ड्रैगन फ्रूट्स के तने पर बन रहे लाल भूरे धब्बे को कैसे करें प्रबंधित?
ड्रैगन फ्रूट्स के तने पर बन रहे लाल भूरे धब्बे को कैसे करें प्रबंधित?

भारत वर्ष में आजकल ड्रैगन फ्रूट्स की खेती देश के अधिकांश प्रदेशों में हो रही है। नई फसल होने की वजह से हमारे देश में इस पर बहुत कम रिसर्च हुआ है। पहले इस तरह की मान्यता थी की इसमें बहुत ही कम रोग एवम कीड़े लगते है। यह पूरी तरह से सत्य नही है। आजकम देश के विभिन्न हिस्सों से किसान इसमें लगने वाले तरह तरह की समस्या के बारे में जानना चाह रहे है। अधिकाश जगहों से इसमें लगने वाली एक समस्या के बारे में जानना चाह रहे है ,जिसमे इसके तने पर लाल भूरे धब्बे बन रहे है ,जिससे तना पीला हो जाता है। इस रोग का रोगकारक Botryosphaeria dothidea नामक एक कवक  है जिसके परिणामस्वरूप ड्रैगन फ्रूट्स के तनों पर धब्बेदार लाल / भूरे रंग के घाव हो जाते हैं। कभी-कभी वे 'बैल की आंख' के निशाने की तरह दिखते हैं और कभी-कभी कई धब्बे एक साथ मिल सकते हैं। यह रोग संक्रमित शाखा पर पीलेपन के रूप में शुरू होता है जो ऊपर बताए गए घावों तक बढ़ता है। यह रोग प्रूनिंग शीयर और अन्य औजारों से फैलता है। अधिकांश रोग अस्वच्छ बागवानी, विशेष रूप से अस्वच्छ उपकरणों के माध्यम से फैलते हैं। उपयोग के बीच अपने उपकरणों को जीवाणुरहित करना महत्वपूर्ण है ताकि बीमारी न फैले। उपकरण को अल्कोहल, हाइड्रोजन पेरोक्साइड या बहुत हल्के  ब्लीचिंग पाउडर के पानी के घोल से निष्फल किया जा सकता है। कुछ रोग एक संक्रमित पौधे और एक असंक्रमित पौधे के बीच संपर्क के माध्यम से फैलते हैं, इसलिए रोपण के बीच कुछ जगह छोड़ दें।


इस कवकजनित  रोग के उपचार के लिए तांबेयुक्त कवकनाशी यानी ब्लाइटॉक्स 50 की 2 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करके इस रोग की उग्रता को कम किया जा सकता है।  लेकिन ड्रैगन फ्रूट में इस बीमारी को प्रबंधित  करने का सबसे अच्छा तरीका साफ सुथरी (सैनिटरी प्रथाओं )खेती करना है;  अर्थात्, औजारों को साफ करना और संक्रमित पौधे के मलबे को खेत से लगाता हटाते  रहना  और पौधे को स्वस्थ, पानी देना, आसपास के क्षेत्र को खरपतवार मुक्त, और कीटों से मुक्त रखना जो बीमारी भी फैला सकते हैं।