गमलों में किचन गार्डनिंग या बागवानी
गमलों में किचन गार्डनिंग या बागवानी

गमलों में किचन गार्डनिंग या बागवानी

अमित सिंह1, डॉ.लाल विजय सिंह1, डॉ. अमित कुमार सिंह2, आयुष वर्धन2

1 - (सहायक अध्यापक )डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर शिवालिक इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज ,देहरादून)
1- (सहायक अध्यापक  उद्यान विभाग) जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया यू पी
2- (सहायक अध्यापक  उद्यान विभाग) जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया यू पी
2 -  (बीएससी एग्रीकल्चर  तृतीय सेमेस्टर   शिवालिक इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज ,देहरादून)


बागवानी या बाग- बगीचे से वैसे तो सभी लोग परिचित हैं चाहे कोई कृषि क्षेत्र से संबंध रखता हो या नहीं रखता हो बागवानी करना या बाग बगीचे में रहना सबको पसंद होता है। क्यों ना अपने आप आसपास खाली जगहों जैसे बालकनी, बरामदे या घर के छत पर बागवानी किया जाए |

बागवानी न सिर्फ मनोरंजन का साधन मात्र है, बल्कि अपने पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने, जैव विविधता को बनाए रखने के साथ ही साथ एक हरा-भरा स्वास्थ्य वर्धक माहौल देता है जो हमारे किचन को पूरे साल हरी-भरी कार्बनिक सब्जियां उपलब्ध करवाता है।

सब्जियां चाहे पत्तों वाली हो जड़ वाली हो  या कंद वाली हर तरह की सब्जीयो का उत्पादन छोटे से  खाली जगह पर हो सकता है।

दिनों दिन बढ़ती जनसंख्या व चुनौतीपूर्ण परिवेश का ध्यान रखते हुए हमें यह पहल करने की जरूरत है ।
आधुनिक तरीके से बागवानी हमारे स्वास्थ्य के लिए भी काफी मददगार होगी साथ ही साथ सब्जियों की बढ़ती महंगाई को ध्यान में रखते हुए यह हमारे लिए बहुत उपयोगी सबित होगी इससे हमें महंगाई का सामना नहीं करना पड़ेगा ।
सब्जियां हमारे किचन में रोजाना इस्तेमाल होने वाली वस्तु है अगर वह खुद के द्वारा उगाई गई हो तो बहुत  आनंद की भी अनुभूति होती है।

बागवानी करते समय ध्यान देने योग्य बातें

  1. बागवानी हमेशा हवादार तथा सूर्य  का प्रकाश जहां पर ठीक ढंग से पहुंचती हो उस स्थान पर करनी चाहिए।
  2. बागवानी के लिए पानी का समुचित प्रबंध होना चाहिए।            
  3. बागवानी करते समय नियमित रूप से बागवानी की देखरेख व रखरखाव की आवश्यकता होती है।     
  4. बागवानी के लिए पौधों के बीच उचित दूरी बनाना आवश्यक होता है जिससे सूर्य का प्रकाश व हवा सभी पौधों को समान रूप से मिल सके ।
  5. बागवानी में अपने आने जाने हेतु उपयुक्त रास्ते का भी ध्यान रखना चाहिए।                                
  6. बागवानी स्वच्छ परिवेश तथा खुले वातावरण में होना चाहिए जिससे किसी भी तरह के कीड़े मकोड़े रोग इत्यादि की समस्या न उत्पन्न हो। 
  7. बागवानी के अंदर लगने वाली सब्जियां फल या फुल सीजन के अनुरूप होने चाहिए।बागवानी गमलों या पॉलिथीन बैग के अंदर या सीमेंट के कट्टा या बोड़ा में भी आसानी से किया जा सकता है।
  8. बागवानी के लिए मिट्टी का चुनाव किसी उर्वर खेत के ऊपरी परत से होनी चाहिए।            
  9. बागवानी में इस्तेमाल होने वाली मिट्टी या केंचुआ खाद या मैन्योर रोग तथा कीट मुक्त होने चाहिए।

बागवानी हेतु मिट्टी का
बागवानी में मिट्टी का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि मिट्टी अगर गुणवत्ता युक्त  तथा अच्छी टेक्सचर - स्ट्रक्चर तथा न्यूट्रल पीएच मान वाली होगी तो निश्चित रूप से बागवानी का उत्पादन हमेशा अच्छा होगा। साथ ही साथ वितरित मौसम में भी  बागवानी अच्छा फसल उत्पादन देने में सफल हो सकेगी।

गमलों के लिए सबस्ट्रेट तैयार करना
सबस्ट्रेट तैयार करने के लिए मिट्टी, बालू व खाद का अनुपात 1:1:1 रखते हैं। इस प्रकार मिट्टी बालू और खाद को अच्छी तरह से हाथों से मिला लेते हैं। उसी के साथ 5 से 10 ग्राम काली मिर्च का पाउडर तथा हल्दी का पाउडर भी उसी सबस्ट्रेट में मिला देते हैं जिससे कल्चर हानिकारक सूक्ष्म जीवों से मुक्त हो जाता है। तथा मृदा जनित  रोग की संभावना भी कम रहती है। यदि अधिक खाद चाहने वाली फसल  बागवानी में लगानी हो तो  उसके लिए 20 ग्राम नाइट्रोजन 20 ग्राम फास्फोरस तथा 10 ग्राम पोटेशियम प्रति गमला देना आवश्यक होता है।

गमलों की भराई या पॉटिंग
गमलों के भराई से पहले गमलों को हानिकारक सूक्ष्म जीवो के प्रभाव से मुक्त कर देना चाहिए। तत्पश्चात छिद्र युक्त गमलों में नीचे कंकड़ पत्थर की  परत बनाकर उसके ऊपर सूखी घास या पत्तों का एक परत बनाते हैं उसके बाद बनाए हुए मिश्रण को पूरे गमले या पॉली बैग में भर देते हैं इस प्रकार गमला बीज की बुवाई के लिए तैयार हो जाता है।

बुवाई
गमलों में बुवाई मौसम के अनुरूप करना चाहिए बीज की गहराई बीज के व्यास के ऊपर निर्भर करता है बड़ी बीज 4 से 6 सेंटीमीटर गहरी तथा छोटे बीज 2 सेंटीमीटर गहराई पर लगाना उपयुक्त होता है।

निराई गुड़ाई
किचन गार्डन की नियमित रूप से निराई गुड़ाई करनी चाहिए जिससे हवा का संचार जड़ों के पास आसानी से हो जाता है, फल स्वरुप पौधों की वृद्धि अच्छी होती है साथ ही साथ पोषक तत्व का अभियोजन भी सही ढंग से तथा नियमित रूप से होता है।

सिंचाई
गमलों में पानी लगाना बहुत ही आवश्यक होता है सिंचाई मौसम व पौधों की क्षमता के ऊपर निर्भर होता है गमले में पानी की कमी प्रतीत होने पर हजारे के मध्यम से सिंचाई करते रहना चाहिए।

कटाई छटाई या ट्रेनिंग प्रूनिंग
किचन गार्डन एक निश्चित दायरे में लगाया जाता है अतः  पौधा जब अनिश्चित रूप या अत्यधिक वृद्धि कर ले  तो उसकी  कटाई छटाई आवश्यक हो जाती है। अतः पौधों को सही आकार देने व रोग ग्रसित पौधों की डालियों को कटाई छटाई करना आवश्यक होता है जिससे पौधे बिना प्रभावित हुए  उत्पादन दे सके।

कीट व रोग नियंत्रण
वैसे तो ऑर्गेनिक रूप से किचन गार्डनिंग करने से कीट और रोग का  प्रभाव कम होता है लेकिन कीट या  रोग लगने पर गाय के गोमूत्र से बना ऑर्गेनिक कीटनाशक व रोग नाशक उत्पाद का प्रयोग किया जा सकता है।

हार्वेस्टिंग या फलों की तूडाई
किचन गार्डनिंग में जैसे जैसे उत्पादन होता है वैसे वैसे अपनी किचन की आवश्यकता अनुसार फसलों की तूडाई करते हैं तथा इस बात का ध्यान रखा जाता है की फल या सब्जियां अधिक परिपक्व ना हो जाए।         

इस प्रकार सही मिट्टी, खाद व नियमित देखरेख के द्वारा किचन गार्डन से वर्ष भर हरे भरे साक- सब्जियो का उत्पादन किया जा सकता है साथ ही साथ सब्जियों में होने वाले बड़े खर्च से बचा जा सकता है।               
किचन गार्डन पर्यावरण तथा जैव विविधता को संतुलित रखता है इस प्रकार हम किचन गार्डनिंग करके पृथ्वी पर सबसे ऊंछे कुल के प्राणी होने का कर्तव्य भी निभा पाएंगे तथा पर्यावरण के प्रति अपने सबसे अहम योगदान भी दे सकेंगे।