आम एवं लीची के नए बाग एवं जिसमे फूल आ रहे हो, उसमे इस समय क्या करें क्या ना करें?
आम एवं लीची के नए बाग एवं जिसमे फूल आ रहे हो, उसमे इस समय क्या करें क्या ना करें?

प्रोफेसर (डॉ) एसके सिंह
सह निदेशक अनुसन्धान 
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार

आम एवम् लीची के नये बागों में या जो बाग अभी फलन में नही आने वाले हो उनके आस-पास चारों तरफ धास-फूस की पुआल या पालीथीन की मल्चिंग को हटा कर हल्की जुताई- गुड़ाई करके पेड़ की उम्र के अनुसार खाद एवं उर्वरको का प्रयोग करे। यदि आप का पेड़ एक वर्ष का है तो उसमे 50-55 ग्राम डाइअमोनियम फॉस्फेट ,85 ग्राम यूरिया एवं 75 ग्राम मुइरेट ऑफ़ पोटाश एवं 5 किग्रा खूब अच्छी तरह से सडी गोबर की खाद पौधे के चारों तरफ मुख्य तने से 1 दूर (पेड़ की कैनोपी के अनुसार) रिंग बना कर खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए । यह डोज एक वर्ष के पौधे के लिए है, एक साल के पेड़ के डोज में पेड़ की उम्र से गुणा करे, वही डोज पेड़ को देना चाहिए। इस तरह से खाद एवम् उर्वरकों की मात्रा को निर्धारित किया जाता है। ऐसे बागों में आवश्यकतानुसार हल्की-हल्की सिंचाई करना श्रेयकर रहता है। ऐसे बाग जहाँ पर दीमक की समंस्या हो क्लोरोपरीफास 20 EC @ 2.5 मीली/लीटर की दर से मुख्य तने या उसके आस-पास की मिट्टी में छिड़काव करने से दीमक की उग्रता में कमी आती है।
ऐसे बाग जिसमें निकट भविष्य में फूल आनेवाले हो उसमें इमिडाक्लोप्रीड (17.8 SL) @ आधा मीली/लीटर एवं हेक्साकॉनाजोल @ 1 मिलीलीटर/लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से क्रमशः हापर एवं चूर्णिल आसिता के साथ साथ अन्य फफूंद जनित रोगों की उग्रता में कमी आती है। यदि मंजर खुल कर ठीक से नहीं निकल रहा हो तो घुलनशील सल्फर फफुंदनाशक की 2 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से मंजर खुलकर आते है एवं पॉऊडरी मिलडयूव रोग नही लगता है। आम एवम् लीची में एक बार फूल के खिल जाने के बाद किसी भी प्रकार का कृषि रसायन का छिड़काव नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे फूल को नुकसान पहुंचने की संभावना रहती है एवम् परागण प्रभावित होता है। आम एवं लीची  के बाग से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए बाग में मधुमक्खी की कालोनी बक्से रखना अच्छा रहेगा, इससे परागण अच्छा होता है तथा फल अधिक मात्रा में लगता है। आम एवं लीची के बाग में अच्छी फलन के लिए आवश्यक है की 15-20 मधुमक्खी के बक्शे प्रति हेक्टेयर की दर से रक्खे जाय। फूल के खिल जाने के बाद से लेकर फल लग जाने के मध्य सिचाई कत्तई नही करनी चाहिए तथा किसी भी प्रकार के कृषि रसायनों के छिडकाव से बचना चाहिए, अन्यथा नुकसान होने की सम्भावना प्रबल रहती है। फल के लग जाने के बाद फल को झड़ने से बचने के लिए आवश्यक है की प्लानोफीक्स 1 मीली प्रति 3 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए। जिन बागों में फल मक्खी के समस्या गंभीर हो वहां इसके नियंत्रक के लिए मिथाइल पूजीनाल फेरोमन ट्रैप @10 ट्रैप/हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। फल लग जाने के बाद बाग़ की मिट्टी का हमेशा नम रहना आवश्यक है, अन्यथा फल के झड़ने की सम्भावना ज्यादा रहती है। इसलिए आवश्यक है की नियमित हल्की सिचाई करते रहे।