हाइड्रोपॉनिक्स - एक सामान्य परिचय
हाइड्रोपॉनिक्स - एक सामान्य परिचय

हाइड्रोपॉनिक्स - एक सामान्य परिचय
डॉ लाल विजय सिंह1 , डॉ. अमित कुमार सिंह1 , रणजीत सिंह2, अमित सिंह3
1- (सहायक अध्यापक, उद्यान विभाग) जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया (यूपी)
2- एमएससी (एजी) (बागवानी) जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया
3- (सहायक अध्यापक) शिवालिक इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज, देहरादून

हाइड्रोपॉनिक्स का शाब्दिक अर्थ है जल में पौधेउगाना (cultivation of plants in water). यह दो शब्दों से मिलकर बना है-Hydro (पानी) तथा Ponic (श्रमकार्य) यानी पानी में कृषि क्रियाएं करके पौधे को उगाना। इसमें मिट्टी का उपयोग नहीं किया जाता ।  इसलिए इसे बिना मिट्टी के पौधे उगाना (soil less culture) भी कहते हैं। मृदा रहित खेती या बिना मिट्टी के पौधे उगाने की कला का विकास सर्वप्रथम सन 1930-40 के दशक में हुआ। इस प्रकार की खेती में पौधे की जड़े  सीधे पानी में खुली रहती हैं और पानी में घुल या घोले गए पोषक तत्व से पौधे के लिए पोषण उपलब्ध कराती है। चुकी इसमें जड़ वृद्धि माध्यम या मिट्टी (Rooting medium or soil) का उपयोग न करके केवल पानी या पोषक घोल (Nutrient solution) का प्रयोग किया जाता है इसलिए इस तरह की खेती के लिए अधिक पानी चाहने वाले पौधे या जल भराव (Water logging) के प्रति सहीष्णु पौधे ज्यादा उपयुर्क्त रहते हैं।
मिट्टी विहीन खेती की संकल्पना (Concept of soil less culture): मृदा विहीन खेती या जल में पौधे उगाने की सोच के पीछे दिनों दिन कम होती जा रही भूमि का प्रमुख हाथ है। बढ़ती जनसंख्या एवं कम होती उपजाऊ जमीन के स्थितियों में एक समय ऐसा आएगा जब सभी को जीवन-यापन के लिए भी पर्याप्त भोजन प्राप्त नहीं हो सकेगा। ऐसे स्थिति में खाद्यान्न उत्पादन के विकल्पो के रूप में मृदा विहीन खेती की कला का विकास हुआ। हाइड्रोपॉनिक्स में मृदा या भूमि की आवश्यकता नहीं है और यह कहीं भी किसी भी जलवायु में अपनाई जा सकती है। जहां तक की इमारतों व फैक्ट्रियों के छतो मे भी पानी भरे पात्रों/बर्तनो मे उपयुक्त पौधे उगाए जा सकते हैं। कांच के पात्रो (Bottle garden) मे पानी भरकर मनीप्लांट,सींगोनियम, अलंकृत बम्बू आदि उगाना हाइड्रोपॉनिक्स के प्रमुख उदाहरण है।


जल में पौधे उगाने की विधि (Method of Growing Plants in Water):  
जैसा कि हाइड्रोपॉनिक्स की परिभाषा से स्पष्ट है कि इस प्रकार की खेती में पौधों को मिट्टी या भूमि के बजाय केवल पानी में उगाया जाता है। लेकिन केवल पानी से पौधे के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति नहीं हो पाती और पौधे के विकास में विपरीत प्रभाव पड़ता है। आत:पोषक तत्वों कि पर्याप्त पूर्ति  के लिए पानी में पोषक तत्वों का घोल (Nutrient solution) मिलाया जाता है। कई बार उर्वरकों को आवश्यकतानुसार पानी में सीधे डाल देते हैं जो पानी में घुल जाते हैं और पानी में तैर रही पौधों की जड़ों द्वारा उपयोग कर ली जाती है। इस प्रकार पौधे उगाने के लिए कांच या टिन के पात्रों की आवश्यकता पड़ती है जिनमें पानी या पोषक घोल भरकर पौधा रोपित किया जाता है। नये पौधों व उनकी जड़ों को मजबूत होने तक किसी सहारे (Growing medium) की भी आवश्यकता पड़ती है। जड़ो के समुचित विकास होने तक कोई निष्क्रिय वृद्धि माध्यम (Neutral growing medium) जैसे बालू, ब्रिक, वर्मी कुलाइट (Vermiculite), परलाइट (Perlite), छोटे कंकड़ (Greavel) आदि का उपयोग करना चाहिए। समय-समय पर पात्र का पानी बदलकर ताजा पानी भरें तथा नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश का 2:1:1 का घोल डालकर पोषक तत्व की पूर्ति करते हैं। जलिय पौधों (Water plants) की खेती और जल में पौधों की खेती (Cultivation  of plants in water) में अंतर है। जलीयपौधे जल के अंदर ही अपनी पूरी वृद्घि करते हैं जबकि जो पौधे हाइड्रोपॉनिक्स के लिए उपयुक्त होते हैं उनकी केवल जड़े ही पानी के अंदर रहती है शेष पौधा पानी की सतह से ऊपर सामान्य वृद्घि करता है। हरित गृह (Green house) में हाइड्रोपॉनिक्स विधि से उगाए गए पौधों से खुले खेत में उगाये गये पौधों की अपेक्षा अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है।

मिट्टी विहीन खेती की संभावनाएँ (Prospects of Hydroponics):
दिनों दिन कम हो रही उपजाऊ जमीन के विकल्प के रूप में इस कला का भविष्य उज्जवल है। खेतों की सिंचाई आदि करते समय होने वाली पानी की बर्बादी से बचा जा सकेगा। जिन क्षेत्रों में वर्षा नहीं होती या भूमि जलस्तर नीचे है या पानी की कमी है, हाइड्रोपॉनिक्स अपनाकर कम पानी से पर्याप्त उपज प्राप्त की जा सकती है। हाइड्रोपॉनिक्स अपना कर खेती में ट्रेक्टर आदि भारी यंत्रीकरण से बचत होगी। खेती के रूप में उपयोग होने वाली भूमि से बचत होगी जिसका उपयोग आवासीय या औद्योगीकरण परियोजनाओं के लिए कर सकेंगे। हाइड्रोपॉनिक्स कला से उगाए गए उत्पाद विभिन्न प्रदूषणों से मुक्त होंगे। शहरों में जहां खुली भूमि की कमी है घरों में हाइड्रोपॉनिक्स के द्वारा साक-सब्जियों व फूल आसानी से उत्पन्न कर सकते हैं।
अत: हाइड्रोपोनिक्स अपनाकर कोई भी किसान, शहरी, ग्रामीण, मजदुर आसनी से अपनी जरुरत की शाक-सब्जियां उगा सकता है और अपनी घरेलु जरूरतो को पूरा कर सकता है। आने वाले समय में मिट्टी विहिन खेती यानी की हाइड्रोपोनिक्स कफी प्रचलित तकनीकी होगी जिसका  अपयोग आम लोग भी आसनी से करेंगे।