kisan

Neem Tree (नीम)

Basic Info

नीम एक औषधीय और मूल्यवान पेड़ हैं। नीम सर्व गुण संपन्न पेड़ है जिसका की एक एक भाग हमारे लिए उपयोगी है जो की नीम की पत्ती से शुरू होकर नीम की जड़ो और छालो तक है। हमारे आयुर्वेद शास्त्रों में नीम के चमत्कारित गुण के कारण इसे अमृत के समान बताया है। नीम छाल जहा से चर्म रोग ,नीम की टहनी से दातो के लिए दातुन, और नीम की पत्तिया चबाने से जहा रक्त शोधन होता है। वही खेती की बात की जाए तो नीम से जैविक खाद और नीम के बीजो से जिसे की निम्बोली भी कहा जाता है उसका तेल भी खेती में और सोदर्य प्रोडक्ट के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। भारत में नीम ठन्डे और ऊचे क्षेत्रो को छोड़ दिया जाए तो ये सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है और हर लगभग हर तरह की मिट्टी में नीम की खेती बड़े ही आराम से कर अच्छा खासा मुनाफा कमाया जा सकता।

Seed Specification

बुवाई का समय
नीम के पौधे लगाने का उचित समय जुलाई-अगस्त महीना उपयुक्त होता हैं।

दुरी
नीम के पौधों की रोपाई 5X5 मीटर दुरी पर और वृक्षारोपण के लिए खेत की मेड़ों पर की जाती हैं।

बुवाई का तरीका
सीधे बीज की बुवाई से, बीजों द्वारा नर्सरी तैयार करके और कलम विधि के माध्यम से नीम के पौधे लगाए जाते हैं।

पौधरोपण का तरीका
तैयार पौधे को 5X5 मीटर या 4X4 मीटर की दुरी पर 45X45X45 से.मी. गहरे गड्ढो में लगाये जाते हैं।

बीज की मात्रा
प्रति एकड़ में पौधों की संख्या 4X4 मीटर की दुरी पर लगभग 250 पौधे और 5X5 मीटर की दुरी पर लगभग 180 पौधे लगाए जाते हैं।

Land Preparation & Soil Health

अनुकूल जलवायु 
नीम की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उप उष्णकटिबंधीय जलवायु उपयुक्त होती है लेकिन इसके लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है। भारत में नीम की खेती लगभग सभी क्षेत्रों की जलवायु में सफलतापूर्वक की जा सकती है। 

भूमि का चयन
नीम की खेती लगभग सभी तरह की मिट्टी में की जा सकती है लेकिन इसके लिए पथरीली, रेतीली, गहरी चिकनी, मिट्टी में उपयुक्त होती है। नीम से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.2 से अधिक हो उपयुक्त होता है। 

खेत की तैयारी
नीम के पौधों के अच्छे विकास के लिए खेत की दो तीन बार अच्छी तरह जुताई कर खेत को समतल कर ले अंतिम जुताई के समय पाटा लगा कर खेत को समतल और भुरभुरा बना लेना चाहिए। खेत को खरपतवार मुक्त रखना चाहिए। इसके पश्च्यात उचित दुरी और आकार के अनुसार गड्ढो की खुदाई करना चाहिए।

Crop Spray & fertilizer Specification

खाद एवं रासायनिक उर्वरक 
नीम के पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए खेत तैयार करते समय गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट डालना चाहिए। तथा प्रति गड्ढे की दर से 10 ग्राम यूरिया, 20 ग्राम सुपर फास्फेट, 30 ग्राम म्यूरेट आफ पोटाश, तथा 1.2 किलो नीम की खली मिलाकर गड्ढे भर देना चाहिए।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए समय-समय पर आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई करना चाहिए।

सिंचाई
नीम के पौधे लगाने की तुरंत बाद एक सिंचाई करना चाहिए। मानसून के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती हैं। यदि मानसून में देरी हो तो आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। पहले 2 साल तक ग्रीष्मकालीन महीने अप्रैल, मई-जून में लगभग 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए।

Harvesting & Storage

फसल की कटाई
फरवरी-मार्च के दौरान वृक्षों की पत्तियां झड़ जाती है, फल (निम्बोली) जून जुलाई माह में परिपक्व हो जाते हैं परिपक्व होने पर उन्हें तोड़ा जा सकता है। भारत में इसकी फसल और मानसून साथ-साथ आते हैं। जिससे निम्बोली को सुखाना मुश्किल होता है फलों को छाया में सुखा जाता है। 

भंडारण
निम्बोली को सुखी जगह पर संग्रहित किया जाता है, गोदाम भंडारों के लिए आदर्श होते तथा शीत भंडारण अच्छे नहीं होते हैं।

Neem Tree (नीम) Crop Types

You may also like

No video Found!