केला के बंच को स्कैरिंग बीटल कीट के नुकसान से कैसे बचाएं ?
केला के बंच को स्कैरिंग बीटल कीट के नुकसान से कैसे बचाएं ?

प्रोफेसर (डॉ ) एसके सिंह
प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना  एवम् 
सह निदेशक अनुसंधान
डॉ राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर बिहार


स्कारिंग बीटल (बेसिलेप्टा सबकोस्टाटा (जैकोबी) (कोलॉप्टेरा: क्राइसोमेलिडे) भृंग पत्ती, डंठल, मध्य शिरा पर भोजन करते हैं। वयस्क भृंग कोमल केला के अपरिपक्व फल को खाते हैं और उन पर निशान छोड़ देते हैं।जख्म के गंभीर मामलों में, प्रभावित गुच्छों का विपणन नहीं किया जा सकता है।  लार्वा युवा जड़ों पर फ़ीड करते हैं, पुरानी जड़ों के नरम एपिडर्मल ऊतकों को कुतरते हैं।इस कीट से आक्रांत केला के बंच देखने में बहुत ही भद्दे लगते है।लेकिन केला का गुद्दा प्रभावित नही होता है।


स्कारिंग बीटल का प्रबंधन
 प्यूपा को मारने के लिए ब्यूवेरिया बेसियाना (1x10 टू पावर 9 सीएफयू प्रति मिली लीटर) के तरल फॉर्मूलेशन के साथ पौधों के चारों ओर मिट्टी को डुबोएं या मई के दौरान पत्ती और गुच्छा पर  ब्यूवेरिया बेसियाना (1x10 टू पावर 9 सीएफयू प्रति मिली लीटर) या एसीफेट (0.1%) के तरल फॉर्मूलेशन का छिड़काव करें।  सितंबर/अक्टूबर पत्तियों और केला के फल पर भृंगों को मारने के लिए।केला के घौद (बंच) को ढकने ( कवर) से कीट खासकर स्कार्रिंग बीटल  के हमले या फलों की सतह को किसी भी यांत्रिक चोट से बचाव होता है । इसके लिए 100 गेज मोटी सफेद या नीले पॉलिथीन के थैले जिसमे 6 प्रतिशत छेद हो का प्रयोग  प्रभावी पाया गया  है । केला के घौद (बंच) को  आमतौर पर आखिरी हथ्था निकलने  के और गुच्छा से नर फूल को हटाने के 5-7 दिन बाद 100 गेज मोटी सफेद या नीले पॉलिथीन से ढका  जाता है, जिसमे लगभग 6 % छिद्र होते है । बिहार की जलवायु में , पॉलीथीन कवर केला के घौद (बंच) के  वजन बढ़ाता है और गुच्छा को आकर्षक बनता है और साथ ही 7-8 दिन पहले केला के फल परिपक्वता हो जाते है।येसा करने से केला के घौद का वजन भी बढ़ता है एवं घौद आकर्षक होते है 


इस कीट से बचाव हेतु अन्य उपाय

  •  केला के बाग में खरपतवारों का पूर्ण नियंत्रण  रखें, क्योंकि यह कीट उन पर पनपते हैं। कहने का तात्पर्य है की साफ सुथरी खेती को बढ़ावा दे
  •  जल स्रोत या जहा पर लगातार पानी लगा रहता हो या जल निकासी नहरों के पास केले के बाग लगाने से बचें।
  •  जमीनी के नीचे से आभासी तने ( स्यूडोस्टेम) को हटा दें और जहां लार्वा परिपक्व हो वहां प्रकंद की कटाई छटाई ( ट्रिम) करें।
  •  केला के बाग से लगातार केला के क्षतिग्रस्त पौधों के हिस्सों को हटाते रहे।
  •  केला के पौधे के आस पास की मिट्टी की जुताई गुड़ाई करते रहने से शिकारियों के संपर्क में इस कीट का प्यूपा आ जाता है।

PC: Sanjukta Chakraborty and Subhasmita Swain both are MSc (Ag)Plant Pathology students of Dr Rajendra Prasad Central Agricultural University ,Pusa, Samastipur, Bihar