रेशम पालन द्वारा किसानों की आय में बढ़ोतरी
रेशम पालन द्वारा किसानों की आय में बढ़ोतरी

दिव्यांशी तोमर, विकास सिंह सेंगर, सुशील कुमार
शिवालिक कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज

रेशम की उपलब्धता के लिए व्यवसायिक स्तर पर रेशम पालन किया जाता है। भारत में रेशम उत्पादन का स्थान दूसरा है जबकि चीन पहला स्थान पर है। भारत विश्व के कुल रेशम उत्पादन में 18 प्रतिशत का योगदान करता है भारत कच्चे रेशम का विश्व में दूसरा स्थान है। भारत में ये लोगों की रोजी रोटी का साधन है इससे लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान होते हैं। और लोगों की आय में बढ़ोतरी होती है।

  • सरकार का लक्ष्य रेशम उत्पादन में कार्यरत लोगों की संख्या को 85लाख से बढ़ाकर अगले 5वर्षों में 1करोड़ करना है।
  • सरकार किसानों और रेशम उत्पाद के द्वारा अवसरनचना विकास की केंद्र सरकार द्वारा वितिय रूप से सहाइता की जाएगी।

रेशम क्या है?

  • रेशम रेसमकिट के रूप में विख्यात झिल्ली द्वारा निकाले जाने वाले प्रोटीन से बना होती   हैं। 
  • ये रेस्मकिट कुछ विशेष खाद्पोधो मै पालते है। अपनें जीवन को बनाए रखने के लिए कोकून का निर्माण करते है।

रेशम कीट पालन कैसे किया जाता है?
कोई मादा रेशम किट एक बार में सैकड़ों अंडे देती है अंडो को सावधानी से कपड़े की पट्टियों और कागज पर संग्रहीत करके रेशम कीट पालको को बेचा जाता है। उचित ताप पर अनुकूल स्थिति में रखते हैं अंडों को उपयुक्त ताप पर गर्म रखा जाता है जिससे अंडों मै से लार्वा निकल जाए वे लार्वा जो केटरपीलार कहलाते है। दिन रात खाते रहते है और आकार मै बड़े हो जाते है लार्वा को सेहतू त की बॉस की स्वच्छ ट्रे में रखते है। 25से 30 दिनों बाद कैटरपिलर खाना बंद करते है कोकून बनाने के लिए बॉस के बने छोटे कक्षो मै चले जाते है इसके लिए ट्राय में तहनिया रखी जाती है जिनसे कोकून जूड जाते है।

रेशम उत्पादन  लाभ:

  • रोजगार सृजन की प्रयाप्त  छमता 
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार
  • कम समय में अधिक आय
  • महिलाओं अनुकूल व्यवसाय
  • प्रयावरण मै अनुकूल कार्यकलाप
  • समाज के कमजोर वर्ग के लिए आदर्श कार्यक्रम