इस फसल की खेती से तीन गुना मुनाफा कमाएँ
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बिहार राज्य के किसान केले या मक्का की फसल को नकदी फसल के रूप में उगाते हैं। दूसरी ओर पुरनिया जिले के सरसी गांव के एक किसान ने मिथ को तोड़ते हुए न केवल अपनी आय तीगुनी की, बल्कि अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बने।

 

दरअसल, पुरनिया जिले के सरसी गांव के बेचन पासवान पिछले 14 सालों से रेशम की खेती कर रहे हैं। रेशम की खेती ने उन्हें आय में वृद्धि और इस क्षेत्र में एक अलग पहचान दी। लोगों का कहना है कि कि बेचन साल 2005 से पहले से ही पारंपरिक खेती करते आ रहे हैं, जिससे उनकी सालना आय लगभग 40000 के तक ही हो पाती थी जिससे उनकी गरीबी दूर नहीं हो पाती थी। अगर रिपोर्टों की मणि जाएँ, तो उनकी रेशम की खेती धीरे-धीरे बढ़ने लगी। परिणामस्वरूप, उनकी वार्षिक आय 1 लाख के करीब आने लगी।

 

वे पिछले साल तक मक्का और धान की ही खेती करते थे, 10000 हजार रुपये धान की खेती और 30000 रुपये मक्का की खेती से ही बचते थे। लेकिन जब से उन्होंने शहतूत की खेती शुरू की है, उनकी आय के साथ उनका बजट भी सही हो गया है।

 

खबरों के मुताबिक मंगलवार को पुरनिया जिले के टाउन हॉल में एक मुख्यमंत्री कोशी मलवरी परियोजना का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम का उद्घाटन जिला पंचायत अध्यक्ष क्रांति देवी ने किया। इस परियोजना में जिले के लगभग 500 किसानों ने हिस्सा लिया। यहां रेशम उद्योग की विशेषता बताई गयी। इसके आलावा रेशम उद्योग कृषि पर आधारित कुटीर उद्योग, ग्रामीण क्षेत्र में कम लागत पर शीघ्र उत्पादन होने की खूबी व इसमें मिलने वाली वित्तीय सहायता आदि की जानकारी दी गई।