खेती-बाड़ी के तरीकों में बदलाव करके भी रोग और कीटों का किया जा सकता है प्रबंधन
खेती-बाड़ी के तरीकों में बदलाव करके भी रोग और कीटों का किया जा सकता है प्रबंधन

डॉ. एस.के .सिंह
प्रोफेसर सह मुख्य वैज्ञानिक
( प्लांट पैथोलॉजी ) एवम्
सह निदेशक अनुसंधान
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय
पूसा , समस्तीपुर बिहार

जैविक खेती की तरफ एक क़दम.....
खेती-बाड़ी करने के ढंग में परिवर्तन करके भी रोग एवं कीट को प्रबंधित किया जा सकता है 

शस्य नियन्त्रण से तात्पर्य है कि परम्परागत अपनाए जाने वाले कृषि क्रियाओं में ऐसा क्या परिवर्तन लाया जाए, जिससे कीड़ों तथा बिमारियों से होने वाले आक्रमण को कम किया जाय या तो रोका जाए। एसी विधियां बहुत पहले से चली आ रही है लेकिन आधुनिक रसायनों के आने से इनका प्रयोग कम होता जा रहा है। इसके अंतगर्त निम्नलिखित तरीके अपनाएं जाते है जैसे, खेतों से फसल अवशेषों का हटाना तथा मेढ़ों को साफ रखना, गहरी जुताई करके उसमें मौजूदा कीड़ों तथा बिमारियों की विभिन्न अवस्थाओं तथा खरपतवारों को नष्ट करना। खाद तथा अन्य तत्वों की मात्रा निर्धारिण के लिए मिट्टी परिक्षण के अनुसार प्रयोग करना। साफ, उपयुक्त एवं प्रतिरोधी किस्मों का चयन करना तथा बोने से पहले बीज उपचार करना।
उचित बीज दर एवं सस्तुति के अनुसार पौध से पौधे के बीच की दूरी रखना।
पौधारोपण से पहले पौधें की जड़ो को जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडरमा बिरडी से उपचारित करें। फसल को लगाने और काटने का समय इस तरह से सुनिशिचित करना ताकि फसल कीड़ो तथा बीमारियों के प्रमुख प्रकोप से बच सके। पौधें की सही सघनता रखे ताकि पौधे स्वस्थ रहे।
समुचित जल प्रबन्धन, उर्वरक प्रबन्धन अर्थात उर्वरक की सही मा़त्रा उचित समय पर देना। फसल की समय से उचित नमी में सन्तुलित खाद व बीज की मात्रा डाले ताकि पौधे प्रारम्भिक अवस्था में स्वस्थ रह कर खरपतवारों से आगे निकल सके।
फसल चक्र अपनाना अर्थात एक ही फसल को उसी खेत में बार बार न बोना। इससे कई कीड़ो तथा बीमारियों का प्रकोप कम हो जाता है। समय पर बुवाई करना, खरपतपार का समुचित प्रबन्ध करना। यह पाया गया है कि बहुत से खरपतवार कई तरह की बीमारियों तथा कीडों को संरक्षण देते हैं। बुवाई के 45 दिनों तक खेतों से खरपतवारों को फूल आने की अवस्था से पहले ही निकाल दें।


उपरोक्त तरीके से खेती बारी के ढंग विशेष में परिवर्तन करके रोग एवं कीटों को प्रबंधित किया जा सकता है। कृषि रसायनों का प्रयोग अंतिम विकल्प के तौर पर करना चाहिए जब बहुत ही आवश्यक हो। हम रसायनों का प्रयोग अंतिम विकल्प के रूप में करना चाहिए जबकि हम इसे पहले विकल्प के रूप में करते है ,जो गलत है।