मुर्गी पालन से किसानों की आय में बढ़ोत्तरी
मुर्गी पालन से किसानों की आय में बढ़ोत्तरी

1. गिरजेश कन्नौजिया  2. के. के. सिंह, 3.विकास सिंह सेंगर एवं 4. सुशील कुमार,
1. कृषि प्रसार विभाग, आचार्य नरेंद्र देव कृषि एंव प्रौद्योगिकीय विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या
2. कृषि अर्थशास्त्र विभाग आचार्य नरेंद्र देव कृषि एंव प्रौद्योगिकीय विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या
3. & 4. असिस्टेंट प्रोफेसर, शिवालिक इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज

मुर्गीपालन : माँस व अण्डों की उपलब्धता के लिये व्यावसायिक स्तर पर मुर्गी और बत्तख पालन को कुक्कुट पालन कहा जाता है। भारत में विश्व की सबसे बड़ी कुक्कुट आबादी है, अधिकांश कुक्कुट आबादी छोटे, सीमान्त और मध्यम वर्ग के किसानों के पास है। भूमिहीन किसानों के लिये मुर्गीपालन रोजी-रोटी का मुख्य आधार है। भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में कुक्कुट पालन से अनेक फायदे हैं| किसानों की आय में बढ़ोत्तरी देश के निर्यात व जीडीपी में अधिक प्रगति तथा देश में पोषण व खाद्य सुरक्षा की सुनिश्चितता आदि।कुक्कुट पालन का उद्देश्य पौष्टिक सुरक्षा में माँस व अण्डों का प्रबन्धन करना है। मुर्गीपालन बेरोजगारी घटाने के साथ देश में पौष्टिकता बढ़ाने का भी बेहतर विकल्प है| बढ़ती आबादी, खाद्यान्न आदतों में परिवर्तन, औसत आय में वृद्धि, बढ़ती स्वास्थ्य सचेतता व तीव्र शहरीकरण कुक्कुट पालन के भविष्य को स्वर्णिम बना रहे हैं। चिकन प्रसंस्करण को व्यावसायिक स्वरूप देकर विदेशी मुद्रा भी अर्जित की जा सकती है। कृषि से प्राप्त उप उत्पादों को मुर्गियों की खुराक के रूप में उपयोग करके इस उद्यम से रोजगार प्राप्त किया जा सकता है। इस उद्यम की शुरुआत के लिये भूमिहीन ग्रामीण बेरोजगार, बैंक से ऋण लेकर कम पूँजी से अपना उद्यम प्रारम्भ कर सकते हैं तथा अण्डों के साथ-साथ चिकन प्रसंस्करण करके स्वरोजगार प्राप्त कर सकते हैं। 

मुर्गी शाला के स्थान में अधिक नमी नहीं होनी चाहिये तापमान लगभग 22- 25 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास ठीक रहता है। कुक्कुट शाला पूर्व पश्चिम दिशा में मुख करते हुए बनाना चाहिए। 2000 मुर्गी से शुरू करने में कितना खर्चा आता है और आप इसमें कितनी कमाई कर सकते हैं 2000 बर्ड्स के लिए बिल्डिंग बनाने के लिए उनका करीब 3.5 लाख रूपये खर्च होते हैं। 80×30 बिल्डिंग की चौड़ाई ज्यादा से ज्यादा 30 फ़ीट होनी चाहिए। उसके बाद चूज़े पर, दवाइयों और फीड पर अलग से खर्चा होता है। लगभग 30-40 रूपये में चूज़ा खरीदते हैं और 35 से 40 दिन बाद वही चूज़ा लगभग 90–95 रूपये में बिकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे स्तर पर मुर्गी पालन से अतिरिक्त आय प्राप्त होती है साथ ही मुर्गी का मल (विष्ठा) का उपयोग बटन मशरूम उत्पादन हेतु कम्पोस्ट बनाने तथा खाद के रूप में खेतो में प्रयोग से फसल की उत्पादकता में बढ़ोत्तरी होती है।
 

मुर्गी फार्म खोलने कें लिए आवश्यक वस्तूएं
क) मुर्गीपालन घर
ख) दाना, पानी देने के लिए बर्तन
ग) ब्रूडर
घ) उन्नत नस्ल के चूजे या बड़ी मुर्गियाँ
ङ) रोगों से बचाव के लिए टीका औषधि तथा दवा
च) अंडा देने का बक्सा
छ) रोशनी या बिजली का प्रबंध
ज) हाट-बाजार जहाँ व्यापार किया जायेगा
झ) आमदनी – खर्च का हिसाब- किताब

2000 मुर्गी से शुरू करने में कितना खर्चा आता है और आप इसमें कितनी कमाई कर सकते हैं 2000 बर्ड्स के लिए बिल्डिंग बनाने के लिए उनका करीब 3.5 लाख रूपये खर्च होते हैं। 80×30 बिल्डिंग की चौड़ाई ज्यादा से ज्यादा 30 फ़ीट होनी चाहिए। उसके बाद चूज़े पर, दवाइयों और फीड पर अलग से खर्चा होता है। लगभग 30-40 रूपये में चूज़ा खरीदते हैं और 35 से 40 दिन बाद वही चूज़ा लगभग 90–95 रूपये में बिकता है फार्म में नमी हो गई, तो बीमारी का खतरा होगा और बदबू भी आएगी। इसलिये चूजों की जगह को सूखा रखना चाहिए। इसके लिए समय-समय पर उस ज़मीन पर बलुई मिट्टी, धान की भूसी और लकड़ी का बुरादा डालते रहते हैं। मुर्गियों को दिन में तीन बार दाना देना होता है और पानी में दवा मिलाकर दी जाती है, जो उन्हें बीमारियों से बचाती है।

ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन
ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे स्तर पर मुर्गी पालन से अतिरिक्त आय प्राप्त होती है साथ ही मुर्गी का मल (विष्ठा) का उपयोग बटन मशरूम उत्पादन हेतु कम्पोस्ट बनाने तथा खाद के रूप में खेतो में प्रयोग से फसल की उत्पादकता में बढ़ोत्तरी होती है।  कुक्कुट पालन किसानों की आर्थिक अवस्था सुधारने का महत्वपूर्ण उद्योग है। कुक्कुट पालन से कम समय व कम व्यय में अधिक आय प्राप्त की जा सकती है। देश में अभी प्रति व्यक्ति अंडा सेवन व मांस सेवन अन्य विकासशील पश्चिमी देशों की तुलना में बहुत ही कम है। मुर्गी पालन से रोजगार की विपुल संभावना है। कुक्कुट पालन से देश के करीब 6.5-7 लाख व्यक्तियों को रोजगार मिल रहा हैं। मुर्गी पालन से बहुत लाभ है, इससे परिवार को मुर्गी के आहार में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन व वसा के साथ-साथ खनिज पदार्थ तथा विटामिन मुख्यत: होते हैं। आहार के साथ उचित मात्रा में एमिनो पॉवर, ग्रोवीट पॉवर,नेऑक्सीविटा फोर्ट,ग्रोलिव फोर्ट इत्यादि विटामिन्स मिनरल्स और दवाएं देना जरुरी है , इससे खनिज पदार्थ और विटामिन्स की पूर्ति होती है ।
मुर्गियों में होने वाले घातक रोग जिनमें आन्तरिक व बाह्य-परजीवी रोग जिनका समय पर ध्यान रखना आवश्यक है। विषाणु रोग अत्यंत ही घातक रोग हैं। जैसे रानीखेत,चेचक, लिम्फोसाइट, मेरेक्स रोग तथा इन्फैक्शंस, कोरइजा तथा कोलाई रोग। इनके अलावा खूनी पेचिस जो कोक्सीडियोसिस कहलाती है भी घातक रोग है। अत: मुर्गीपालन के लिये लगातार विशेषज्ञों से सम्पर्क में रहना बहुत ही महत्वपूर्ण है। रोगों के बारे में जानकारी व बचाव तथा ईलाज,विषाणुजनित रोगों के लिये टीकाकरण बहुत ही महत्वपूर्ण है।
विराक्लीन डालकर पानी से धोना चाहिए तथा आंगन पर साफ-सुथरा बिछावन बिछाकर मुर्गीघर का तापमान हीटर से नीयत करना चाहिए चूजों के लिये साफ व ताजा पानी हर समय उपलब्ध रखना होगा। चूजों का स्टार्टर दाना हर समय रखना सबसे महत्वपूर्ण है। चूजों को समय पर टीके लगवाना चाहिए पहले दिन ही मेरेक्स रोग का टीका लगवाना चाहिए। चेचक टीका व रानीखेत बीमारी का टीका लगवाना होता है।