फसलों में निराई – गुड़ाई
फसलों में निराई – गुड़ाई

फसलों में निराई – गुड़ाई

अमित सिंह1, डॉ.लाल विजय सिंह1, डॉ. अमित कुमार सिंह2, आयुष वर्धन2

1 - (सहायक अध्यापक )डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर शिवालिक इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज ,देहरादून)
1- (सहायक अध्यापक  उद्यान विभाग) जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया यू पी
2- 1- (सहायक अध्यापक  उद्यान विभाग) जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया यू पी
2- (बीएससी एग्रीकल्चर  तृतीय सेमेस्टर   शिवालिक इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज ,देहरादून)

निराई- गुड़ाई एक अत्यंत आवश्यक क्रियाविधि है जो फसल लगाने के 25-30 दिन बाद शुरू की जाती है। निराई गुड़ाई से तात्पर्य पौधों की कतारों के बीच वाले स्थान पर हैरो अथवा खुरपी से गुड़ाई करते हुए अनावश्यक घास-फूस पत्थर या प्लास्टिक इत्यादि को खेत से चुन-चुन कर बाहर करना।
निराई गुड़ाई की आवश्यकता मिट्टी एवं फसल के अनुरूप होती है जैसे कोई मिट्टी अत्यंत चिकने स्वभाव वाली होगी तो उसके अंदर हवा का संचार कम होगा तथा कोई कोई फसल जटिल जड़ वाली होगी तो उन्हें मिट्टी में हवा की आवश्यकता अधिक होती है ऐसी स्थिति में निराई गुड़ाई करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है।
मिट्टी अगर दोमट या बलुई दोमट है तो उस स्थिति में निराई गुड़ाई कम भी किया जाए तो कोई फर्क नहीं होता जड़ वाली , कंद वाली तथा फल देने वाली सब्जी वर्ग के फसलों में निराई गुड़ाई करना अत्यंत आवश्यक होता है ।

फसलों में निराई - गुड़ाई के लाभ     
1. फसलों में लगातार निराई गुड़ाई करते रहने से फसल की देखभाल अच्छी हो जाती है साथ ही फसल स्वस्थ एवं उत्पादन अधिक होता है।
2. निराई गुड़ाई से खेतों में हवा का संचार बना रहता है जिससे पौधे के जड़ों की वृधि और विकास अच्छी हो जाती है, फल स्वरुप पौधा अच्छी मिट्टी पकड़ के साथ भूमि में खड़ा रहता है।
3. लगातार समय-समय पर निराई गुड़ाई करते रहने से पोषक तत्व तथा जैविक खाद मिट्टी में अच्छी तरह से मिल जाते हैं जिससे पोषक तत्व पौधे को आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
4. मृदा में हवा के संचार के साथ-साथ लाभदायक एरोबिक बैक्टीरिया की सक्रियता बढ़ जाती है जिससे अधिक मात्रा में पोषक तत्व पौधों को उपलब्ध हो पाता है।
5. फसलों में निराई गुड़ाई करते रहने से खर-पतवार तथा अन्य वह्य तत्व से मिट्टी प्रभावित नहीं होती और फसल बिना किसी तनाव एवं दबाव से अपनी  वृद्धि विकास कर सकेंगे।
6. निराई गुड़ाई से प्रकाश का संचार भी भरपूर हो जाता है जिससे हानिकारक मृदा जनक रोग अत्यधिक नहीं पनपते हैं।
7. निराई गुड़ाई करते समय किसान एक-एक फसल पर बारीकी से नजर रख पाते हैं साथ ही साथ फसलों में लगने वाले कीड़ों या रोगों की पहचान एवं समाधान में सहायता मिलता है।
8. निराई गुड़ाई करते रहने से मृदा में बनने वाले हानिकारक लवण तथा वर्षा का रन ऑफ वाटर खेतों में जमा नहीं होता बल्कि उनका समय समय पर निस्तारन होता रहता है।
9. निराई गुड़ाई करने से सूक्ष्म जीवो की सक्रियता पौधों की जड़ों के पास बनी रहती है जिससे जटिल से जटिल यौगिक मृदा जल में आ जाते हैं जिनका अवशोषण पौधों के द्वारा आसानी से कर लिया जाता है।
10. गन्ने की फसल में निराई गुड़ाई तथा मिट्टी चढ़ाने की जरुरत अधिक होती है

कृषि, भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है भारत की अधिकांश आबादी कृषि या उस पर आधारित उद्योग पर निर्भर है कृषि में मशीनों तथा तकनीक के इस्तेमाल के चलते कृषि उत्पादकता में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पाती है इसके अलावा खरपतवार मुख्य वजह है जिसके चलते कृषि उत्पादन नरम रहती है। खरपतवार ऐसे पौधों या घास फूस को कहते हैं जो अनचाहे रूप से किसी फसल के साथ उग जाते हैं और फसल को नष्ट कर देते हैं खरपतवार को नष्ट करना कृषि में एक मुख्य कार्य माना जाता है खरपतवार को हटाने के साथ सी साथ मिट्टी की गुड़ाई के लिए निराई गुड़ाई की यह विधि प्रयोग की जाती है।