आम की सामान्य पत्तियों के स्थान पर छोटी छोटी पत्तियों के झुंड में परिवर्तित होने की प्रमुख समस्या (वनस्पति मालफॉर्मेशन) को कैसे करें प्रबंधित?
आम की सामान्य पत्तियों के स्थान पर छोटी छोटी पत्तियों के झुंड में परिवर्तित होने की प्रमुख समस्या (वनस्पति मालफॉर्मेशन) को कैसे करें प्रबंधित?

प्रोफेसर (डॉ) एसके सिंह
मुख्य वैज्ञानिक (प्लांट पैथोलॉजी)
प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना एवम्
सह निदेशक अनुसंधान
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय

आम का मालफॉर्मेशन (खराबी) एक कवकजनित रोग है। कुछ वर्ष पहले तक इसकी सही जानकारी उपलब्ध नहीं था। सर्वप्रथम यह रोग दरभंगा, बिहार से रिपोर्ट किया गया था। यह रोग भारतवर्ष में सबसे ज्यादा उत्तर-पश्चिम मे पाया जाता है। मालफॉर्मेशन आम की सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं में से एक है और आम की सफल खेती के लिए एक गंभीर खतरा है। यह विकार फूलों और वनस्पति शूटिंग में व्यापक है।मोटे तौर पर तीन अलग-अलग प्रकार के लक्षण होते हैं। ये वानस्पतिक विकृति और पुष्प विकृति हैं। बाद में, इन्हें दो व्यापक श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया जो वनस्पति और पुष्प विकृति कहलाते है।

वनस्पति मालफॉर्मेशन नए लगाए गए आम के बागों में अधिक पाया जाता है। इस प्रकार के लक्षण मे नवजात छोटे-छोटे पत्तों को एक छोटे से गुच्छे के साथ पैदा करते हैं, जो छोटी छोटी पत्तियों के झुंड के रूप में दिखाई देते हैं। जिससे सामान्य विकास नहीं होता है।

पुष्प मालफॉर्मेशन (विकृति) मंजर की विकृति है। मंजर गुच्छे मे परिवर्तित हो कर कुरूप दिखाई देता है। पुष्प मालफॉर्मेशन हल्के से लेकर मध्यम या भारी विकृति  एक ही शाखा पर भिन्न हो सकती है। मंजर का स्वरूप सामान्य से भारी हो जाता है। गर्मी के दौरान आक्रांत मंजर शुष्क काले द्रव्यमान के रूप में विकसित होते रहते हैं, उनमें से कुछ अगले मौसम तक बढ़ते रहते हैं।

इस रोग के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ
 तापमान और सापेक्ष आर्द्रता इस रोग के रोगज़नक़ की वृद्धि और आम के मालफोर्मेशन के लक्षणों की अभिव्यक्ति के महत्वपूर्ण कारक हैं। 26 डिग्री सेल्सियस + 2 डिग्री सेंटीग्रेड और सापेक्ष आर्द्रता 65% की मौसम की स्थिति रोगज़नक़ के विकास और रोग के विकास के लिए अनुकूल हैं। अत्यधिक कम (10°C) और उच्च तापमान (40°C) की अवस्था में इस रोग का रोगकारक फ्यूजरियम मंगीफेराई की वृद्धि नहीं होती है।

आम के मालफॉर्मेशन का प्रबंधन कैसे करें?
रोगग्रस्त पौधों को नष्ट कर देना चाहिए। रोग मुक्त रोपण सामग्री का उपयोग करें।जैसे ही इस रोग का लक्षण दिखाई दे तब तुरंत साफ @2ग्राम/पानी पानी मे घोलकर छिड़काव करना चाहिए। संक्रमित पेड़ों से निकली हुई शाखा का इस्तेमाल नए पौधे बनाने के लिए नहीं करना चाहिए। जैसे ही रोग का लक्षण प्रकट हो, शाखा के आधार से 15-20 सेमी स्वस्थ भाग के साथ प्रभावित शाखावो काट कर हटा दिया जाना चाहिए और जला दिया जाना चाहिए। अक्टूबर के पहले सप्ताह के दौरान प्लैनोफिक्स @1मिली दवा/3लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए एवम् यदि संभव हो तो आक्रांत कलियो को तोड़कर जला दे। जहा पर यह समस्या गंभीर हो वह पर फूल निकालने से पहले कोबाल्ट सल्फेट @1मिली/लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से पुष्प विकृति को काफी हद तक कम किया जा सकता है।