहीं,
इसलिए कटाई में कोई नुकसान नहीं।
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फली पर बाल नहीं होते,
जिससे यह साफ-सुथरा दिखता है।
बीज और दाने की
विशेषताएँ
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दाने का रंग: चमकदार पीला
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हिलम का रंग: काला
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दाने का आकार: गोलाकार, मध्यम बोल्ड
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100 दानों का वजन: 11 से 12
ग्राम
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तेल की मात्रा: 20-22 प्रतिशत
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प्रोटीन की मात्रा: 40-41 प्रतिशत
रोग प्रतिरोधक क्षमता
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JS
20-34 किस्म को खास तौर पर कुछ प्रमुख बीमारियों के लिए प्रतिरोधक बनाया गया
है:
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चारकोल रॉट: यह मिट्टी से फैलने वाला रोग है जो अत्यधिक
गर्मी या सूखे में फैलता है। यह किस्म इस रोग के लिए प्रतिरोधक है।
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बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट: इस रोग से प्रभावित पत्तियों में
ब्लाइट के लक्षण दिखाई देते हैं,
लेकिन JS 20-34
इससे भी सुरक्षित रहता है। मौसम की अनिश्चितताओं में भी सुरक्षित
पिछले वर्षों में किसानों की अक्सर शिकायत रही है कि देर से
बारिश या सूखे के कारण सोयाबीन की फसल समय पर नहीं कटती। लेकिन जेएस 20-34 किस्म
की खासियत यह है कि यह कम बारिश में भी अच्छी उपज देती है। इससे उन किसानों को भी
राहत मिलती है, जिनके
पास सिंचाई के सीमित साधन हैं।
जेएस 20-34 किस्म
क्यों अपनाएं?
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जल्दी पकने वाली किस्म: फसल 80-85 दिन में तैयार हो जाती
है।
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रबी की फसल तैयार करने के लिए पर्याप्त समय होता है।
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रोग प्रतिरोधी किस्म होने के कारण फसल को खतरा कम होता है।
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अन्य अगेती किस्मों की तुलना में उत्पादन क्षमता अधिक होती
है।
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सीधी वृद्धि और कम फैलाव के कारण कम जगह में अधिक पौधे लगाए
जा सकते हैं।
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अंकुरण,
तेल और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।
किसानों के लिए सलाह
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बुवाई के समय खेत में नमी बनाए रखें। 10 सेमी गहराई तक नमी
होना जरूरी है।
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बुवाई से पहले बीज को जैविक फफूंदनाशक या ट्राइकोडर्मा से
उपचारित करें।
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खरपतवारों पर समय रहते नियंत्रण करें। फसल की वृद्धि के लिए
शुरुआती 30 दिन महत्वपूर्ण होते हैं।
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सिंचाई की जरूरत तभी पड़ेगी जब बहुत अधिक सूखा पड़ेगा। आम
तौर पर मानसून आधारित खेती के लिए उपयुक्त है।
कम समय में अधिक उत्पादन चाहने वाले किसानों के लिए JS 20-34 सोयाबीन
किस्म एक बेहतरीन विकल्प है। यह किस्म खरीफ सीजन में समय पर बुआई और कटाई की
सुविधा देती है, जिससे
किसान रबी फसलों की बेहतर योजना बना सकते हैं। अच्छी अंकुरण क्षमता, रोग प्रतिरोधक
क्षमता और बेहतर गुणवत्ता के कारण यह किस्म मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और
राजस्थान के लाखों किसानों की पहली पसंद बन रही है।
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