ये किसान कर्ज में डूबे पर डरे नहीं मेहनत के पानी से लहलहाई समृद्धि की फसलें
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इन्होंने भी मौसम की मार का सामना किया। येे भी कर्ज में डूबे लेकिन डरे, डिगे नहीं। विपरीत हालत का सामना हिम्मत से किया। समय पर निर्णय लिया। किसी ने फलों की ओर रुख किया तो किसी ने अतिरिक्त आमदनी के लिए दुग्ध उत्पादन की ओर ध्यान दिया। धीरे-धीरे कर्ज उतरता गया और आगे बढ़ते गए।

मानसून ने धोखा दिया तो दुग्ध उत्पादन में लगे, कर्ज उतरा, नई जमीन खरीदी

रतलाम से 13 किमी दूर हतनारा गांव के समरथ पाटीदार। शुगर के चलते पिता रामचंद्र पाटीदार के डॉक्टरों ने दोनों पेर काट दिए। 2004 में पिता चल बसे। मानसून खराब रहने से फसलें बिगड़ी और समरथ पर रिश्तेदारों, दोस्तों का 12 लाख रुपए का कर्ज हो गया। खेती को पशुपालन से जोड़ा दो भैंसे ली। रोज दूध की कमाई व खाद से मिलने लगी। लगातार मेहनत कर कर्ज उतारा। अब आठ भैंसें कर ली हैं और दूध बेचकर करीब 25 से 30 हजार रुपए महीने के कमा रहे हैं। कर्ज उतारने के साथ दो बीघा जमीन और खरीद ली है। ( रिपोर्ट | जितेंद्र प्रजापति-मलवासा)

कर्ज के बाद बंजर जमीन सिंचित की, मेहनत ऐसी की कि आठ साल में 35 बीघा जमीन खरीद ली

जावरा तहसील का गांव मोरिया। चार भाई ईश्वरलाल, जगदीश, रामेश्वर और बद्रीलाल पटेल। 21 लोगों का परिवार। 2008 के पहले आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि घर में समय पर अनाज नहीं था। उनके पास 35 बीघा बंजर जमीन थी और चार भाई। 2008 में बैंक से एक लाख रुपए कर्ज लिया और कुआं खुदवाया। रुपया कम पड़ा तो रिश्तेदारों से भी उधार लिया। मौसम खराब होने पर फसलें बिगड़ी भी लेकिन हिम्मत से नहीं डिगे। सब्जियां उगाईं। आमदनी बढ़ाने के लिए दुग्ध उत्पादन शुरू किया। भैंसें खरीदी। दूध बेचने लगे। सात वर्षों की मेहनत से उनकी किस्मत ऐसी चमकी कि उनके पास 70 बीघा सिंचित जमीन है। (रिपोर्ट | राजेंद्र शर्मा-ढोढर )

मोरिया के किसान जगदीश पटेल।

अमरूद के बगीचे में मेहनत की, कर्ज उतारा, जमीन खरीदी, पक्का घर भी बना लिया

पिपलौदा से 18 किमी दूर रियावन के 36 वर्षीय धूलसिंह राजपूत 10 बीघा जमीन के मालिक हैं। पांच साल पहले खेती के लिए रुपए उधार लेना पड़ते। कर्जा बढ़ते-बढ़ते कब 4 लाख का हो गया पता नहीं चला। उनके पास थी तो बस 4 बीघा असिंचित जमीन। 2010 में मनरेगा में कुआं खुदवाया और अमरूद के 350 पौधों के साथ बगीचा लगाया। 2013 में अमरूद ने चार लाख रुपए दिए। दो सालों में कर्ज तो उतारा ही और जमीन खरीदी। 6 बीघा बंजर जमीन खरीदकर उसे भी सिंचित कर लिया। 5 लाख रुपए खर्च कर पक्का मकान भी बनवा चुके हैं। (रिपोर्ट | महेंद्रसिंह सिसौदिया-रियावन )