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Sapota (चीकू)

Basic Info

आप जानते है, चीकू (Chiku) या सपोटा, सैपोटेसी कुल का पौधा है। भारत में चीकू अमेरिका के उष्ण कटिबंधीय भाग से लाया गया था। चीकू का पक्का हुआ फल स्वादिष्ट होता है। चीकू के फलों का छिलका मोटा व भूरे रंग का होता है। इसका फल छोटे आकार का होता है जिसमें 3 –5 काले चमकदार बीज होते हैं। चीकू के फल उपयोग एन्टी वायरल, एन्टी बैक्टीरिया होने के साथ केंसर, डायरिया, बवासीर, सर्दी-जुकाम, पथरी की रोकथाम में काम में भी लिया जाता है। चीकू की खेती मुख्यत: भारत में की जाती है। इसे मुख्यत: लेटेक्स के उत्पादन के लिए प्रयोग किया जाता है, जिसका उपयोग चूइंग गम तैयार करने के लिए किया जाता है। भारत में इसे मुख्यत: कर्नाटक, तामिलनाडू, केरला, आंध्रा प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में उगाया जाता है। चीकू की खेती 65 हज़ार एकड़ की भूमि पर की जाती है और इसका वार्षिक उत्पादन 5.4 लाख मीट्रिक टन होता है।

Seed Specification

बुवाई का समय
पौधा तैयार करने का सबसे उपयुक्त समय मार्च – अप्रैल है। चीकू लगाने का सबसे उपयुक्त समय वर्षा ऋतु है।
 
दुरी
पौधरोपण के लिए गर्मी के दिनों में ही 7 – 8 मीटर की दूरी पर वर्गाकार विधि से 90 x 90 सेमी आकार के गड्डे तैयार कर लेना चाहिए।

बुवाई का तरीका
चीकू के पौध बीज तथा कलम , भेंट कलम से तैयार की जाती है, लेकिन व्यवसायिक खेती के लिए किसान को शीर्ष कलम, तथा भेंट कलम विधि द्वारा तैयार पौधों को ही बोना चाहिए।

Land Preparation & Soil Health

अनुकूल जलवायु
चीकू की खेती के लिए गर्म व नम मौसम की आवश्यकता होती है। इसके पौधे का उत्तम विकास के लिए 11 से 38 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त होता है।

भूमि का चयन
चीकू के पौधे को मिट्टी की कई किस्मों में उगाया जा सकता है लेकिन अच्छे जल निकास वाली गहरी जलोढ़, रेतीली दोमट और काली मिट्टी चीकू की खेती के लिए उत्तम रहती है। चीकू की खेती के लिए मिट्टी की PH मान 6 – 8 उपयुक्त होती है। चिकनी मिटटी और कैल्शियम की उच्च मात्रा युक्त मिटटी में इसकी खेती न करें।

खेत की तैयारी
पौधरोपण से पहले मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए 2-3 बार जोताई करके ज़मीन को समतल करें। जुताई करने के बाद गड्ढो की खुदाई करें।

Crop Spray & fertilizer Specification

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
  • चीकू की खेती में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए खाद एवं उर्वरक की आवश्यकता होती है।
  • 1 से 3 वर्ष के पौधे को 25 किलोग्राम FYM, 220-660 ग्राम यूरिया, 300-900 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट और 75-250 ग्राम पोटाश देना चाहिए। 
  • 4 से 6 वर्ष के पौधे को 50 किलोग्राम FYM, 880-1300 ग्राम यूरिया, 1240-1860 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट और 340-500 ग्राम पोटाश देना चाहिए।
  • 7 से 9 वर्ष के पौधे को 75 किलोग्राम FYM, 1550-2000 ग्राम यूरिया, 2200-2800 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट और 600-770 ग्राम पोटाश देना चाहिए।
  • 10 वर्ष के पौधे को 100 किलोग्राम FYM, 2200 ग्राम यूरिया, 3100 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट और 850 ग्राम पोटाश देना चाहिए।
  • खाद एवं उर्वरक देने का उपयुक्त समय जून-जुलाई है। खाद को पेड़ के फैलाव की परिधि के नीचे 50-60 सें.मी. चौड़ी व 15 सें.मी. गहरी नाली बनाकर डालने से अधिक फायदा होता है।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए।

सिंचाई
बरसात के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है लेकिन गर्मी में 7 दिन व ठंडी में 15 दिनों के अंतर पर सिंचाई करने से चीकू में अच्छी फलन एवं पौध वृद्धि होती है।अच्छी खेती और सिंचाई की सुदृढ़ व्यवस्था के लिए ड्रीप सिंचाई पद्धति का प्रयोग करना चाहिए। टपक सिंचाई करने से लगभग 40 प्रतिशत तक पानी बचता है।

Harvesting & Storage

फल गिरने की समस्या का रोकथाम
चीकू में भी फल गिरने की एक गंभीर समस्या है। फल गिरने से रोकने के लिए पुष्पन के समय फूलों पर जिब्रेलिक अम्ल के 50 से 100 PPM अथवा फल लगने के तुरंत बाद प्लैनोफिक्स 4 मिली/ली. पानी के घोल का छिड़काव करने से फलन में वृद्धि एवं फल गिरने में कमी आ जाती है।

अंतर-फसलें
सिंचाई की उपलब्धता और जलवायु के आधार पर अनानास और कोकोआ, टमाटर, बैंगन, फूलगोभी, मटर, कद्दू, केला और पपीता को अंतरफसली के तौर पर उगाया जा सकता है।

फसल कटाई का समय
शीर्ष कलम तथा भेंट कलम के द्वारा तैयार पौधों में 2 वर्षों के बाद फूल एवं फल आना आरम्भ हो जाता है। इसमें फल साल में 2 बार आते है। पहली फ़रवरी से जून तक और दूसरा सितम्बर से अक्टूबर तक। फूल लगने से लेकर फल पककर तैयार होने में लगभग चार महीने लग जाते हैं।

फसल की कटाई
चीकू के फलों की तुड़ाई जुलाई – सितम्बर महीने में की जाती है। किसानों को एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि अनपके फलों की तुड़ाई न करें। तुड़ाई मुख्यतः फलों के हल्के संतरी या आलू रंग के होने पर जब फलों में कम चिपचिपा दूधिया रंग हो तब की जाती है।  फलों को वृक्ष से तोडना आसान होता है।

भंडारण
तुड़ाई के बाद, छंटाई की जाती है और 7 – 8 दिनों के लिए 20 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर किया जाता है। भण्डारण के बाद लकड़ी के डिब्बों में पैकिंग की जाती है और लम्बी दूरी वाले स्थानों पर भेजा जाता है।

उत्पादन
चीकू में रोपाई के दो वर्ष बाद फल मिलना प्रारम्भ हो जाता है। जैसे-जैसे पौधा पुराना होता जाता है। उपज में वृद्धि होती जाती है। मुख्य्तः 5-10 वर्षों का वृक्ष 250-1000 फल देता है। एक 30 वर्ष के पेंड से 2500 से 3000 तक फल प्रति वर्ष प्राप्त हो जाते हैं।

Sapota (चीकू) Crop Types

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