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अगर आप खेती से कम समय में बेहतर मुनाफा कमाने की सोच रहे हैं, तो अप्रैल के आखिरी सप्ताह और मई की शुरुआत आपके लिए एक सुनहरा मौका हो सकता है। इस समय पर की गई शिमला मिर्च की खेती न सिर्फ कम समय में तैयार हो जाती है, बल्कि इससे अच्छी पैदावार और जबरदस्त बाजार मांग के चलते किसानों को लाखों रुपये तक की कमाई हो सकती है।
शिमला मिर्च की खेती
क्यों है खास?
शिमला मिर्च,
जिसे बेल पेपर (Bell
Pepper) भी कहा जाता है,
न सिर्फ स्वाद में उम्दा होती है,
बल्कि इसका उपयोग सब्जियों,
सलाद, और
फास्ट फूड इंडस्ट्री में भी खूब होता है। यही कारण है कि इसके दाम बाजार में हमेशा
अच्छे मिलते हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार,
15 अप्रैल से लेकर 30 मई तक
शिमला मिर्च की बुआई करना उपयुक्त माना जाता है। खास बात यह है कि इसके पौधों में
लगभग 65 दिनों
के भीतर फल आना शुरू हो जाता है।
कौन सी मिट्टी होती है
सबसे बेहतर?
शिमला मिर्च की खेती के लिए जल निकासी वाली रेतीली दोमट
मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.0 के बीच होना
चाहिए। खेत की तैयारी के लिए पहले 3 से 4 बार अच्छी तरह
जुताई करनी चाहिए ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। इसके बाद वर्मी कम्पोस्ट या अच्छी
सड़ी हुई गोबर की खाद डालनी चाहिए,
जिससे मिट्टी की उर्वरता और पानी रोकने की क्षमता बढ़ती है।
कैसे करें रोपाई?
पौधों की रोपाई के लिए मलचिंग विधि को सबसे अच्छा तरीका
माना गया है। इस विधि में पौधों के चारों ओर पॉलिथीन या घास बिछाकर मिट्टी को ढका
जाता है, जिससे
नमी बनी रहती है और खरपतवार नहीं उगते। रोपाई के समय पौधों के बीच 45 से 60 सेमी की दूरी
बनाए रखना चाहिए।
कितना उत्पादन और
आमदनी?
अगर एक किसान 1
हेक्टेयर जमीन में शिमला मिर्च की खेती करता है तो औसतन 120 से 140 क्विंटल तक की
पैदावार मिल सकती है। वर्तमान में शिमला मिर्च का बाजार भाव ₹40 से ₹60 प्रति किलो के
बीच चल रहा है। इस हिसाब से किसान लगभग 5 से 8 लाख रुपये तक
की आमदनी कर सकते हैं।
देखभाल और सिंचाई
शिमला मिर्च के पौधों को शुरू के 30 दिनों तक
विशेष देखभाल की जरूरत होती है। खेत में पानी की निकासी का सही इंतजाम होना चाहिए
ताकि पानी जमा न हो। हर 7-10 दिन
में हल्की सिंचाई की जानी चाहिए। कीट नियंत्रण के लिए नीम का तेल या जैविक कीटनाशक
का इस्तेमाल किया जा सकता है।
शिमला मिर्च की खेती आज के समय में एक कम समय में अधिक
मुनाफा देने वाली फसल बन गई है। अगर किसान सही तकनीक और सही समय का पालन करें तो
इस खेती से उन्हें भरपूर लाभ हो सकता है। खासतौर पर अप्रैल-मई के महीने इसकी
शुरुआत करने के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं।
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