Discription:

मसाला क्षेत्र विस्तार योजना

    प्रदेष में मसाला क्षेत्र विस्तार योजना अंतर्गत कृषकों के लिये उन्नत/संकर मसाला फसल के क्षेत्र विस्तार के लिये इकाई लागत का 50 प्रतिषत, बीज वाली फसल हेतु अधिकतम रूपयें 10000/-प्रति हेक्टर तथा जड़ एवं कंद/प्रकंद वाली फसलों जैसे- हल्दी, अदरक, लहसुन के लिये अधिकतम रूपयें 50,000/- प्रति हेक्टयर अनुदान  दिये जाने का प्रावधान है। योजना में एक कृषक को 0.25 हेक्टर से लेकर 2 हेक्टर तक का लाभ दिया जा सकता है।
    प्रदेश में मसाला क्षेत्र विस्तार की नवीन योजना अंतर्गत सभी वर्ग के कृषकों के लिये उन्नत/संकर मसाला फसल के क्षेत्र विस्तार के लिये आदान सामग्री का 50 प्रतिशत अधिकतम रूपये 12500/- प्रति हैक्टर तथा कंदवाली फसल जैसे-हल्दी, अदरक, लहसुन के लिये आदान सामग्री का ५० प्रतिशत अधिकतम रूप 25000/- दिये जाने का प्रावधान किया गया है।

   1. योजना के तहत कृषक को अधिकतम 2 हैक्टर तक लाभ देने का प्रावधान है, जिसकी न्यूनतम सीमा 0.25 हैक्टर हैं। कृषक को अधिकतम 2 हैक्टर की सीमा तक खरीफ, रबी एवं जायद में अनुदान का लाभ दिया जा सकेगा।
   2. योजनांतर्गत निर्धारित सीमा में उन्नत/ संकर बीज की अनुदान राशि पात्रता अनुसार देय होगी।
   3. कृषक को नवीन भूमि/ खाद्यान्न फसलों के स्थान पर मसाला फसल लेने पर ही अनुदान की पात्रता होगी।

अनुदान की पात्रता
          1.सामान्य, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के हितग्राहियों को उन्नत/ संकर सब्जी उत्पादन पर आदान सामग्री का 50 प्रतिशत अधिकतम 12500 रुपये प्रति हेक्टर जो भी कम होगा, अनुदान देय होगा।
         2.कंद वाली व्यवसायिक फसलें जैसे- हल्दी, अदरक, लहसुन फसल उत्पादन हेतु अधिकतम 25000 रुपये अनुदान देय होगा।

    प्राकृतिक आपदा और अत्यधिक बारिश के बाद फसल बर्बाद होने जैसी समस्या से लगातार किसान सामना करते आ रहे हैं। इस विपरीत परिस्थिति से उभारने उद्यानिकी विभाग उनका सहयोगी बनेगा। शासन के निर्देश पर विभाग ने नई मसाला क्षेत्र विस्तार योजना चलाई है। इस योजना में किसानों को ऑनलाइन पंजीयन कराना होगा। पंजीयन के बाद खेतो में फसल लगाने के बाद अफसर इसका निरीक्षण करेंगे। सबकुछ ठीक मिला तो किसानों को इस पर अनुदान दिया जाएगा। वहीं फसल में किस तरह से वह और अधिक मुनाफा कमा सके इसकी भी सलाह दी जाएगी।
              वर्तमान में किसान खरीफ फसल में सोयाबीन और रबी में गेहूं-चने पर ज्यादा आश्रित हैं। प्राकृतिक आपदा और बारिश होने पर इसी फसल को सबसे ज्यादा नुकसान होता है और किसान इससे मायूस होकर टूट जाते हैं। कुछ वर्ष से लगातार फसल बर्बादी के बाद किसानों का खेती से मोह भंग तक होता जा रहा है। इस स्थिति से किसानों को उबारने व खेती को लाभ का धंधा बनाने उद्यानिकी विभाग की नई योजना लाभदायक साबित होगी। विभाग द्वारा मसाला फसलों को प्रोत्साहित करने और किसानों को इस क्षेत्र में आगे बढ़ाने को लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है। किसानों को मसाला क्षेत्र विस्तार योजना से जोड़ने की भी तैयारी की जा रही है। शासन से निर्देश मिलते ही विभागीय अफसरों ने इसको अमलीजामा पहनाने की तैयारी जोर-शोर से शुरू कर दी है। यह योजना भले ही रबी के लिए है, फिर भी किसान अच्छा मुनाफा कमा सकता है।
            वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी सत्यप्रकाश राठौर ने बताया योजना के तहत किसानों से आवेदन लिए जा रहे हैं। योजना का लाभ लेने किसानों को अपने आधार नंबर, बही व बैंक पासबुक की फोटोकॉपी देना होगी। साथ ही विभाग द्वारा विकसित मप्र फार्मस सबसिडी टेकिंग सिस्टम पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीयन करना होगा। किसान स्वयं या फिर उद्यानिकी विभाग के कार्यालय से ऑनलाइन आवेदन निःशुल्क जमा कर सकेगा। विभाग द्वारा उन्हें एक यूनिक आईडी प्रदान की जाएगी। खास बात यह है कि विभाग के इस पोर्टल पर अन्य योजना की भी जानकारी किसानों को आसानी से उपलब्ध हो जाएगी। उद्यानिकी विभाग ने कई गांवों में कलस्टर बना रखे हैं।नलखेड़ा क्षेत्र में करीब 20 कलस्टर हैं। इस कलस्टर में कई किसान जुड़े हुए हैं। विभागीय अधिकारियों की माने तो नई योजना का सबसे पहले लाभ कलस्टर से जुड़े किसानों को ही दिया जाएगा। उसके बाद जो किसान नहीं जुड़े हैं, उनको दिया जाएगा। वहीं उन्हीं किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा, जो वर्तमान में मसाला फसलों की खेती नहीं कर रहे हैं। नई मसाला विकसित योजना में किसानों को एक बार ही अनुदान मिलेगा। किसान कितने भी क्षेत्रफल में इसकी खेती करें, लेकिन अनुदान आधा या फिर एक हेक्टेयर पर ही मिलेगा। अनुदान 10 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मिलेगा।

ब्लॉक के किसान काफी पीछे
    वर्तमान में ब्लॉक के किसान अभी भी उद्यानिकी व मसाला फसल में बहुत पीछे हैं। मसाला फसल में तो काफी पिछड़े हुए हैं। किसान सोयाबीन, गेहूं-चना फसल पर ज्यादा निर्भर हैं और आपदाएं आने पर यह फसल ज्यादा प्रभावित होती है। उद्यानिकी विभाग समय-समय पर सब्जी सहित अन्य फसल लगाने की बात तो कहता ही आ रहा है लेकिन इस योजना में मसाला फसल को भी बढ़ावा दे रहा है। जिससे कि किसानों को नुकसान की भरपाई हो सके और वह अधिक मुनाफा कमाकर उन्नत किसान के रूप में जाना जा सके। नई योजना को लेकर अफसरों को आदेश मिल चुके हैं और वह इसमें जुट गए हैं।

अधिकारी करेंगे बीज वेरिफाइड
           अक्सर किसानों को बाजार से बीज खरीदने पर दुकानदार मनमाफिक रुपए लेने के बाद भी अमानक बीज थमा देता है। उद्यानिकी विभाग किसानों को प्रमाणित बीज खरीदने की सलाह देगा एवं किसान ने कौन सा बीज खरीदा है, वह अच्छा है या खराब, इसकी भी जांच की जाएगी। किसान अफसर द्वारा बीज को वेरिफाइड करने के बाद लगा सकेंगे और अमानक बीज से होने वाले नुकसान से भी बच सकेंगे। अनुदान प्राप्त करने से पूर्व हितग्राही को राजस्व रिकॉर्ड में बोई गई मसाला फसल का रकबा दर्ज कराकर खसरे की प्रति उद्यान विकास अधिकारी को उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा ।
ये होगा फायदा
           योजना से मसाला फसल को बढ़ावा मिलेगा। भाव अच्छा होने से फसल पैदा होने के बाद किसानों को ज्यादा मुनाफा मिलेगा। किसानों को खेती कभी घाटे का सौदा नहीं लगेगी। फसल पर किसानों को 10 हजार तक का अनुदान मिलेगा। गांवों में बने कलस्टर को पहले प्राथमिकता दी जाएगी। फसल लगाने के बाद कोई समस्या आ रही है तो अधिकारी सलाह देंगे। योजना रबी फसल के लिए रहेगी ।
website - www.mphorticulture.gov

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