Peach (आड़ू)
Basic Info
आड़ू (Peach) एक फलदार पर्णपाती वृक्ष है। भारत के पर्वतीय तथा उपपर्वतीय भागों में इसकी सफल खेती होती है। ताजे फल खाए जाते हैं तथा फल से फलपाक (जैम), जेली और चटनी बनती है। फल में चीनी की मात्रा पर्याप्त होती है। आड़ू की गिरी के तेल का प्रयोग कई प्रकार के कॉस्मेटिक उत्पाद और दवाईयां बनाने के लिए किया जाता है| इसमें लोहे, फ्लोराइड और पोटाशियम की भरपूर मात्रा होती है। भारत में आड़ू की खेती मुख्यत: पंजाब, उत्तरांचल, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर की ऊँची घाटियों और उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जा रही है।
Seed Specification
बुवाई का समय
आड़ू के मूल वृंत पर रिंग बडिंग अप्रैल या मई मास में किया जाता है। इस विधि से तैयार किया हुआ पौधा दिसंबर-जनवरी महीने तक मुख्य खेत में लगाने के लिए तैयार हो जाता है|
दुरी
आड़ू के मूल वृंत पर तैयार किये गये पौधों के बीच 6 x 6 मीटर की दूरी रखी जाती है।
बीज की गहराई
वृक्ष लगाने के लिए आड़ू के बीज 5 से.मी. गहरे और 12-16 से.मी. पौधे के बीच का फासला रखें।
बुवाई का तरीका
बुवाई के लिए शुरू में कलम लगाने की विधि का प्रयोग किया जाता है और फिर मुख्य खेत में रोपाई की जाती है।
बीज की मात्रा
आड़ू की रोपाई के लिए पौधों की मात्रा उचित दुरी और जगह के अनुकूल होती हैं।
Land Preparation & Soil Health
अनुकूल जलवायु
आड़ू की खेती के लिए जलवायु ज्यादा ठंडी और ज्यादा गर्म नहीं होना चाहिए। और इस फसल को कुछ कुछ निश्चित समय के लिए 7 डिग्री सेल्सियस से भी कम तापमान की आवश्यकता होती है।
भूमि का चयन
आड़ू की खेती के लिए सबसे उत्तम मिट्टी बलुई दोमट है, पर यह गहरी तथा उत्तम जलनिकासी वाली होनी चाहिए। मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 तक होना चाहिए, साथ ही काफी जीवांशयुक्त होना आवश्यक है। भारत के पर्वतीय तथा उपपर्वतीय भागों में इसकी सफल खेती होती है।
खेत की तैयारी
आड़ू की खेती या बागवानी के लिए खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने के बाद 2 से 3 जुताई आड़ी तिरछी देशी हल या अन्य यंत्र से करनी चाहिए, इसके बाद खेती को समतल बना लेना चाहिए। तथा रोपाई या बुआई से 15 से 20 दिन पहले 1 x 1 x 1 मीटर के गड्ढे खोद कर धूप में छोड़ दें।
Crop Spray & fertilizer Specification
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
आड़ू के पौधे की अच्छी बढ़वार और विकास के लिए कार्बनिक खाद और गोबर की खाद की आवश्यकता होती है। आड़ू की खेती के लिए तैयार गड्ढों को 15 से 25 किलोग्राम गली सड़ी गोबर की खाद 125 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फास्फोरस, 100 पोटाश और 25 मिलीलीटर क्लोरपाइरीफॉस के मिश्रण के साथ इन गड्ढों को भरने के बाद ऊपर से सिंचाई कर दें। और खाद की मात्रा प्रति वर्ष बढ़ते क्रम में देना चाहिए।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए।
सिंचाई
आड़ू के पौधों की रोपाई के तुरंत बाद पानी देना चाहिए। फूलों के अंकुरण, कलम लगाने की अवस्था, फलों के विकास के समय फसल को सिंचाई की आवश्यकता होती है। आड़ू की खेती में सिंचाई के लिए ड्रीप सिंचाई पद्धति बहुत अधिक फायदेमंद होती है।
Harvesting & Storage
फसल की कटाई
आड़ू की फसल के लिए मुख्य तुड़ाई का समय अप्रैल से मई का महीना होता है।इनका बढ़िया रंग और नरम गुद्दा पकने के लक्षण दिखाता है आड़ू की तुड़ाई वृक्ष को हिला कर की जाती है।
भंडारण
तुड़ाई के बाद इनको सामान्य तामपान पर स्टोर कर लिया जाता है और स्क्वेश आदि बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
उत्पादन
आड़ू की खेती के अनुसार सामान्य परिस्थितियों में प्रति हेक्टेयर 90 से 150 क्विंटल तक आड़ू की उपज मिल जाती है।