नैनो यूरिया के उपयोग लाभ एवं हानि
नैनो यूरिया के उपयोग लाभ एवं हानि

लेखक
मि. रमांशु पाटीदार (बी.एससी .कृषि)
छात्र सेज कृषि विश्वविद्यालय इंदौर (म.प्र.)
मि. सौरभ चोरठे (बी.एससी .कृषि)
छात्र सेज कृषि विश्वविद्यालय इंदौर (म.प्र.)

 नैनो यूरिया क्या है ।
आजकल बाजारों में नैनो यूरिया चर्चा का विषय बना हुआ है। नैनो यूरिया होता क्या है नैनो यूरिया दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है नैनो तथा यूरिया। नैनो शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है सूक्ष्म या छोटा तथा दूसरा शब्द यूरिया जो कि एक उर्वरक है । यहां पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करता है।

नैनो यूरिया के कुछ तथ्य
नैनो यूरिया का आविष्कार इंडियन फार्मर फर्टिलाइजर  कॉरपोरेशन लिमिटेड ( IFFCO) के वैज्ञानिक रमेश रलिया और उनकी टीम द्वारा किया गया। इसे स्वदेशी रूप से नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर, कलोल, गुजरात में आत्मनिर्भर भारत के अनुरूप विकसित किया गया नैनो यूरिया का सफल आविष्कार मई 2021 में हुआ तथा इसका वाणिज्य उत्पादन जून 2021 में आरंभ हुआ इसकी कीमत प्रति 500 ml बोतल की कीमत ₹240 रखी गई । इस बोतल में 40000mg/l नैनो कण होते नाइट्रोजन के इस 500ml की बोतल में 40000 ppm नाइट्रोजन होता है जो उतना ही पोषण पौधों को प्रदान करता है जितना यूरिया की पारंपरिक 50 किलो की एक बोरी के द्वारा पौधों को प्रदान किया जाता है वजन के आधार पर इसमें 40% नैनोस्केल कण होते हैं । इसका उपयोग 500ml प्रति एकड़ के हिसाब से पर्याप्त होता है (यह एक माननीय मानक नहीं है क्योंकि विभिन्न फसलों को उनकी आवश्यकता के अनुसार नाइट्रोजन की आवश्यकता भिन्न-भिन्न होती है। नैनो यूरिया की विशेषता यह है कि यहां नैनो तकनीकी द्वारा विकसित किया गया है यह तरल सूत्रीकरण में उपलब्ध है इसलिए यह घुलनशील है। नैनो यूरिया कणों का औसत भौतिक आकार 10-50pm (30nm) है। नैनो यूरिया में मौजूद नाइट्रोजन पौधों को प्रभावी रूप से प्राप्त होता है तथा पारंपरिक यूरिया की तुलना में यह अधिक कारगर साबित है।

नैनो यूरिया का उपयोग
नैनो यूरिया बाजारों में लिक्विड के रूप में उपलब्ध है इसलिए इसे स्प्रे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। नैनो यूरिया को 1 लीटर पानी में 2ml से 4ml तक मिलाकर फसल के विकास चरणों के समय पत्तों पर इसका स्प्रे करें। नैनो यूरिया का पहला छिड़काव बुवाई के 20 से 25 दिन बाद तथा दूसरा छिड़काव पहले छिड़काव के 15 से 20 दिन बाद या फूल आने के पहले करना चाहिए।

नैनो यूरिया का महत्व
नैनो यूरिया पर्यावरण के अनुकूल है। यहां पौधों के द्वारा सीधे अवशोषित कर लिया जाता है यह पारंपरिक यूरिया की तरह भूमिगत जल मैं घुलकर उसके प्रदूषण का कारण नहीं बनता है। नैनो यूरिया पौधों के पोषण में अत्यधिक लाभकारी है यह उत्पादन को बढ़ाता है तथा पारंपरिक यूरिया की तुलना नैनो यूरिया का भंडारण बहुत ही सुलभ है। इसका लागत शुल्क बहुत ही कम है तथा यह किसानों को आसानी से उपलब्ध है।

यूरिया के अधिक उपयोग के दुष्परिणाम
भारत में एक समय था जब हरित क्रांति के दौर में रासायनिक उर्वरकों ने कृषि में चार चांद लगा दिए थे। लेकिन मानव की बढ़ती महत्वाकांक्षा व सीमित भूमि में अधिक उत्पादन के लालच के चलते रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग शुरू कर दिया। जिसका परिणाम यह हुआ की जमीन में जैविक उर्वरकों की मात्रा कम गई। जहरीले रसायनों के प्रयोग से जैविक पदार्थ के चक्र का संतुलन प्रतिदिन बिगड़ता चला गया। यूरिया के अत्यधिक उपयोग के कारण आज जमीन बंजर होती चली जा रही है तथा फसलों के बीजों का अंकुरण ना होना एवं फसल उत्पादन में कमी आना एवं रासायनिक उर्वरकों का लागत खर्च अधिक आना  जैसी गंभीर समस्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिससे किसानों को खेती घाटे का सौदा लग रही है। हर वस्तु की एक सीमा होती है सीमा से ऊपर जाने पर दुष परिणाम प्राप्त होते हैं किंतु यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हमें किस तरह से उपयोग करना चाहिए।

         मिट्टी को दूषित होने से नहीं बचाओगे,
         तो खाने के लिए अन्न कहां से पाओगे?