भागलपुर। गेंदे की महक के लिए अब एक साल तक इंतजार करने की जरूरत नहीं है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर ने स्थानीय मिट्टी और पर्यावरण के अनुकूल गर्मी में फूल देने वाली गेंदे की किस्म विकसित की है।
बीएयू के पीआरओ डॉ. आरके सोहन ने कहा कि भागलपुर सहित जमाल, जमुई, औरंगाबाद, मधुबनी, हाजीपुर, कटिहार, पूर्णिया में दो साल के लिए प्रायोगिक खेती की गई है।
किसान और वैज्ञानिक प्रयोगात्मक खेती की सफलता से उत्साहित हैं। पांच साल के प्रयास से विकसित इस किस्म को फिलहाल बीआरएम 113 कोड दिया गया है। किस्म के जारी होने के बाद इसका नामकरण किया जाएगा।
नई किस्म का ईजाद युवा वैज्ञानिक डॉ. श्यामा कुमारी और डॉ. चंदन राय ने पुष्प विभाग के अध्यक्ष डॉ. रणधीर कुमार की देखरेखमें किया है।
फूल 42 डिग्री सेल्सियस पर खिलते हैं
पारंपरिक गेंदे के लिए आदर्श तापमान 18 से 26 डिग्री सेल्सियस है। नई किस्म 42 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में फूल देती है। इसकी तैयारी में 35 दिन लगते हैं। 70-75 दिनों में फूल तैयार हो जाता है।
प्रति हेक्टेयर 800 ग्राम बीज की खपत होती है और 100 से 120 क्विंटल उत्पादन होता है। यह फरवरी के पहले सप्ताह में लगाया जाता है।
शादी के समय बढ़ जाती है मांग
ज्यादातर शादियां गर्मियों के समय में होती हैं। इस समय फूलों की मांग बढ़ जाती है। बिहार में हर दिन ढाई से तीन करोड़ फूलों का कारोबार होता है। इसकी आपूर्ति कोलकाता और सिलीगुड़ी के बाजार से होती है। बिहार में सिर्फ 12 हेक्टेयर में वनस्पतियों की खेती की जाती है।
न केवल नई किस्म के बछड़े के बाद क्षेत्र को बढ़ाया जाएगा, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ेगी। बीएयू सबौर के कुलपति डॉ. अजय कुमार सिंह का कहना है कि गेंदा फूल की नई किस्म किसानों की समृद्धि का द्वार खोलेगी।